CG News: दुर्ग जिले में संचालित कोचिंग सेंटरों में छात्र-छात्राओं के आने और जाने के लिए एक ही रास्ता बनाया गया है. आपात स्थिति में बाहर निकलने के लिए कोचिंग संस्थानों में वैकल्पिक रास्ता नहीं है. कोचिंग सेंटरों में फायर सेफ्टी की व्यवस्था भी नहीं है. एकमात्र कोचिंग सेंटर में यह व्यवस्था बनाई गई है, लेकिन लगाया गया उपकरण काम नहीं कर रहा है. प्रशासन की जांच में कोचिंग सेंटरों में व्यवस्था संबंधी कुछ और खामियां मिली है, जिनमें सुधार करने कहा गया है. राहत की बात यह है कि यहां कोई भी कोचिंग सेंटर बेसमेंट में संचालित नहीं हो रहा हैं.
आपको बता दे कि कुछ दिनों पहले दिल्ली के राजेंद्र नगर में सिविल सेवा परीक्षा व अन्य प्रतियोगी परीक्षा की कोचिंग प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों के साथ घटित घटनाओं को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने दुर्ग ज़िले में कोचिंग संस्थानों में सुरक्षा के हालात का जायजा लेने के लिए जिला प्रशासन निर्देश दिया गया था, जिला प्रशासन ने अपनी कवायद शुरु कर दी है.
पांच सदस्यीय जांच टीम ने शहर के सिविक सेंटर, नेहरु नगर, जुनवारी जैसे पॉश इलाके में चल रहे कोचिंग संस्थानों में जाकर वहां के हालात का जायजा लिया. जांच टीम ने ये देखा कि कोचिंग संस्थान किस जगह पर चल रहा है. भारी बारिश में जब जल जमाव के हालात बनेंगे तब निकासी के क्या रास्ते हैं उसको भी चेक किया गया. वहीं दुर्ग एसडीएम हरिवंश सिंह ने कहा कि दिल्ली में हुई घटना को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर ने एक कमेटी बनाया है इस कमेटी में कलेक्टर सहित आल्हा अधिकारी मौजूद हैं दुर्ग जिले में जितने भी कोचिंग संस्थान है नॉर्म्स को फॉलो कर रहे हैं कि नहीं आज निरीक्षण किया गया. किसी घटना दुर्घटना की स्थिति के लिए आपातकालीन रास्ता या दरवाजा नहीं है.
कुछ कोचिंग सेंटर में बच्चों के लिए वाशरुम काम चलाऊ बनाया गया है. बिजली कनेक्शन वाले वायरिंग पर भी लापरवाही देखने को मिली है.जिस भवन में कोचिंग सेंटर संचालित है. उसका निर्माण भवन अनुज्ञा के अनुरूप है या नहीं इसकी भी जांच की जा रही है. कोचिंग संस्थान के मालिकों को निर्देश दिया गया है कि आपातकालीन द्वार हमेशा खुला होना चाहिए. बच्चों को आने-जाने में कोई दिक्कत ना हो उसके लिए पर्याप्त सावधानी बढ़ता जाए.