सरगुजा की 14 सीटें क्यों हारी कांग्रेस और T.S. Singh Deo…? पूर्व विधायक चिंतामणि महाराज ने बताया
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली है. 2018 के चुनाव में 90 सीटों वाले राज्य में कांग्रेस के 71 विधायक चुनकर आए थे. लेकिन 2023 में कांग्रेस 35 सीटों में ही अटक गई. इस हार के पीछे एक बड़ी वजह सिटिंग विधायकों के टिकट काटे जाने को लेकर माना गया. क्योंकि कांग्रेस ने 71 में से 21 विधायकों के टिकट को काट दिए. अब वहीं विधायक दावा कर रहे हैं कि अगर टिकट नहीं कटे हुए होते तो राज्य में कांग्रेस बहुमत के करीब पहुंच सकती थी. ये दावा कांग्रेस पार्टी में टिकट कटने के बाद भाजपा का दामन थामने वाले चिंतामणि महाराज ने किया है.
क्या चिंतामणि महाराज की वजह से कांग्रेस को चुनाव में मिली हार ?
दरअसल सरगुजा संभाग में 14 विधानसभा सीटें हैं, इसमें कांग्रेस को करारी हार मिली, यहां तक सरकार में डिप्टी सीएम रहे टी एस सिंहदेव भी अपनी सीट नहीं बचा पाए. अगर ये सभी 14 सीटें कांग्रेस जीत गई होती तो राज्य में कांग्रेस बहुमत के करीब यानी 44 सीटों के आस-पास पहुंच जाती. इस मामले में चिंतामणि महाराज ने विस्तार न्यूज से खास बातचीत करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस ने उनकी टिकट नहीं काटी होती तो सरगुजा संभाग के 14 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को करारी हार का सामना नहीं करना पड़ा होता. पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव की हार पर कहा कि सिंहदेव के विधानसभा में हमारे संत समाज के करीब 6 हजार अनुयायी हैं और मेरे भाजपा में जाने से वह वोट कांग्रेस के पक्ष में नहीं गया और सिंहदेव चुनाव हार गए. टीएस सिंहदेव को मात्र 94 वोट से हार का सामना करना पड़ा था.
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वैसा माहौल नहीं बनने देंगे: चिंतामणि
इसके आगे चिंतामणि महाराज ने कहा है कि कांग्रेस छोड़कर वे भाजपा में आए हैं. लेकिन अब भाजपा उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए सरगुजा लोकसभा से टिकट देती है या नहीं यह तय नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि इस पर पार्टी निर्णय लेगी और जो निर्णय होगा वह स्वीकार होगा. हालांकि वे कहते हैं कि हमारे अनुयायी इस उम्मीद में हैं कि टिकट मिलेगी. इस बीच एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर टिकट नहीं मिलती है तो अब वे वैसा माहौल नहीं बनने देंगे जैसा कांग्रेस से विधानसभा से टिकट कटने के बाद बना था.
इस वजह से बीजेपी में आए चिंतामणि!
आपको बता दें कि चिंतामणि महाराज ने जब कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन किया था तब उन्होंने मंच से भाजपा नेताओं से कहा था कि वे इसी शर्त पर भाजपा में जॉइन कर रहे हैं कि उन्हें लोकसभा में टिकट दिया जाएगा और तब उन्होंने वहां मौजूद अपने अनुयाईयों से पूछा था कि- ”भाजपा जॉइन करूं या नहीं ?” तब उन्होंने भी लोकसभा में टिकट की बात कही थी. चिंतामणि महाराज का दावा है कि, उत्तरी छत्तीसगढ़ में हजारों की संख्या में उनके अनुयायी हैं. इसके अलावा ये भी बता दें कि जब कांग्रेस ने चिंतामणि महाराज का विधानसभा टिकट काटा था तब भाजपा के नेता बृजमोहन अग्रवाल समेत अन्य नेताओं ने उनके गांव श्री कोट पहुंचकर उन्हें भाजपा शामिल करने खूब मनाया था और उन्होंने भाजपा प्रवेश किया था.
संत गहिरा गुरु के बेटे है चिंतामणि महराज
गौरतलब है कि चिंतामणि महाराज पहले भाजपा में ही थे, लेकिन 2013-14 में कांग्रेस में शामिल हो गए थे और इसके बाद लगातार 10 साल तक विधायक रहे थे. चिंतामणि महाराज का सरगुजा क्षेत्र में बड़ा वर्चस्व है. क्योंकि चिंतामणि महाराज के पिता संत गहिरा गुरू थे और उन्होंने आश्रम बनाया था और उत्तरी छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में आदिवासी समाज के बीच उन्होंने शिक्षा का प्रचार किया था और लोग उनकी पूजा करते हैं.