Chhattisgarh News: गणेशोत्सव के बाद अब दुर्ग ज़िले में नवरात्रि की तैयारियां शुरू हो गई हैं. कलाकार मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने में लग गए हैं. 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. जिसे लेकर ज़िले में भी मूर्तिकारों के द्वारा मातारानी की प्रतिमाएं तैयार करने में लगे हैं.
दुर्ग में जोर शोर से हो रही नवरात्रि की तैयारियां
दुर्ग जिला मुख्यालय से महज 15 किमी दूर ग्राम थनौद में छोटे-बड़े 40 पंडाल लगे हैं. इन दिनों इनमें माता दुर्गा की प्रतिमा बनाई जा रही है. करीब पांच सौ से अधिक कलाकार प्रतिमाओं को मूर्त रूप देने में लगे हैं. शिल्पग्राम के नाम से विख्यात थनौद अब कला ही नहीं रोजगार उपलब्ध कराने का एक बड़ा केंद्र भी बन गया है. यहां बनाई गईं मूर्तियों की मांग प्रदेश ही नहीं ओडिश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और झारखंड में भी है.
ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ में खादी के कपड़े खरीदने पर मिलेगी 25% की सब्सिडी, CM विष्णु देव साय ने की घोषणा
मां दुर्गा की मूर्ति बनाने में जुटे कलाकार
ग्राम की आबादी करीब 4,000 है. गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश और नवरात्र पर मां दुर्गा की प्रतिमाओं का निर्माण करना ही इस गांव के रहवासियों का मुख्य व्यवसाय बन गया है. गांव के मूर्तिकार राधेश्याम चक्रधारी ने बताया कि यहां करीब सौ वर्ष से प्रतिमा बनाई जा रही है. भगवान गणेश की प्रतिमा बनाने की शुरुआत सबसे पहल सुभान चक्रधारी ने की थी. सुभान ने पुत्र बृजलाल को मूर्ति बनाना सिखाया. धीरे-धीरे गांव के लोग इस कला से जुड़ते गए. 10 साल पहले यहां प्रतिमा निर्माण का काम सिर्फ छह पंडालों में किया जा रहा था। वर्तमान में इसकी संख्या बढ़कर 40 तक पहुंच गई है. इन दिनों पंडालों में दुर्गा माता की प्रतिमा बनाई जा रही है. यहां 600 छोटी-बड़ी प्रतिमाएं बन रही हैं. यहां बनाई जा रही प्रतिमाओं की कीमत लोगों की मांग अनुसार पांच हजार से लेकर एक लाख रुपये तक है.