Chhattisgarh: पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बने मोटल हुए जर्जर, 10 साल से बंद पड़े मोटल के सामान चोरी, करोड़ों का नुकसान

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार के द्वारा हर साल करोड़ों रुपए खर्च किया जा रहा है लेकिन जिम्मेदारों की अदूरदर्शिता के कारण छत्तीसगढ़ में पर्यटन का विकास तेजी से नहीं हो पा रहा है. इसका जीता जागता सबूत आज से 17 साल पहले प्रदेश के अलग-अलग जिलों में बनाए गए 18 मोटल हैं.
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पर्यटन स्थल में बना मोटेल

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार के द्वारा हर साल करोड़ों रुपए खर्च किया जा रहा है लेकिन जिम्मेदारों की अदूरदर्शिता के कारण छत्तीसगढ़ में पर्यटन का विकास तेजी से नहीं हो पा रहा है. इसका जीता जागता सबूत आज से 17 साल पहले प्रदेश के अलग-अलग जिलों में बनाए गए 18 मोटल हैं… यह मोटल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हाई फ़ाई रिसोर्ट की तरह बनाया गया था. इन मोटल का निर्माण ऐसी जगह पर किया गया जहां पर पर्यटक पहुंचते ही नहीं थे और कुछ साल बाद ये मोटल खंडहर होने लगे तो कई मोटल के दरवाजे और खिड़कियां तक चोरी हो गई. रायपुर के केंद्री में करोड़ों रुपए की लागत से बना मोटल कबाड़ और जर्जर हो गया है तो वहीं अंबिकापुर में बना मोटल सरकार द्वारा अब लीज पर निजी हाथों में सौंप दिया गया है.

2008 में बनाए गए 18 मोटल, अब खंडहर में बदली

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ में साल 2008 में 18 मोटल बनाए गए. मोटल को पर्यटकों के लिए ठहरने की व्यवस्था के साथ- साथ सर्व सुविधायुक्त बनाया गया. लेकिन आज 17 साल बाद स्थिति यह है कि कई मोटल ऐसे है जिनके दीवार और बिल्डिंग गिरने के कगार में है. पहले हम आपको तस्वीर दिखाते हैं राजधानी रायपुर से सटे केंद्री में बने एक मोटल की जिसकी हालत एकदम जर्जर हो गई है. मोटल का बिल्डिंग गिरने लगा है. करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए इस मोटल में सारा सामान चोरी हो चुका है. मोटल में लगाए गए दरवाजे खिड़की से लेकर इलेक्ट्रिक बोर्ड तक गायब हैं. जब हमारी टीम ग्राउंड पर पहुंची तो मोटल की हालत देखकर हैरान रह गई. मोटल अब खंडहर में तब्दील हो चुका है. चारों तरफ जंगल हो गया है. मोटल भवन में ही पेड़ उग गए हैं और तो और उद्घाटन के समय लगे मार्बल का बोर्ड भी गायब है. जब हम मोटल के अंदर पहुंचे तो नज़ारा चौंकाने वाला था. जिस मोटल को सर्व सुविधायुक्त पर्यटकों के लिए बनाया गया था वहां से सारा सामान चोरी हो चुका मिला. मोटल के अंदर लगे टाइल्स मार्बल उखड़े नजर आए, इलेक्ट्रिक बोर्ड स्विच वायर सब गायब, मोटल में लगा पंखा और लाइट भी गायब, दरवाजे और खिड़की तो चोरी हुए ही, इसके अलावा यूरिन पोर्ट भी गायब नजर आया. मोटल के अंदर केवल और केवल मालबा पड़ा हुआ था. बाकी सब गायब. पर्यटन को बढ़ाने के लिए बना खूबसूरत मोटल सिर्फ एक ढांचा बच गया है. मोटल के अंदर ही बड़े बड़े घास फूस पेड़ पौधे उग गए हैं. इस तरह केंद्री में बना मोटल पूरा अंदर से खोखला हो गया है.

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वहीं अंबिकापुर में सालों साल बंद रहने के बाद अब मोटल को लीज पर दिया गया है. मोटल की स्थिति को देखते हुए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान तय किया गया कि प्रदेश के सभी ऐसे जर्जर 18 मोटल को 30 साल के लिए लीज में दे दिया जाए और इसके लिए 3 साल पहले टेंडर जारी किया गया. टेंडर जारी करने के बाद इसे लीजधारियों को अब सौंपा जा रहा है. इसके बाद लीजधारी अब इन मोटल को अपने हिसाब से मॉडिफाई कर रहे हैं, कहीं रेस्टोरेंट के रूप में तो कहीं शादी घर के रूप में अंबिकापुर बनारस रोड में बने मोटल को मॉडिफाई किया जा रहा है.

18 मोटल व रिसार्ट को लीज में दिया गया, लेकिन काम चालू नहीं

जब हमने पूरे मामले में पर्यटन विभाग से बातचीत किया तो पता चला कि प्रदेश भर में बनाए गए मोटल कुछ साल चलने के बाद ही बंद हो गए थे. अच्छी सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने के कारण मोटल से लोग सामान चुरा ले गए. अब पर्यटन विभाग एक बार फिर मोटल को लीज पर दे रहा है.

पर्यटन विभाग के मुताबिक सालों से बंद पड़े मोटल को लीज देने पर सरकार को साल में एक मोटल का लगभग 50 से 60 लाख रुपए किराया मिलेगा. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर एक मोटल पिछले 10 साल से बंद है तो लगभग सरकार को प्रति साल 5 करोड़ का राजस्व का नुकसान हो रहा था. इस हिसाब से देखेंगे तो पिछले 10 सालों से बंद पड़े मोटलो से सरकार को 100 करोड़ के आस पास नुकसान हुआ है. इतना नुकसान होने के बाद अब सरकार इसे लीज पर दे रही है.

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