Chhattisgarh News: बिलासपुर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में बेकार और बेकाम रेलवे कोच का इस्तेमाल अस्थाई घर बनाने के तौर पर हो रहा है. रेलवे स्टेशन के ट्रैक पर या पटरियों के किनारे खड़े इंजनों को देखकर एक बार लगेगा की सारी बेकार है लेकिन इनका इस्तेमाल रेलवे के अधिकारी और वेंडर कुछ अलग तौर पर ही कर रहे है.
रेलवे ट्रैकमैन का दूसरा घर बना बर्थ
इसे एक अस्थाई घर का स्वरूप दिया गया है जिनमें उन कर्मचारियों को जगह दी गई है जो पूरे बिलासपुर डिवीजन के रायपुर नागपुर और अन्य स्टेशनों पर यात्री सुरक्षा के लिए पटरियों को सुधारने का काम करते हैं. सभी बर्थ को काफी अच्छे से बनाया गया . जहां कर्मचारी बड़े आराम से घर बना कर रह रहे हैं. इन बर्थ में किचन डाइनिंग हॉल और टीवी एक कूलर की सुविधा है जहां वे बड़े ही आराम से अपना जीवन गुजारते हैं. रेलवे ट्रैकमैन किसी भी समय किसी भी स्टेशन पर पहुंचकर लाइन यानी स्टेशनों से होकर गुजरी पटरियों को सुधारने का काम करते हैं इसलिए उनके आने और जाने का कोई निश्चित वक्त नहीं होता है. यही वजह है कि रेलवे के अधिकारियों ने उन्हें इस बर्थ को दे दिया है जिनमें वह वैसे ही रहते हैं जैसे घरों में लोग रहते हैं.
इस तरह चलता है रेलवे का काम
रेलवे के अधिकारी बेकार इंजन का इस्तेमाल भी कर रहे हैं. रेलवे बर्थ के साथ-साथ कुछ और ट्रेनों को स्टेशनों के किनारे पर रखा गया है जिन्हें बैटरी मेडिकल और दूसरी सुविधाओं के लिए इस्तेमाल में लाया जा रहा है. कुल मिलाकर रेलवे बेहतरीन के लिए कोच का इस्तेमाल अलग-अलग चीजों के लिए कर रहा है. जब कोरोना का दौर था तब भी बर्थ को अस्थाई अस्पताल बनाया गया था. जिनमें लोगों को आइसोलेट रहने और इलाज और डॉक्टर की सुविधा प्रदान की गई थी.