Chhattisgarh News: NSUI पदाधिकारी ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कमीशनखोरी और मनमानी को लेकर सोमवार को कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर कार्यवाही की मांग की है. वहीं इसी दिन जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तर का घेराव भी किया गया. हैरंजेश सिंह NSUI प्रदेश सचिव के नेतृत्व में जिला कलेक्टर के नाम सिटी मजिस्ट्रेट व जिला शिक्षा अधिकारी टी आर साहू को ज्ञापन सौंपकर गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में प्रवेश पर त्वरित रोक लगाने एवम गैर मान्यता प्राप्त संचालित होने वाले सेंट जेवियर स्कूल के चार ब्रांच जबड़ा पारा सरकंडा उसलापुर, कोटा और सिरगिट्टी ब्रांच बंद करने की बात रखी गई.
इन बिंदुओं पर जांच की मांग
1. सीबीएसई बोर्ड ने जिले में सेंट जेवियर्स स्कूल संचालित करने के लिए सिर्फ दो स्थानों भरनी और व्यापार विहार में अनुमति दी है, लेकिन सेंट जेवियर्स स्कूल प्रबंधन द्वारा जबड़ापारा सरकंडा, उसलापुर, सिरगिट्टी और कोटा में फर्जी तरीके से सेंट जेवियर्स हाई स्कूल का संचालन किया जा रहा है, जहां वर्तमान में पालकों को धोखे में रखकर भारी संख्या में बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है। इन चारों स्कूलों में स्टूडेंट्स के पालकों से मोटी फीस वसूली जा रही है, यहां हर साल एडमिशन फीस ली जाती है। इन चारों संस्थानों की आय व्यय का ब्यौरा छिपाया जा रहा है। इन स्कूलों में बोर्ड कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों को परीक्षा दिलाने के लिए भरनी स्थित मुख्य ब्रांच ले जाया जाता है। इन चारों जगहों पर जिला शिक्षा विभाग से सिर्फ नर्सरी से आठवीं तक स्कूल संचालित करने की अनुमति मिली हुई है, लेकिन इन स्थानों पर शिक्षा विभाग के नियम के अनुसार सुविधाएं तक नहीं है.
2. इसी तरह महमाया पब्लिक स्कूल रतनपुर में सत्र 2022 एवम 23 में टोटल आरटीई के तहत अध्ययनरत 443 बच्चो ने ड्रॉप आउट किया है. सवाल ये उठता है कि शहर स्थित प्रतिष्ठित स्कूलों में भी इतनी अधिक संख्या में आरटीआई के छात्र छात्राएं नही है, फिर इस स्कूल में इतने आरटीआई के बच्चे कैसे अध्यनरत थे इसकी जांच हो, आखिर दो साल के भीतर आरटीआई के तहत अध्यनरत बच्चो ने ही ड्रॉप आउट क्यों किया, यह जांच का विषय है. हमें पूरा यकीन है कि यहां सरकार के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है.
3. जिले में संचालित सीबीएसई और सीजीबीएसई संस्थान द्वारा मान्यता प्राप्त लगभग सभी स्कूल संस्थान द्वारा अलग अलग पब्लिकेशन की बुक का उपयोग किया जाता है, जिससे छात्र और पालक इन पुस्तकों को खरीदने के लिए बाध्य हो जाते हैं. ये बुक स्कूल या प्रबंधन द्वारा बताए गए शॉप से ही खरीदने की मजबूरी होती है, बुक्स की आड़ में स्कूल प्रबंधन द्वारा कमीशनखोरी की जाती है. एक जानकारी के अनुसार एनसीईआरटी प्रकाशन की कुछ क्लास की पुस्तकें महज 500 रुपए में मिल जाती हैं, जबकि इसी क्लास की प्राइवेट प्रकाशन की पुस्तकों की कीमत 2500 से 3000 रुपए होती है। अगर सभी संस्थान को एक माध्यम से मान्यता मिली हुई है, तो फिर यहां बुक्स अलग अलग क्यों चलाई जा रही है. हमारी मांग है कि सभी स्कूलों में उन्हीं पुस्तकों को चलाया जाए, जो पुस्तकें मुख्यमंत्री डीएवी स्कूल और स्वामी आत्मानंद स्कूलों में चल रही है. इन्हीं मामलों में जांच और कार्यवाही की मांग की गई है.