Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक नजारा आम हो गया है. वह जगह-जगह रेत रखने का. मानसून में बारिश से पहले लोग इसे सहज लेना चाह रहे हैं. यही कारण है कि घरों के सामने, सरकारी दफ्तरों के आगे और सार्वजनिक स्थानों के आसपास भी रेत का ढेर रखा जा रहा है. इसके कारण कभी भी किसी भी वक्त कोई भी बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है. बिलासपुर की अरपा नदी हो या फिर खारंग मनिहारी नदी हो या कोई और इलाका रेत माफिया जगह-जगह से इसे निकाल रहे हैं और बारिश निकलने से पहले इसे रखने की तैयारी बड़ी जोर शोर से चल रही है. विस्तार न्यूज़ की टीम ने ऐसे ही 7 जगहों का जायजा लिया तो पाया कि बड़ी-बड़ी कमर्शियल बिल्डिंग और घर मकान के लिए लोग इसे बाउंड्री वॉल के भीतर या खुले जगह पर रख रहे हैं.
इन जगहों पर चल रहा रेत डंपिंग
बिलासपुर में उसलापुर सीपत चौक, गीतांजलि सिटी, सेंदरी, सकरी रानीगांव, भरारी समेत तमाम गांव और इलाकों में यह खेल चल रहा है बड़ी बात यह है कि खनिज विभाग के अधिकारी या नगर निगम का कोई अफसर इन रेत माफियाओं से यह पूछता नजर नहीं आ रहा है कि वह इसे कहां से ला रहे हैं. यही वजह है कि नदियों में जहां रेट की चोरी हो रही है वहीं बारिश से पहले ट्रैक्टर और बैलगाड़ी से रेत की ढुलाई करते हैं बड़ी आसानी से लोग दिख रहे हैं. बॉक्स: प्रति ट्रैक्टर रेत 5 से ₹6000 घर मकान निर्माण के लिए जिस तरह रेत का रेट दिनों दिन बढ़ता जा रहा है, उसके कारण ही लोग इसे सहेज कर रख लेना चाह रहे हैं बल्कि क्वालिटी के हिसाब से रेत का रेट प्रति ट्रैक्टर 5 से ₹6000 तक बिक रहा है. अरपा नदी मनिहारी नदी अच्छी नदियों के रेत का रेट ज्यादा है वही दूसरी नदियों के रेत का रेट कम है जिसके चलते ही लोग सामान की गुणवत्ता के हिसाब से इसे तय कर रहे हैं.
निगम भी कर रहा यह काम
सिर्फ आम लोग नहीं बल्कि सरकारी अधिकारी भी निर्माण को लेकर रेत को डंप करने से नहीं चूक रहे हैं और आधा शहर डंपिंग यार्ड के रूप में तब्दील हो चुका है. परिस्थितियों चाहे कुछ भी हो लोगों को इसके कारण भारी तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है. बड़ी बात यह है किसकी तरफ कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है.