Chhattisgarh News: हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि नोटिस की तामीली महज औपचारिकता नहीं है, इसे वास्तविक और सार्थक होना चाहिए, ताकि दूसरा पक्ष भी अदालत के सामने उपस्थित होकर अपनी बात और तर्क रख सके.
जानिए क्या है पूरा मामला
हाईकोर्ट ने इस आशय के निर्देश के साथ नोटिस तामील न होने के आधार पर एकतरफा तलाक को अनुचित ठहराया है. डिवीजन बेंच ने तलाक के आदेश को खारिज कर फैमिली कोर्ट को पुनः दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला देने के निर्देश दिए हैं. नियमानुसार रजिस्टर्ड नोटिस के बाद साधारण नोटिस भी देना था, लेकिन सिर्फ रजिस्टर्ड नोटिस जारी कर उसकी तामीली ना होने के आधार पर तलाक का एकतरफा आदेश दे दिया,पत्नी को तलाक के निर्णय की प्रति भी नहीं दी. इस आदेश को ही पत्नी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. पति ने पारिवारिक न्यायालय, धमतरी में तलाक के लिए वाद प्रस्तुत किया था. उसका विवाह 29 अप्रैल 2016 को हुआ था. अनबन की वजह से पति ने 10 जनवरी 2022 को तलाक के लिए याचिका दायर की. फैमिली कोर्ट ने अपीलकर्ता-पत्नी को नोटिस जारी किया और पत्नी के पते पर भेज दिया, लेकिन नोटिस पत्नी को नहीं मिला, जिससे वह 26 फरवरी 2022 को सुनवाई के लिए कुटुंब न्यायालय धमतरी में उपस्थित नहीं हुई.
इसके बाद साधारण नोटिस भी जारी करने का आदेश दिया गया और मामले की सुनवाई 26 मार्च 2022 तय कर दी गई. समन वापस आने पंजीकृत डाक की रिपोर्ट पर फेमिली कोर्ट ने एकपक्षीय कार्यवाही कर 26 मार्च 2022 को तलाक का आदेश पारित कर दिया. आदेश के विरुद्ध पत्नी ने एडवोकेट संतोष पांडे के जरिये हाईकोर्ट में अपील की. सुनवाई के दौरान पारिवारिक न्यायालय के रिकॉर्ड के अवलोकन से पता चला कि अपीलकर्ता-पत्नी को पंजीकृत नोटिस जारी किया गया था, लेकिन सामान्य नोटिस तामील नहीं किया गया. इस कोर्ट ने पंजीकृत नोटिस के आधार पर कार्यवाही की.
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद दिया आदेश
तथ्यों के आधार पर हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई का अवसर देना उचित माना, और अपीलकर्ता-पत्नी को फैमिली कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने और अपना पक्ष रखने के लिए निर्देशित किया है. दोनों पक्ष परिवार न्यायालय धमतरी के समक्ष 26 जून 2024 को उपस्थित होंगे और उसके बाद 30 दिन की अगली अवधि के भीतर अपीलकर्ता-पत्नी अपना लिखित बयान दर्ज कराएंगे.