Chhattisgarh News: शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा हर साल राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार दिए जाते है. जिसके अंतर्गत शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और अलख जगाने वाले शिक्षकों को पुरस्कृत किया जाता है, ये सम्मान हर साल शिक्षक दिवस के पहले देश भर के शिक्षको को दिया जाता है. जिसके अंतर्गत इस बार भी विभाग की ओर से इस अवॉर्ड के लिए 50 शिक्षकों का चयन किया गया है, जिसमे दुर्ग जिले की भी शिक्षक शामिल है.
दुर्ग की टीचर के. शारदा का राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयन
दुर्ग ज़िले के खेदामारा शासकीय अपर प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका के. शारदा का चयन राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए किया गया है. अब के शारदा की खास बात ये है कि दुर्ग जिले की शिक्षिका के. शारदा बैसाखी के सहारे चलती हैं और उनका दाहिना हाथ भी काम नहीं करता लेकिन काम के प्रति समर्पण ऐसा कि कोरोनाकाल में मोहल्ला क्लास में बच्चों को पढ़ाया और डिजिटल साक्षर अभियान का हिस्सा बनते हुए पढ़ाई से जुड़े 270 से ज्यादा वीडियो अपलोड किए और खुद की वेबसाइट तैयार कर बच्चों को मदद की अब उन्हें राष्ट्रपति के हाथों राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने जा रहा है. शिक्षिका शारदा जिले के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला खेदामारा में बच्चों को पढ़ाती हैं.
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शिक्षा के क्षेत्र में कई नवाचार कर पेश की मिसाल
कोरोना में बच्चों के लिए बनी मदद वे साल 2009 से इस स्कूल में सेवाएं दे रही हैं. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई नवाचार और चुनौतियों का सामना करके मिसाल पेश की है. उनकी इसी काबिलियत ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है के शारदा ने कई किताबे लिखीं जिनमें गणित समेत कहानियों का सार शामिल हैं, ये पुस्तकें छात्रों की पढ़ाई को सरल बनाती हैं और उन्हें मूल्य आधारित शिक्षा से जोड़ती हैं. उन्होंने दो राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात के बच्चों के साथ ट्यूनिंग की जिससे बच्चों को एक-दूसरे की संस्कृति को समझने का मौका मिला.के. शारदा ने अपने स्कूल के लिए एक लैपटॉप, स्कूल की लाइब्रेरी के लिए 60 पुस्तकें दान की और बच्चों के लिए स्वेटर, जूते, कॉपियों का सेट और पेन की व्यवस्था भी की. पेशेवर विकास कार्यक्रमों और पीएलसीएस में भी सक्रिय रूप से हिस्सा लिया. जिससे उन्होंने अन्य शिक्षकों और समुदाय को प्रेरित किया और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया.