Chhattisgarh News: बिलासपुर के तिफरा में औद्योगिक क्षेत्र बसाने का सपना चकनाचूर हो गया है. इसका कारण एकमात्र वह सड़क है जो पिछले 10 साल से अधूरी पड़ी हुई है. कारण है एक पूर्व पार्षद और निगम के एल्डरमैन ने सड़क पर आपत्ति जता दी थी. दरअसल साल 2015 में सीएसआईडीसी ने इस क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र यानी सेक्टर डी बनाने के लिए एक बढ़ी प्रोजेक्ट लाई थी. इसके तहत इस इलाके में कई तरह की इंडस्ट्रीज खोलने और व्यापारियों को यह जगह उपलब्ध करवानी थी लेकिन सबसे बड़ी समस्या जमीन को लेकर सामने आ गई. यह पूरा इलाका व्यापारिक क्षेत्र तो घोषित कर दिया गया लेकिन इन व्यापारिक गतिविधियों के लिए जिस सड़क का निर्माण करवाया गया वह आधी अधूरी पड़ी है. इसके तहत ही बिलासपुर में मंडपम नाम के शादी घर के किनारे से यदुनंदन नगर तिफरा होते हुए कई कॉलोनी को जोड़ने के लिए रोड का निर्माण करवाया गया.
इसकी कुल लागत 10 करोड़ थी. कल 2 से 3 किलोमीटर बनने वाली यह सड़क पिछले 10 साल बाद भी नहीं बन पाई है, मुख्य मार्ग की तरफ आधी अधूरी और कॉलोनी की तरफ पूरी तरह बन गई. इस रोड का उपयोग अब शराबी कर रहे हैं. मौके पर शराब की बोतल डिस्पोजल और कचरा साफ दिखता है. सबसे बड़ी बात यह है कि नगर निगम ने इस क्षेत्र को हैंड ओवर ले तो लिया है लेकिन अभी भी सड़क अधूरी पड़ी है और इसी गड्ढे से होकर इस कॉलोनी और आसपास के इस क्षेत्र से लगे लोग आना-जाना कर रहे हैं. समस्या ग्रस्त लोग बताते हैं कि कभी स्कूली बस तो कभी कुछ और गाड़ी इन गड्ढों में पलट जाती है लेकिन इसकी तरफ कोई ध्यान देने वाला नहीं है.
जानिए क्या है पूरा मामला
असल में साल 2015 में इस इलाके को औद्योगिक क्षेत्र बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया था . इसके तहत 75 नई इंडस्ट्रीज आने वाली थी . इसके लिए 76 एकड़ जमीन को टुकड़ों में काटकर उन युवाओं को उपलब्ध करवाया गया जो इससे जुड़कर आत्मनिर्भर बनना चाहते थे. लेकिन सिर्फ मौके पर रोड नहीं बनने के कारण उनका यह सपना सिर्फ सपना ही रह गया. जानकार बताते हैं कि इससे बिलासपुर का चहुमुखी विकास होता. लेकिन सिर्फ एक आपत्ति के कारण यह पूरा मामला आज तक अटका हुआ है.
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चारों तरफ बनी कॉलोनी, अब हो रही समस्या
तिफरा के इस क्षेत्र में आबादी के लिहाज से अब नया बिलासपुर बन चुका है. यदुनंदन नगर, साई बिहार, रामा ग्रीन सिटी के अलावा कई बड़ी कालोनियां बस चुकी है. इसलिए अब यहां उद्योग बस पाएगा या नहीं इस बात को लेकर सवाल है लेकिन यह सड़क जो पिछले 15 साल से अधूरी है उसे बनाने का प्रयास भी नहीं किया जा रहा हैं . और यही कारण है कि लोगों को बहुत दिक्कत हो रही है. लोगों को इंतजार है कि यह सड़क बनेगी तो उन्हें काफी राहत मिलेगी लेकिन यहां कहानी अभी साफ नहीं है कि कब सड़क बनेगी तो कब उन्हें राहत मिलेगी.
10 करोड़ रुपए ऐसे हो गए बर्बाद
बिलासपुर में आज भी रोड को लेकर खींचतान जारी है. नगर निगम और सीएसआईडीसी के अधिकारी एक दूसरे के ऊपर मामले को डालकर खुद को इससे अलग कर रहे हैं. जिस व्यक्ति की यह जमीन है उसे मुआवजा देकर इस मामले को खत्म करना है लेकिन आज भी यह मामला कोर्ट कचहरी के चक्कर में पड़ा है, उलझा है, और लोगों को राहत नहीं मिल रही है. निगम के अधिकारी आज भी सीएसआईडीसी के अफसर को इसका जिम्मेदार बताते हैं और खुद का दामन बचाते आ रहे हैं।
सीएसआईडीसी(CSIDC) को ही बनानी है सड़क
नगर निगम के अधीक्षण अभियंता राजकुमार मिश्रा ने बताया कि नगर निगम ने साल 2018 में इस क्षेत्र को निगम का हिस्सा बनाया है लेकिन फिलहाल इस बात का निर्णय नहीं हो सका है कि यहां सड़क कौन बनाएगा और मुआवजा कौन देगा। यही कारण है कि जिस व्यक्ति की जमीन है उसे मुआवजा नहीं मिला है और वह आगे सड़क बनने नहीं दे रहा है आने वाले समय में सीएसआईडीसी को या नगर निगम को इस मामले को सुलझाना है यह बड़े अधिकारी या शासन के निर्देशों के बाद तय होगा फिलहाल इसमें ज्यादा जानकारी सीएसआईडीसी के अधिकारी दे सकते हैं.