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Chhattisgarh: 42 साल पहले जगजीत सिंह गजल गाकर चले गए, चार दशक बाद भी मनोरंजन कर और शराब के ढाई करोड़ वसूल नहीं पाया आबकारी विभाग

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दिखावे की कार्रवाई कर रहा विभाग

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर छोटे-मोटे गांव में शराब पड़कर शाबाशी का इंतजार कर रहा आबकारी विभाग पिछले 40 साल से मनोरंजन कर और शराब की बकाया राशि वसूलने में फेल हो चुका है. इतने सालों में लगभग ढाई करोड़ रुपए जाम पड़े हैं. इसके लिए आपकारी विभाग से राजस्व में चिट्ठी चल रही है, लेकिन वसूली की प्रक्रिया शून्य है. सबसे बड़ी बात यह है कि आबकारी विभाग ने इन पैसों की वसूली को लेकर फाइल दबा दी है. और बिलासपुर में ऐसा कर खुले तौर पर रसूखदारों को लाभ पहुंचाने का बड़ा खेल चल रहा है. इसके बावजूद आबकारी आयुक्त दिनकर वासनिक इस तरफ ध्यान देने को तैयार नहीं है. इतने पैसों की वसूली के लिए सिर्फ सरकारी चिट्टियां एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर जा रही है, लेकिन महज 200 मीटर के दायरे में दो दफ्तर यानी आबकारी विभाग और राजस्व विभाग पिछले 40 साल से इन पैसों की वसूली को लेकर फेल हो चुका है, हालांकि तहसीलदार मुकेश देवांगन का कहना है जैसे ही आपकारी विभाग के अधिकारी फिर से चिट्ठी लिखेंगे वे संबंधित व्यक्ति से कार्यवाही की फाइल बढ़ाएंगे लेकिन सवाल है कि आखिर आबकारी विभाग के अधिकारी यह चिट्ठी कब और कैसे लिखेंगे क्यों कि उन्हें इसकी तरफ ध्यान नहीं है.

1980 में आए थे जगजीत सिंह

बिलासपुर में गजल सम्राट जगजीत सिंह साल 1980 में आए थे. उन्होंने नेहरू चौक के आसपास एक बड़े कार्यक्रम समारोह में हिस्सा लेकर गजल की प्रस्तुति दी थी. तब बिलासपुर में काफी बड़ा आयोजन हुआ था और इसी का 33 लख रुपए आज तक मनोरंजन कर के तौर पर जमा नहीं हो पाया है. अचरज की बात यह है कि आबकारी विभाग के अधिकारी उसे व्यक्ति को ढूंढने में नाकाम है. जिसने यह कार्यक्रम करवाया था यही वजह है कि एक बेनामी चिट्ठी पिछले 40 साल से चल रही है और पैसों की मांग हो रही है लेकिन पैसे देगा कौन यह बड़ा सवाल है क्योंकि उस चिट्ठी में किसी का नाम नहीं है.

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शराब के बकाया राशि को लेकर सिर्फ हवा बाजी

मनोरंजन करके तौर पर सिर्फ 33 लाख नहीं बल्कि 50 लाख से अधिक राशि जाम है. इसमें साल 1995 में अनुराधा पौडवाल का कार्यक्रम और दूसरे बड़े गायक के कार्यक्रम और आयोजन शामिल है जिनका पैसा आज तक आबकारी विभाग वसूल नहीं पाया है. दूसरी तरफ लगभग डेढ़ करोड़ की राशि शराब की फंसी हुई है. जिसे लेकर उन संबंधित शराब ठेकेदारों को पत्राचार किया जा रहा है जिन्होंने कभी बिलासपुर में शराब का कारोबार किया था और उसके एवज में आबकारी विभाग से उठाया गया शराब की बोतल और ठेकेदारी का पैसा उन्होंने जमा नहीं किया. कुल मिलाकर वसूली की प्रक्रिया को लेकर आबकारी और राजस्व विभाग दोनों के अधिकारी फेल हैं. और सिर्फ दिखावे के लिए चंद शराब बेचने वालों पर कार्यवाही की जा रही है, ताकि पब्लिक को या मैसेज दिया जा सके कि वह गलत गतिविधियों के खिलाफ हैं.

बिलासपुर के नायब तहसीलदार मुकेश देवांगन का कहना है कि वह आबकारी विभाग की चिट्ठी पाते ही वसूली की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे. उनके मुताबिक फिलहाल यह पत्र उन तक नहीं पहुंचा है जो आबकारी अधिकारियों ने भेजा है यही वजह है कि मामला ठंडा है.

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