CG News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में मोपका सेंदरी बायपास रोड पर चलकर लोग कमर दर्द के मरीज बन रहे हैं. यह सड़क सीपत और राजकिशोर नगर को बिलासपुर रतनपुर मुख्य मार्ग पर जोड़ती है और यहां से लगभग हर दिन 2000 से ज्यादा गाड़ियां गुजरती है. इसके बावजूद इसकी मरम्मत पर कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है.
सड़क पर चलकर कमर दर्द के मरीज हो रहे ग्रामीण
यही वजह है कि इसके आसपास के 10 से ज्यादा गांव के लोग कमर दर्द की पीड़ा से परेशान है और इसकी मूल समस्या इस सड़क पर बाइक या कार से चलना है. 36 किलोमीटर इस सड़क पर हर 10 कम में इतने गड्ढे हैं कि लोगों को हिचकोले खाना लाचारी बन गई है. विस्तार न्यूज़ की टीम ने इस सड़क का जायजा लिया. लोगों की उस दर्द को महसूस करने की कोशिश की जिसे मैं पिछले 3 साल से झेल रहे हैं. मरम्मत के अभाव में यह सड़क बुरी तरह खराब हो चुकी है और जगह-जगह खंदक झांक रही है यही वजह है कि लोग लगातार परेशान हैं और उन्हें धूल के कारण सांस की और इस पर चलने के कारण स्लिप डिस्क की परेशानी आ रही है. लोगों ने बताया कि उन्होंने इसकी शिकायत हर स्तर पर कर दी है लेकिन कोई इसकी मरम्मत पर ध्यान देने को तैयार नहीं है. यही वजह है कि सड़क पर चलना उनकी मजबूरी है क्योंकि उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं. जिसके चलते वे मरीज बन गए हैं.
इस सड़क पर उड़ रही धूल के कारण लोग मुंह बांधकर अपनी मंजिल तक जा रहे हैं. यह सड़क मोपका से रतनपुर मुख्य मार्ग पर जुड़ने वाली सड़क के बीच लगभग 40 से अधिक गांव आते हैं. इनमें बिरकोना, रमतला, बैमा नगोई, ख़मतराई, बहतराई जैसे गांव शामिल है जो शहर का हिस्सा भी बन चुके हैं लेकिन सहूलियत उसे तरह से नहीं है जो शहर में या उसके आसपास की सड़क पर होनी चाहिए. सबसे बड़ी बात यह है कि यह सड़क गड्ढों के कारण दुर्घटना वाली सड़क के नाम से भी जानी जाने लगी है. रात में प्रकाश की व्यवस्था नहीं होने के कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं और लोग लगातार मौत का शिकार हो रहे हैं फिर भी समस्या जस की तस है.
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छत्तीसगढ़ में 33 जिलों में 24 सड़क लावारिस
छत्तीसगढ़ के 33 जिलों में 24 सड़क लावारिस है. लावारिस खाने का मतलब है कि शासन के पास इन सड़कों के लिए फंड नहीं है और इनकी मरम्मत नहीं हो पा रही है. इनमें रायपुर बिलासपुर कोरबा सीपत दुर्ग और सरगुजा तक की सड़क शामिल है. राज्य सरकार को लोक निर्माण विभाग की तरफ से 24 सड़कों का प्रस्ताव भेजा गया है जिनके हालात बुरे हैं जिनमें यह सड़क भी शामिल है जहां विस्तार न्यूज़ ग्राउंड रिपोर्ट करने पहुंचा है. मोपका सेंदरी बाईपास इस सड़क में मरम्मत की मांग पिछले 3 साल से उठ रही है लेकिन कोई भी विभाग इसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा और यही वजह है कि इस सड़क को लोग लावारिस सड़क के नाम से भी पुकारने लगे हैं. सड़क अच्छी नहीं होने के कारण आसपास के गांव की स्थिति भी अच्छी नहीं है फसलों पर भी इसका बुरा असर हो रहा है क्योंकि दिन भर धूल उठती है और धूल उड़कर धान की फसल पर पहुंचकर यह उनके पैदा वार कम कर रही है. इसके कारण किसान भी लगातार परेशान है.
इस सड़क की मरम्मत को लेकर लोक निर्माण विभाग की अधीक्षण अभियंता केपी संत का कहना है कि इसका प्रस्ताव एडीबी को गया है. इसके अलावा राज्य में 33 जिलों की 24 सड़कों का प्रस्ताव भी उन्हें भेजा गया है ताकि बारिश या अन्य कारण से खराब हुई सड़क का काम करवाया जा सके लेकिन फिलहाल फंड मंजूर नहीं होने के कारण अभी काम शुरू नहीं हो पाया है उनके मुताबिक दिसंबर या आने वाले महीने में इस पर मरम्मत हो सकती है लेकिन यह कहना भी संभव नहीं है.