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Chhattisgarh: पीड़िया मुठभेड़ के बाद आज बस्तर बंद का दिख रहा असर, राजनीतिक गलियारों से आ रही प्रतिक्रियाएं

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बस्तर बंद पर सुनी सड़के

Chhattisgarh News: बीजापुर जिले के पीड़िया में हुए एनकाउंटर के विरोध में सर्व आदिवासी समाज ने आज बस्तर बंद कराया है. बस्तर चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भी बंद का समर्थन दिया है. आपको बता दें बस्तर संभाग भर के सातों जिलों के दुकानें आज बंद रहेंगी. हालांकि, आपातकाल सेवाएं जैसे मेडिकोज़ खुले रहेंगे. बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, नारायणपुर, कांकेर और कोंडागांव इन सातों जिले में बंद का असर दिख रहा हैं. बंद को सभी जिलों के व्यापारियों का भी समर्थन मिला है. आपको बता दें बीजापुर पुलिस का दावा है कि पीड़िया गांव में हुए एनकाउंटर में 12 नक्सलियों को ढेर किया गया है, जबकि सर्व आदिवासी समाज, सीपीआई और कांग्रेस ने इसे फर्जी बताया है. आज के इस बंद का समर्थन करते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर सत्ता विपक्षी ने भी इस मुठभेड़ को फर्जी बताया है.

आज सर्व आदिवासी समाज ने बंद कराया बस्तर

बीजापुर जिले के पीडिया में हुए एनकाउंटर के विरोध में सर्व आदिवासी समाज ने आज बस्तर बंद कराया है. बस्तर चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भी बंद का समर्थन दिया है. आपको बता दें बस्तर संभाग भर के सातों जिलों के दुकानें आज बंद रहेंगी. हालांकि, आपातकाल सेवाएं जैसे मेडिकोज़ खुले रहेंगे. बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, नारायणपुर, कांकेर और कोंडागांव इन सातों जिले में बंद का असर दिख रहा हैं. बंद को सभी जिलों के व्यापारियों का भी समर्थन मिला है. आपको बता दें बीजापुर पुलिस का दावा है कि पीड़िया गांव में हुए एनकाउंटर में 12 नक्सलियों को ढेर किया गया है, जबकि सर्व आदिवासी समाज, सीपीआई और कांग्रेस ने इसे फर्जी बताया है. आज के इस बंद का समर्थन करते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर सत्ताविपक्षी ने भी इस मुठभेड़ को फर्जी बताया है.

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बेकसूर मूक-बधिर लोगों को पुलिस ने मार कर नक्सली बताया- मनीष कुंजाम

सर्व आदिवासी समाज के सदस्य, पूर्व विधायक रहे मनीष कुंजाम ने प्रशासन पर आराेप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने निर्दोषों को मारा है. पुलिस के आला अधिकारी गजब की कहानी बनाने में माहिर है. बेकसूर गूंगे-बहरे लड़कों को मार कर नक्सली बताया गया हैं। ये पूरी एनकाउंटर ही फर्जी है, जिस कहानी को जंगल में सजाया गया और पत्रकार, शासन जैसे लोगों के रखा गया. मनीष कुंजाम ने कहा कि मैं पीडिया गांव जाकर आया हूं और एक रात ग्रामीणों के बीच हमारी पूरी टीम ने गुजारा हैं। उनका दर्द हम समझ सकते हैं. ग्रामीण तेंदूपत्ता तोड़ने गए थे. पुलिस ने गोलीबारी की. कुछ लोग घर के अंदर चले गए, कुछ जंगल में ही छिपने लगे थे और उन्हें मार दिया गया।

जानें आखिर क्या थी पीड़िया मुठभेड़ की कहानी?

बीजापुर जिले के पीड़िया में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ को कथित बताते हुए सर्व आदिवासी समाज की 58 सदस्यीय टीम 17 मई को गांव पहुंचा था. जहां इस बात का खुलासा हुआ कि “मारागुमेड तेंदूपत्ता खरीदी फड़ में ग्रामीण तेंदूपत्ता खरीदने और बेचने के लिए गए हुए थे. अचानक पुलिस टीम को आता देख वहां मौजूद लोग भागने लगे. ये देखकर पुलिस की टीम ने चारों ओर से ग्रामीणों को घेर लिया. कुछ लोग पेड़ पर चढ़ गए तो कुछ झाड़ियों के पीछे छुप गए. बताया गया कि ग्रामीणों ने अपने आप को साधारण आदमी बताने के बाद भी पुलिस टीम ने उन्हें गोली मार दी. पेड़ पर चढ़े ग्रामीण ताती सुक्कू को गोली लगने के बाद उसका शव पेड़ में ही लटका रहा. जिसे बाद पुलिस जवानों ने शव पेड़ से उतारा. इसके अलावा जिस ग्रामीण को मरने के बाद इनामी घोषित किया था, वह अभी भी जिंदा है, जबकि एक जेल में बंद है.” सर्व आदिवासी समाज ने पीडिया मुठभेड़ को पूरी तरह से फर्जी बताया.

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