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CG News: बिलासपुर में सरकारी टीके से दो बच्चों की मौत होने का आरोप, खुले में फेंके जा रहे मेडिकल वेस्ट, वैक्सीन टेंपरेचर का भी ध्यान नहीं

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मेडिकल वेस्ट

CG News: जिले में स्वास्थ्य विभाग की सरकारी शिविर के दौरान चल रहे टीकाकरण अभियान में दो बच्चों की मौत का मामला सामने आया है. कोटा के पटैता में हुए इस घटना के बाद पूरे छत्तीसगढ़ में सियासत तेज हो गई है. पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम टी एस सिंहदेव ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. रविवार को वह बिलासपुर के जिला अस्पताल पहुंचे थे. जहां उन्होंने उन परिवारों से मुलाकात की जिनके बच्चों को सरकारी अभियान में टीका लगाया गया था. कोटा के जी शिविर में दो बच्चों की टीका लगने से मौत हो गई उनमें पांच और बच्चे शामिल थे जिन्हें पेंटा 1 और बीसीजी का टीका लगा था. उन बच्चों को ऑब्जरवेशन के लिए जिला अस्पताल के शिशु वार्ड में रखा गया है, उन्हीं परिवारों से मिलने सिंहदेव पहुंचे थे. परिवार वालों से मुलाकात करने के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत की और सरकार पर अमानक वैक्सीन का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. दूसरी तरफ मामले में राज्य सरकार ने जांच टीम का गठन कर दिया है.

10 से अधिक टीम सोमवार को बिलासपुर के स्वास्थ्य विभाग पहुंची है जहां मामले की जांच शुरू हो रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि लगातार लापरवाही का दौर जारी है, स्वास्थ्य विभाग मलेरिया डायरिया डेंगू और स्वाइन फ्लू जैसी संक्रामक बीमारियों से लोगों की मौत के बाद अब बच्चों को टीका लगाने के मामले में भी संदेह के दायरे में आ गया है, हालांकि जिले के मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी प्रभात श्रीवास्तव का कहना है कि उनकी टीम बेहतर काम कर रही है और जांच रिपोर्ट में सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा.

विस्तार न्यूज़ जब ग्राउंड पर पहुंची, तब बड़े पैमाने पर मिले मेडिकल वेस्ट

स्वास्थ्य विभाग में चल रही इस गड़बड़ी के बाद विस्तार न्यूज़ की टीम ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के हालात का जायजा लेने निकली. सामने आया कि न सिर्फ टीकाकरण अभियान बल्कि मेडिकल वेस्ट को सुरक्षित रखने में भी भारी लापरवाही बत्ती जा रही है. सेंदरी के ट्रेंचिंग ग्राउंड के सामने गतोरी नामक गांव में शमशान घाट पर बड़े पैमाने पर मेडिकल वेस्ट डंप किया जा रहे हैं, जो लोगों की सेहत के लिए ठीक नहीं है. इससे कैंसर तक का खतरा है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इसे नजरअंदाज कर रहे हैं. इसी गांव के किनारे सीजी एमएससी का बड़ा स्टोर है जहां से पूरे जिले में दवाई की सप्लाई होती है. संभावना है कि आसपास के डॉक्टरों ने इस तरह की घटना को अंजाम दिया है जिसके कारण ग्रामीणों की जिंदगी खतरे में आ गई है.

टूट रहा ड्रग कोल चैन, इसलिए असुविधा

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लगातार वैक्सीन के ड्रग कोल चैन को भी मेंटेन करने ध्यान नहीं दे रहे हैं. सरकारी टीकाकरण अभियान के तहत इस व्यवस्था को सुदृण रखना स्वास्थ्य अधिकारियों की जिम्मेदारी है. इसके बावजूद लगातार किसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बिजली की समस्या के कारण तो किसी जगह फ्रीजर खराब होने के कारण टीकाकरण के तहत रखे जाने वाला वैक्सीन उसे टेंपरेचर में नहीं रखा जा रहा जिस तापमान में रखना चाहिए. यही वजह है कि यह भी एक कारण है की खराब तक लगने के बाद बच्चों की मौत हो गई हो.

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बड़ा सवाल आखिर कैसे रुकेगी मौतें?

बिलासपुर जिले में लगातार स्वाइन फ्लू डायरिया हैजा और संक्रामक बीमारियों से मोटे हो रही हैं. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि अब तक इन बीमारियों से 100 से अधिक लोग मर चुके हैं और स्थितियां ठीक नहीं है, ऐसे में यह सवाल उठाने की स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आखिर कब जागेंगे और कब बिलासपुर के लोगों को संक्रामक बीमारियों से मुक्ति मिलेगी या बड़ा सवाल है, लेकिन जमीनी स्तर पर उसे तरह की व्यवस्था नहीं की जा रही है जिस तरह की व्यवस्था होनी चाहिए.

पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने की जांच की बात

मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव का कहना है सरकार को सरकारी वैक्सीन को ठीक रखने की तरफ ध्यान देना चाहिए. जिन बच्चों की मौत हुई है. उनके परिजनों से मुलाकात करने पर यह सामने आता है कि यह गड़बड़ी स्वास्थ्य के अधिकारियों के द्वारा की गई है, जिसे दुरुस्त रखना उनकी जिम्मेदारी है. इस मामले में निश्चित तौर पर जांच होनी चाहिए.

जिले के मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर प्रभात श्रीवास्तव का कहना है कि कोटा में सरकारी टीकाकरण के तहत बच्चों की मौत नहीं हुई है, बल्कि उनकी सेहत खराब थी इसके कारण उनकी मौत हुई है जिसकी जांच जारी है. हमने परिजनों से मिलकर पोस्टमार्टम करने का कहा था, लेकिन उन्होंने पोस्टमार्टम करने से मना कर दिया यही कारण है कि फिलहाल मौत के कारण की बात सामने नहीं आई है. राज्य सरकार ने जांच टीम का गठन किया है जिनके लोग इस पूरे मामले की जांच करेंगे और अपनी रिपोर्ट शासन को प्रेषित करेंगे.

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