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Bilaspur: अभ्यर्थी को परीक्षा पैटर्न जानने का हक नहीं, सिविल जज मेंस एग्जाम के खिलाफ पेश याचिका खारिज

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बिलासपुर हाई कोर्ट

Bilaspur: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सिविल जज (प्रवेश स्तर) मुख्य परीक्षा, 2023 के परीक्षा पैटर्न को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं को खारिज किया है. कोर्ट ने कहा कि अभ्यर्थी को परीक्षा का पैटर्न जानने का हक नहीं है. पूछे जाने वाले प्रश्नों का क्रम परीक्षा संचालन प्राधिकरण के विशेष अधिकार क्षेत्र में आता है. इसके साथ ही कोर्ट ने सीजी पीएससी द्वारा सिविल जज (प्रवेश स्तर) परीक्षा, 2023 के परिणामों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया.

जानें पूरा मामला

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने तर्क दिया है कि मुख्य परीक्षा आयोजित करने के पैटर्न की जानकारी न तो नियमों में और न ही विज्ञापन में अधिसूचित की गई. लेकिन इस न्यायालय की राय में परीक्षा के पैटर्न को अधिसूचित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी और उन्हें केवल पाठ्यक्रम जानने का अधिकार था. मुख्य परीक्षा का पैटर्न और उस परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न परीक्षा संचालन निकाय के विशेष अधिकार क्षेत्र में हैं. कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए विशिष्ट क्रम में प्रश्नों के उत्तर देने की आवश्यकता के बारे में पहले से पर्याप्त जानकारी नहीं दी गई थी.

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याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इस चूक के कारण परीक्षा के दौरान भ्रम की स्थिति पैदा हो गई और उनकी उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन नहीं हो सका, क्योंकि वे निर्धारित क्रम का पालन करने में असफल रहे थे. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के इस तर्क से असहमति जताते हुए कहा कि यह परीक्षा परिणाम रद्द करने का वैध कारण नहीं है. प्रश्न-उत्तर पुस्तिका में निर्देश दिए गए थे और याचिकाकर्ताओं को उत्तर लिखने से पहले उन्हें ध्यान से पढ़ना चाहिए था.

मुख्य परीक्षा का परीणाम जारी होने के बाद लगाई याचिका

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजी पीएससी) ने राज्य के विभिन्न जिला न्यायालयों में 49 पदों को भरने के लिए सिविल जज (प्रवेश स्तर) परीक्षा 2023 में आयोजित की थी. विवाद तब पैदा हुआ जब सीजी पीएससी ने अक्टूबर 2024 में मुख्य परीक्षा के परिणाम घोषित किए. इसमें 151 उम्मीदवारों को मौखिक परीक्षा के लिए चुना गया. याचिकाकर्ताओं सहित कई आवेदकों ने पाया कि उनकी उत्तर पुस्तिकाओं को मूल्यांकन से बाहर रखा गया था. सीजी पीएससी ने उत्तरों को निर्दिष्ट स्थानों पर क्रम में लिखने के निर्देश का पालन न करने को उत्तरपुस्तिकाओं के बहिष्कार का कारण बताया. अपनी उत्तर पुस्तिकाओं के न जांचने और नए परीक्षा पैटर्न के बारे में स्पष्टता की कमी बताते हुए संबंधितों ने याचिका दायर की थी.

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