CG News: पहाड़ी पर बसा गोगुंडा रहा मलेरिया रिस्क जोन, 10 आदिवासियों की मौत के बाद गांव पहुंचा प्रशासन
CG News: पिछले 10 दिन में 10 आदिवासियों की मौत के बाद प्रशासन की नजर में आए सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक के गोगुंडा में लगातार मलेरिया के मामले बढ़ते जा रहे हैं. तीन दिन से गांव में ही डेरा डाल लोगों का इलाज कर रही स्वास्थ्य विभाग की टीम को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
मलेरिया रिस्क जोन रहा गोगुंडा, अब तक 10 लोगों की मौत
अब तक हुई 400 ग्रामीणों की जांच में कुल 158 पॉजिटिव मिले हैं. इनमें 43 बच्चे शामिल हैं. 08 किलोमीटर खड़ी पहाड़ी के ऊपर बसे गांव तक राशन और जरूरी दवाइयां पहुंचाने में टीम को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है. ग्रामीणों की मदद से दिन में एक बार राशन और दवाईयॉं पहुंचाई जा रही है. पर्याप्त दवा नहीं होने की वजह से भी जांच प्रभावित हो रहा है. पहली बार इस गांव में कोई टीवी चैनल विस्तार न्यूज़ की टीम जब मौके पर पहुंची तो पता चला कि यहां स्वास्थ्य अमला केवल मलेरिया आरडी किट लेकर जांच करने पहुंचा है. इसके अलावा दूसरे किसी तरह की जांच की व्यवस्था स्वास्थ्य अमले के पास है ही नहीं. ऐसे में सर्दी-खांसी, बुखार सहित अन्य बीमारियों की जांच न कर उन्हें लक्षण के मुताबिक सीधे दवाएं दी जा रही हैं. आपको बता दे गांव की जनसंख्या वर्तमान में दो हजार से ज्यादा है. नक्सली दहशत के चलते गोगुंडा का सर्वे नहीं कराया जा सका है.
2011 में हुई थी जनगणना
2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की जनसंख्या 1600 है. दो हजार से ज्यादा जनसंख्या वाले गोगुंडा में अब तक केवल 400 के करीब आधार कार्ड बन पाए हैं. सुकमा जिले का गोगुंडा हमेशा से मलेरिया हाई रिस्क जोन रहा है. साल 2020 में शासन द्वारा चलाए गए मलेरिया मुक्त अभियान के दौरान यहां स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मेडिकल कैंप लगाया था. जिसमें 580 से ज्यादा लोग पॉजिटिव पाए गए थे. दवाइयां और मलेरिया से बचने के उपाय देने के बाद विभाग ने दोबरा मुड़कर नहीं देखा. करीब 4 साल बाद इलाके में हुई मौतों के बाद स्वास्थ्य विभाग ने दोबारा शिविर लगाकर लोगों का इलाज कर रहा है जिसमें मलेरिया के मरीज लगातार मिल रहे हैं. हालांकि विभाग गोंगुडा में 6 पारा के 2 हजार से ज्यादा लोगों के इलाज के लिए 6 मितानिन की नियुक्ति करने का दावा कर रहा है. गांव में मौजूद डॉक्टरों ने बताया गांव में 70 फीसदी से ज्यादा मलेरिया पॉजिटिव के मामले असिम्प्टमेटिक हैं.
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स्वास्थ्य विभाग और सुरक्षाबल के बाद पहुंचा विस्तार न्यूज
नक्सल प्रभावित होने की वजह से गोगुंडा के 6 पारा आजा भी प्रशासन की पहुंच से कोसो दूर हैं. स्वास्थ्य विभाग और सुरक्षाबलों के अलावा यहां अब तक दूसरा कोई विभाग नहीं पहुंच पाया है. लेकिन पहली बार गांव कोई न्यूज़ चैनल पहुंचा और नक्सलियों के गढ़ में कड़ाके की ठंडी में गांव में रात बिताया. गांव में क्रेडा विभाग के माध्यम से लगाए सोलर लाइट जरूर नजर आते हैं लेकिन सालों से मेंटेनेंस नहीं होने से अधिकांश खराब हो गए हैं इसलिए गांव में 6 बजे के बाद पूरा अंधेरा में तब्दील हो जाता हैं. कठिन भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से गोगुंडा के 6 पारा में हैंडपंप नहीं खोदे गए हैं. ग्रामीणों की मदद से एक दर्जन से ज्यादा रिंग कुंए बनाए गए हैं। इसी से ग्रामीण अपनी प्यास बुझाते हैं.
नीचे गांव में बने स्वास्थ्य केंद्र में नक्सलियों ने लिखा नारा
जब विस्तार न्यूज़ ग्राउंड पर जाने निकला तो सबसे पहले गांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा तो देखा वहां नक्सलियों ने सरकार को लेकर नारा लिखा है. स्वास्थ्य कर्मचारी अपने साथियों को राशन और दवाईयां भेजने के लिए तैयारी कर रहे थे. नर्स ने बताया कितना कठिन हैं, इस जगह पर हॉस्पिटल चलना डॉक्टर के अभाव में इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को चलाया जाता हैं। जहां 6 कर्मचारियों की नियुक्ति हैं.