Chhattisgarh News: आज का दिन भिलाई का वह काला दिन हैं, जो आज भी भिलाईवासी इस दिन की घटना को भूल नहीं पाते हैं. इस घटना ने ना केवल भिलाई को बल्कि देश को झंकझोर कर रख दिया था. बात हो रही है, एक जुलाई साल 1992 के मजदूर आंदोलन की. जब उस समय दुर्ग और भिलाई एक साथ संयुक्त था 16 लोगों की मौत हो गई थी. आज गोलीकांड की 32वीं बरसी पर मृत श्रमिकों के परिजन एक बार फिर उन्हें श्रद्धांजलि देने पॉवर हाउस रेलवे स्टेशन में जुटे. आंसुओं का सैलाब के बीच मर चुके अपनों को याद किया. न्याय की गुहार लगाई.
गोलीकांड और मजदूरों के आंदोलन को किया गया याद
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और मजदूर नेता शंकर गुहा नियोगी की महज 48 साल की उम्र में हत्या कर दी गई थी. बताया जाता है कि 28 सितंबर 1991 को छत्तीसगढ़ के मशहूर मजदूर नेता को दुर्ग स्थित उनके अस्थायी निवास पर तड़के चार बजे के करीब खिड़की से निशाना बनाकर गोली मारी गई थी, नियोगी की हत्या के बाद भिलाई में मजदूर आंदोलन और भड़क उठा था. नौ महीने तक नारेबाजी, धरना, प्रदर्शन, ज्ञापन, कामबंद, क्रमिक भूख हड़ताल के बाद भी जब शासन- प्रशासन ने मजूदरों की नहीं सुनी. तब सरकार का ध्यान खींचने 1 जुलाई 1992 रेल रोको जैसे आंदोलन करने का फैसला किया.
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रैली की शक्ल में पॉवर हाउस रेलवे स्टेशन की ओर बढ़े. सांझ ढलने को हो गई थी, लेकिन मजदूरों की आवाज सुनने कोई भी जिम्मेदार नहीं पहुंचा. प्रशासन ने भीड़ को खदेड़ने गोली चलाने का आदेश दे दिया. 16 श्रमिक और 2 पुलिस जवान मारे गए. आज भी वेदी बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है. वहीं भीमराव बागड़े ने कहा कि पुलिस ने पावर हाउस से लेकर खुर्सीपार तक मजदूरों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई थी. इस खूनी खेल में सैकड़ों लोग अपंग हो गए थे. पूरी तरह से डर और खौफ का माहौल बना दिया गया था.
हर साल होती है न्याय की मांग
जिसकी वजह से हर साल आज के दिन 16 लोगों की मौत हुई थी उन्हें आज हम श्रद्धांजलि दे रहे हैं, लेकिन सरकार से कई बार निवेदन किया. लेकिन परिवार के लोगों को अब तक कोई सरकारी नौकरी नहीं मिली, सरकार ने खुद ही माना था अनलीगल गोली चलाई गया था. इनको सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए. ऊंचे स्तर पर बैठक बुलाकर जल्द से जल्द सुनवाई होनी चाहिए.