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Chhattisgarh: बिलासपुर के स्कूल में चल रहा आयुर्वेदिक कॉलेज, बिल्डिंग और संसाधनों का अभाव फिर भी हर साल 75 सीटों की मान्यता

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आयुर्वेदिक कॉलेज

Chhattisgarh News: बिलासपुर में आयुर्वेदिक कॉलेज स्कूल में संचालित हो रहा है. सुनकर थोड़ी हैरानी होगी लेकिन यह सच है. जूना बिलासपुर में जिस बिल्डिंग पर यह कॉलेज चल रहा है, वह पहले नागो राव शेष स्कूल के नाम से प्रचलित था और आज भी जगह की पहचान वही है, लेकिन जमीन और इन्फ्रास्ट्रक्चर के अभाव में शासन ने इस आयुर्वेदिक कॉलेज संचालित करने के लिए दे दिया है, लेकिन यहां सुविधाओं की कमियां 8 साल से बरकरार है. साल 2014 में जब बिलासपुर को आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल चलाने की अनुमति मिली. तब शासन के पास कोई विकल्प नहीं था और इसे कॉलेज के लिए दिया गया और तब से यहां यानी स्कूल में आयुर्वेदिक कॉलेज चल रहा है.

सबसे बड़ी बात यह है कि यहां सुविधाओं का अभाव है. आयुर्वैदिक कॉलेज के छात्र यानी भावी आयुर्वैदिक कॉलेज के डॉक्टर पहले से पांचवी तक की कक्षाओं में बैठकर चिकित्सा पद्धति की पढ़ाई कर रहे हैं. सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहां बिल्डिंग जगह-जगह खराब हो रही है. कहीं सिपच तो कहीं जल जमाव है और ऐसी ही स्थिति में भावी आयुर्वेदिक डॉक्टर पढ़ाई करने को लाचार हैं.

प्रैक्टिकल के लिए करते हैं तीन किमी का सफर

आयुर्वेदिक कॉलेज जूना बिलासपुर में है, और आयुर्वेदिक अस्पताल नूतन चौक में कुल मिलाकर इसकी दूरी 3 किलोमीटर के करीब है, और आयुर्वेदिक कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र जब भी प्रेक्टिकल की जरूरत होती है 3 किलोमीटर सफर करते हैं. छात्र बताते हैं, उनके यहां हॉस्टल और आयुर्वेदिक कॉलेज दोनों की स्थिति ठीक नहीं है. भीषण गर्मी में कलर और पंखे का अभाव बना है दूसरी समस्याएं भी सालों से सुधार नहीं पा रही है और ऐसी ही स्थिति में उन्हें पढ़ाई करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि आखिर केंद्रीय चिकित्सा के अधिकारी इस कॉलेज को चलाने की मान्यता किस आधार पर दे रहे हैं क्योंकि नियमों के हिसाब से यहां गार्डन खेल मैदान और दूसरी चीज होनी चाहिए जो नहीं है.

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इन सुविधाओं का बड़ा अभाव

आयुर्वैदिक कॉलेज कम से कम 10 एकड़ जमीन में होनी चाहिए. बोटैनिकल गार्डन होना चाहिए ताकि बच्चे उसे पर पढ़ाई कर सकें. प्ले ग्राउंड होना चाहिए जिसमें भी खेल सके. लेकिन किसी प्राइमरी स्कूल से भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी बिल्डिंग में इन बच्चों को पिछले 8 साल से पढ़ाई करनी पड़ रही है, और ऐसे में इस बात को लेकर सवाल है कि आखिर कैसे आयुर्वेदिक डॉक्टर पढ़ाई और इलाज के पद्धति सीखेंगे और आम लोगों का आयुर्वेदिक तरीके से इलाज करेंगे. साथ ही गर्ल्स और बॉयज दोनों हॉस्टल में कई परेशानी है जिस छात्र अपनी जुबान से खुद बता रहे हैं.

समस्या तो है, लेकिन 12 एकड़ जमीन मिल गई

अभी जब तक जूना बिलासपुर के नागोराव स्कूल में आयुर्वेदिक कॉलेज संचालित है तब तक थोड़ी-थोड़ी समस्या होगी लेकिन रामतला में हमें 12 एकड़ जमीन मिली है वहां 2 करोड़ रुपए सैंक्शन भी हो गए हैं जिसमें आने वाले समय में बिल्डिंग और बाकि सुविधाएं तैयार होगी. उसके बाद दिक्कत नहीं होगी.

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