CG News: एक बार तेल डालने पर 24 घंटे तक जलेगा ये “जादुई दीया”, कुम्हार अशोक चक्रधारी ने अपनी कलाकारी से दिखाया कमाल

CG News: अशोक चक्रधारी ने अपनी अनूठी कलाकारी से मिट्टी के दीये को ऑटोमैटिक तेल रिफिलिंग सिस्टम से सजाया है. उनके द्वारा बनाया गया दीया तेल खत्म होते ही अपने ऊपर लगे गुंबद से बूंद-बूंद करके तेल खुद-ब-खुद भरता है, और जब दीया भर जाता है तो तेल का रिसाव रुक जाता है. इस तरह की ऑटोमैटिक व्यवस्था वाला यह दीया लोगों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है.
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जादुई दीया

– सुनील यादव

CG News: दिवाली का त्योहार करीब है, और इसके साथ ही दीयों की रौनक हर तरफ बिखरने लगी है. दीयों का त्योहार दिवाली सदियों से मिट्टी के दीयों के बिना अधूरा है. चाहे बाजार में कितने भी इलेक्ट्रॉनिक और चाइनीज आइटम्स आ जाएं, पर मिट्टी के दीयों की अहमियत अनमोल है. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले कोंडागांव में कुम्हार अशोक चक्रधारी ने इस बार अपनी कला से एक ऐसा अनोखा दीया तैयार किया है, जिसे ‘जादुई चिराग’ कहा जा रहा है. उनके इस मिट्टी के दीये में तेल खत्म होने पर खुद-ब-खुद तेल भर जाता है, जिससे यह दीया लगातार 24 से 48 घंटे तक जल सकता है.

मिट्टी के जादूगर अशोक चक्रधारी ने बनाया ‘जादुई दीया’

अशोक चक्रधारी ने अपनी अनूठी कलाकारी से मिट्टी के दीये को ऑटोमैटिक तेल रिफिलिंग सिस्टम से सजाया है. उनके द्वारा बनाया गया दीया तेल खत्म होते ही अपने ऊपर लगे गुंबद से बूंद-बूंद करके तेल खुद-ब-खुद भरता है, और जब दीया भर जाता है तो तेल का रिसाव रुक जाता है. इस तरह की ऑटोमैटिक व्यवस्था वाला यह दीया लोगों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है.कोंडागांव के कुम्हारपारा के निवासी अशोक चक्रधारी ने अपनी कला से देश-विदेश में एक अलग पहचान बनाई है. उनकी कला का जादू ऐसा है कि वे बेजान मिट्टी को भी जीवंत कर देते हैं. उन्होंने कोंडागांव में पारंपरिक बस्तर कला ‘झिटकु-मिटकी’ के नाम से अपना एक कला केंद्र भी स्थापित किया है. कुछ समय पहले ही केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय ने उनकी कला को सराहा और उन्हें नेशनल मेरिट से सम्मानित किया.

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देशभर से मिल रहे ऑर्डर

अशोक बताते हैं कि उन्होंने इस दीये को बनाने की प्रेरणा 35–40 साल पहले भोपाल की एक प्रदर्शनी से ली थी, जहाँ उन्होंने ऐसा ही कुछ देखा था. उन्होंने कहा कि आजकल कुम्हारों के हालात कठिन हो गए हैं और प्रतिस्पर्धा के बीच उन्हें अपनी कला को नया रूप देना जरूरी हो गया है. इसलिए इस दीवाली उन्होंने कुछ नया करने की ठानी और इस ‘जादुई दीए’ को बनाया, जो बाजार में खूब पसंद किया जा रहा है. हालांकि, अशोक चक्रधारी के लिए इस दीये की भारी डिमांड को पूरा कर पाना चुनौती बना हुआ है. वे कहते हैं कि प्रतिदिन केवल 100 दीयों का निर्माण ही हो पा रहा है, जबकि देश के विभिन्न हिस्सों से ऑर्डर मिल रहे हैं. इस साल तो सिर्फ कोंडागांव और आसपास के क्षेत्रों में ही इस दीए को उपलब्ध करा पाना उनके लिए संभव है, लेकिन भविष्य में वे इसकी बेहतर मार्केटिंग योजना बनाकर इसे व्यापक रूप से उपलब्ध कराने की योजना बना रहे हैं.

अशोक का मानना है कि मिट्टी के दीये के अनोखे प्रयोग से अन्य कुम्हारों को प्रेरणा मिलेगी और वे भी कुछ नया करने का प्रयास करेंगे. उनकी अपील है कि दिवाली और अन्य त्योहारों पर मिट्टी के बर्तनों का अधिक से अधिक उपयोग किया जाए, जिससे कुम्हारों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके और उनकी कला को भी संजीवनी मिले.

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