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Bilaspur: 10 करोड़ का ट्रांसपोर्ट नगर बर्बाद, ट्रांसपोर्टर्स को क्लोरोफॉर्म सुंघाकर ट्रक और बैटरी की चोरी कर रहे चोर

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ट्रांसपोर्ट नगर

Bilaspur: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ट्रांसपोर्ट नगर बसाने का सपना टूटता जा रहा है. 10 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने के बावजूद ट्रांसपोर्टरों को वह सुविधा नहीं मिल रही है, जो मिलनी चाहिए. यही कारण है कि तिफरा में बनाया गया ट्रांसपोर्ट नगर बर्बाद होने की कगार पर जा पहुंचा है. नगर निगम के अधिकारियों ने इस पर ध्यान देना छोड़ दिया है जिसके चलते यहां कई तरह की गतिविधियां बंद हो चुकी है.

ट्रांसपोर्टर्स को क्लोरोफॉर्म सुंघाकर हो रही चोरी

सबसे बड़ी बात यह है कि यहां गाड़ियों से बैटरी चोरी हो रही है. उस पर भी गंभीर बात यह है कि चोरों के हौसले इतने बुलंद है कि वह ड्राइवर को और ट्रांसपोर्टर्स को क्लोरोफॉर्म सुंघाकर चोरी और अवैध गतिविधियों को अंजाम तक पहुंचा रहे हैं. विस्तार न्यूज़ ने ट्रांसपोर्टर्स की शिकायत के बाद ट्रांसपोर्ट नगर का जायजा लिया तो बड़े खुलासे हुए.

साल 2005 में बनाया था ट्रांसपोर्ट नगर

साल 2005 में बनाए गए ट्रांसपोर्ट नगर का हाल बदहाल है. डिवाइडर टूटी पड़ी है. सड़क उधड़ रहे हैं. बिजली के लगाए गए खंभे बैंड हो चुके हैं. कथित तौर पर नगर निगम के अधिकारी यहां की सफाई तो करवा रहे हैं, लेकिन दिन भर धूल उड़ रही है. ट्रांसपोर्टरों के पास मूलभूत सुविधाएं यानी सड़क नाली बिजली पानी और सुलभ जैसी चीजों का अभाव है जबकि यह यहां के लिए सबसे जरूरी चीज हैं. यही कारण है की बदहाली के बीच 100 से ज्यादा दुकान और डेढ़ सौ से ज्यादा गाड़ियां रोज खड़ी हो रही है जिनमें चोरी और छीना झपटी जैसी बातें आम हो चुकी है क्योंकि यहां शाम ढलते ही और असामाजिक लोगों की आमद तेज हो जाती है और हर दिन ट्रक ड्राइवर और ट्रांसपोर्टर चोरी और छीना झपट की शिकार हो रहे हैं.

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सिर्फ नाम का पुलिस सहायता केंद्र

बिलासपुर कहने को दूसरा सबसे बड़ा शहर है लेकिन ट्रांसपोर्ट नगर और बिलासपुर रायपुर मार्ग पर बने इंडस्ट्रियल क्षेत्र में सबसे ज्यादा दिक्कत व्यापारियों को हो रही है. बड़ी-बड़ी फैक्ट्री और दूसरे संस्थान के बीच नगर निगम यहां व्यवस्था बनाने में फेल है. यही कारण है कि व्यापारी अब ट्रांसपोर्ट नगर छोड़ने लगे हैं और उन्होंने दूसरी जगह अपना ठिकाना बनाना शुरू कर दिया है.

ये भी जानिए

बिलासपुर में साल 2005 में ट्रांसपोर्ट नगर बसाया गया था. नगर निगम ने किया था 10 करोड़ रुपए का टेंडर. शहर के भीतर भारी वाहन के आवागमन को रोकने और ट्रांसपोर्टरों को व्यवस्थित करने की मंशा से किया गया था. ट्रांसपोर्ट नगर स्थापित. स्थिति यह कि अब ट्रांसपोर्ट नगर छोड़कर पेंड्रीडीह तरफ जाने लगे हैं भारी वाहन चालक. सुरक्षा व्यवस्थाएं शून्य और पानी और दूसरी सुविधाओं का अभाव जिसके चलते सब कुछ अव्यवस्थित. कुल मिलाकर दिक्कतों के बीच जो बचे व्यापारी हैं वह रहने को मजबूर है.

सबसे बड़ी बात यह है कि ट्रांसपोर्ट नगर में अपराध रोकने के लिए पुलिस सहायता केंद्र बनाया तो गया है लेकिन यहां कभी का भर ही पुलिस वाले बैठ रहे हैं जिसके चलते अपराधियों के हौसले बुलंद हैं. मामले में पुलिस अधीक्षक रजनीश सिंह का कहना है उन्होंने यहां पुलिस सहायता केंद्र के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि किसी भी तरह से वारदात नहीं हो. उन्होंने संबंधित अधिकारियों को भी क्राइम रोकने के निर्देश दिए हैं ताकि व्यापारी और ट्रांसपोर्टर को दिक्कत नहीं हो.

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