Chhattisgarh News: सक्ती जिले के जैजैपुर विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम पंचायत कैथा के बिरतिया बाबा की पावन धरा में नागपंचमी पर 9 अगस्त को विशेष पूजा-अर्चना हुई. यहाँ हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मेला लगा इस दौरान अंचल के दूर दराज से श्रद्धालु बड़ी संख्या में बिरितिया बाबा मंदिर पहुंचे. माना जाता है की जिसको सर्प ने डशा हो उसको यह की मिट्टी खिला देने से वह ठीक हो जाता हैं .
मिट्टी खिलाने मात्र से उतर जाता है सांप का जहर
बिरतिया बाबा मंदिर में नागपंचमी पर हर साल की तरह इस साल भी मेले का आयोजन किया गया. कैथा के प्रसिद्ध बिरितिया बाबा मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना हुई यहां मान्यता है कि बिरतिया बाबा मंदिर में सर्पदंश पीड़ितों को नवजीवन मिलता है. इसलिए लोगों की इन पर अगाध आस्था है. क्षेत्र के लोग सर्पदंश से पीड़ितों को लेकर यहां पहुंचते हैं. लोगों का विश्वास है कि यहां की एक चुटकी मिट्टी से ही सर्पदंश से मुक्ति मिल जाती है. मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक है. लोक-आस्था के इस केंद्र में नागपंचमी के मौके पर विशेष पूजा-अर्चना होती है. नागपंचमी के दिन श्रद्घालु अपनी मनवांछित फल पाने के लिए सुबह चार बजे से मंदिर पहुंचने लगे.
जानिए इस गांव की कहानी
बिरतिया बाबा के संबंध में यह कथा प्रचलित है कि बहुत पहले कैथा गांव के बाहर खेत के एक गड्ढे में नाग देवता के हलक में एक हड्डी फंस गई थी. और नाग ने अपने स्तर से जबड़ा के बीच में फंसी हड्डी को निकालने का काफी प्रयास किया. नाग सांप के जबड़ा से हड्डी बाहर नहीं निकल पा रहा था. नागसर्प पीड़ा और दर्द से काफी परेशान था. इसी बीच नागसर्प ने कैथा के बिरतिया बाबा गौटिया को स्वप्न में कहा की गांव के बाहर एक गड्ढा में मेरे जबडा में कोई हड्डी फंस गया है और मुझे बहुत परेशानी हो रही है. इतनी बात सुनकर गांव के गौटिया नाग सांप के बताए गड्ढा के पास पहुंच गया. नाग देवता गौटिया को दिखाई दिए और सर्प को देखकर गौटिया को डर लगा तब नाग सर्प ने कहा कि गौटिया डरने की कोई बात नहीं है और गौटिया ने साहस करके नाग सांप के जबड़े में फंसी हड्डी को बाहर निकाला.
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नागसर्प को दर्द से राहत मिला. इतने में नागसर्प ने गौटिया को कुछ वरदान के लिए कहा इस पर गौटिया ने कहा कि उसे धन दौलत कुछ नहीं चाहिए. बस इस बात की कृपा दृष्टि हो जाए की इस गांव में सर्प और बिच्छू दंश से पीड़ित लोगों को जीवनदान मिल जाए. नागराज ने बिरतिया बाबा गौटिया को ऐसा ही वरदान दिया कि गांव के एक चुटकी मिट्टी खाने से सर्प का जहर उतर जाएगा . बताते हैं कि इसके बाद से सर्पदंश से पीड़ित लोगों का उपचार यहां होने लगा. कालांतर में बिरतिया बाबा की मौत के बाद गांव में उनके मंदिर की स्थापना कर दी गई. इस मंदिर में पीड़ितों को जीवन दान मिलने लगा. इस मंदिर में क्षेत्र के सर्पदंश पीड़ित लोगों को लाया जाता है. पीड़ित को यहां लिटा कर मंदिर के पास की मिट्टी खिलाकर बदन में लगाया जाता है. इससे सर्पदंश का असर खत्म हो जाता है.
नागपंचमी पर मंदिर में धूमधाम से होती है पूजा
ऐसा लोगों की मान्यता है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि अभी तक दो हजार से अधिक सर्पदंश से पीड़ित लोग यहां की मिट्टी खाकर ठीक हुए है. इसी कारण यहां नागपंचमी पर मंदिर में धूमधाम से बिरतिया बाबा की पूजा की जाती है. अंचल के श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां एकत्र होकर उनकी महिमा का बखान अपने-अपने तरह से करते हैं. इस दौरान यहां मेला का भी आयोजन किया जाता है. मेले में तरह- तरह की दुकानें सजती है. हालांकि इस तरह की किवदंती लोगों के आस्था से जुड़ी हुई हैं, हम इसका कोई उचित प्रमाण नहीं देते हैं. डाक्टरों का भी कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को सांप या कोई जहरीला जीव जंतु काटे तो सबसे पहले अपने नजदीकी अस्पताल में इलाज कराए.