Chhattisgarh: लोकसभा में मिली हार पर समीक्षा में कांग्रेस पदाधिकारियों का फूटा गुस्सा, बोले- TS सिंहदेव को किनारे करना हार की वजह

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार रहने के बाद भी सरकार में टीएस सहदेव की अनदेखी की गई. उनके समर्थकों को किनारे रखा गया. इसके कारण कार्यकर्ताओं और पदाधिकारी का मनोबल पर बुरा असर पड़ा.

लोकसभा में मिली हार पर समीक्षा में कांग्रेस पदाधिकारियों का फूटा गुस्सा

Chhattisgarh Politics: लोकसभा चुनाव 2024 की समीक्षा के लिए कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में बिलासपुर में बैठक आयोजित किया गया. जिसमें सरगुजा जिला कांग्रेस के सभी वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे. जिन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार रहने के बाद भी सरकार में टीएस सहदेव की अनदेखी की गई. उनके समर्थकों को किनारे रखा गया. इसके कारण कार्यकर्ताओं और पदाधिकारी का मनोबल पर बुरा असर पड़ा और सरगुजा में विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. बैठक में कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने प्रदेश संगठन में अमूल चूल परिवर्तन की मांग की. समीक्षा बैठक के बाद अब माना जा रहा है कि कांग्रेस छत्तीसगढ़ में बड़ी सर्जरी कर सकती है और आने वाले दिनों में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जा सकते हैं.

छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सरगुजा सरगुजा संभाग के सभी 14 विधानसभा सीट में हार का सामना करना पड़ा था. वहीं सरगुजा लोकसभा सीट भी कांग्रेस हार गई. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सरगुजा जिले में लगभग 3900 वोटों से पिछड़ गई थी जबकि सरगुजा लोकसभा क्षेत्र में करीब 64000 वोटों से उसकी हार हुईं. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस 11 में से मात्र 1 सीट ही जीत पाई. इन परिणामों की समीक्षा हेतु अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली और हरीश चौधरी को जवाबदेही दी गई है.

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सरगुजा में मिली हार की समीक्षा बैठक में बालकृष्ण पाठक, अजय अग्रवाल, शफ़ी अहमद, डॉ अजय तिर्की, मधु सिंह, जे पी श्रीवास्तव, द्वितेंद मिश्रा, राकेश गुप्ता, विनय शर्मा, अनूप मेहता, शिवप्रसाद अग्रहरि, राकेश सिंह मौजूद थे. जिन्होंने कहां की छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस की सरकार थी तब टीएस सिंह देव को विपक्ष की भूमिका की स्थिति में रखा गया. उनके द्वारा जिन लोगों का ट्रांसफर और पोस्टिंग के अनुशंसा की जाती थी उसे पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी. उनके समर्थकों का बात नहीं सुना जा रहा था. उनके माध्यम से सरगुजा के विकास के लिए तैयार किए जाने वाले प्रस्तावों पर भी कोई काम नहीं हो रहा था. इसकी वजह से विधानसभा चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को यहां हार का सामना करना पड़ा.

बैठक में पूर्व विधायक बृहस्पति सिंह और पूर्व डिप्टी सीएम सिंहदेव के बीच का विवाद भी उठा और इसे भी हार की एक बड़ी वजह बताई गई. इस दौरान पूर्व विधायक और केबिनेट मंत्री डॉ प्रेम साय सिंह, अमरजीत भगत और डॉ प्रीतम राम भी इस दौरान मौजूद रहे. समीक्षा बैठक के दौरान उन सभी कारकों पर चर्चा हुई जिनके कारण लोकसभा साथ ही विधानसभा चुनाव में पार्टी को निराशाजनक परिणाम मिले. संगठन में गतिशीलता लाने के लिए प्रदेश स्तर पर अमूल चूल परिवर्तन की सिफारिश सरगुजा जिले के पदाधिकारियों ने की है.

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बता दें कि जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी तब टीएस देव मंत्री रहते हुए अपने पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं से कई बार यह कहते सुने गए थे कि सरकार में उनकी नहीं सुनी जा रही है. कलेक्टर और एसपी तक उनकी बात नहीं मान रहे हैं. यहां तक की जब सरकारी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर उनके पास जाते थे तब भी वे यही बात उनसे भी कहते थे. सरगुजा में तब यहां अमरजीत भगत और सिंह देव का दो अलग धड़ा चलता था. भगत को मुख्यमंत्री का बेहद करीबी माना जाता था वहीं सिंहदेव विपक्ष के नेता की तरह दिखाई देते थे और यही वजह था, जिसकी वजह से सरगुजा में कांग्रेस पूरी तरह से हार गई थी.

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