Chhattisgarh News:बिलासपुर के कानन पेंडारी जू में शेर, भालू, सांप और दूसरे जानवर दिखाने के नाम पर पर्यटकों के साथ मजाक हो रहा है. भीतर कई तरह की व्यवस्था चौपट हो चुकी है. बच्चों के लिए लाखों रुपए की लागत से लाई गई टॉय ट्रेन खराब है. पटरिया और झूले धीरे-धीरे बेकार होती जा रही हैं. ठंडे पानी के लिए लगा वाटर कूलर भी ठीक तरह से भीषण गर्मी में पानी की सप्लाई नहीं कर रहा है. कुल मिलाकर चारों तरफ यहां घूमने के नाम पर आने वाले लोग हैरान और परेशान हो रहे हैं इसके बावजूद कानून प्रबंधन सुधार के नाम पर ध्यान नहीं दे रहा है. यही वजह है कि लोगों को कई तरह से दिक्कत हो रही है.
कानन पेंडारी में टॉय ट्रेन और झूले हो रहे कबाड़
विस्तार न्यूज़ में शनिवार को कानन पेंडारी जू पहुंचकर यहां के जानवर और यहां घूमने आने वाले पर्यटकों की स्थिति को जाना. हालात चौंकाने वाले दिखे. कानन पेंडारी घुसते ही कई तरह के बच्चों के खेलने के समान और झूले कबाड़ के तौर पर इधर-उधर बिखरे दिख रहे हैं. झूले टूट चुके हैं. फिसल पट्टी भी खराब है जिनमें बच्चे खेल नहीं पा रहे हैं. यहां आने वाले पर्यटकों से प्रवेश शुल्क के तौर पर ₹20 लिया जाता है, और भीतर हर जगह अलग-अलग स्थान के अलग-अलग चार्ज तय किए गए हैं. मछली दिखाने के नाम पर ₹10 लिए जा रहे हैं, और हालात यह है कि पैसे देने के बावजूद कई तरह के जीव और जानवर लोगों को नहीं दिख रहे तो उन्हें हताश और हैरानियों का सामना करना पड़ रहा है. बड़ी बात यह है की शिकायत को लेकर यहां कानन पंडारी प्रबंधन ने एक काउंटर तो तैयार किया है लेकिन उनमें भी कोई बैठता नहीं है तो सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर लोगों की सुनेगा कौन?
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जानवरों के लिए ठंडक का कोई इंतजाम नहीं
भीषण गर्मी में कानन पेंडारी प्रबंधन ने जानवरों को ठंडक देने का कोई इंतजाम नहीं किया है. शेर के केज में पानी तक के इंतजाम ठीक से नहीं किए गए हैं और गर्मी के कारण वह सोता हुआ नजर आ रहा है. जिस जगह अजगर दिखाने का बोर्ड डिस्प्ले किया गया है उसके भीतर मुर्गियां दिख रही हैं. सांपों के केज में भी कई जगह खाली खाली सा नजारा है. यही कारण है कि लोग यहां पहुंच कर खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.
65 एकड़ में फैले जू का रखरखाव भी ठीक से नहीं
कानन पेंडारी का विस्तार क्षेत्र 65 एकड़ में किया गया है. लोगों की सहूलियत के लिए यहां बैटरी वाली गाड़ियां तो है, लेकिन वह भी मनमाना किराया ले रही है. इन गाड़ियों पर चलने के लिए प्रत्येक व्यक्ति से ₹300 लिया जा रहा है. जिनमें जाना लोग पसंद भी नहीं कर रहे हैं और पैदल चलने पर उन्हें ठंडे पानी की व्यवस्था नहीं मिल पा रही है यानी वाटर कूलर होने के बावजूद पानी ठंडा नहीं मिल रहा है. लोगों का कहना है कि पहले जिस तरह की व्यवस्थाएं यहां जानवर से लेकर पर्यावरण की थी वह धीरे-धीरे अब खराब होती दिख रही है उनके मुताबिक जानवरों को भी गंदे पानी में रखा जा रहा है, जिसके कारण उन्हें संक्रमण और बीमारियों का खतरा है.