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Chhattisgarh: हाई कोर्ट से सिम्स के नर्सों और कर्मचारियों को मिली बड़ी राहत, जानिए क्या है पूरा मामला

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बिलासपुर हाईकोर्ट

Chhattisgarh News: सिम्स की नर्सों व अन्य कर्मचारियों को एकतरफा कार्यमुक्त किए जाने के मामले में, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत की एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को बड़ी राहत दी है. उच्च न्यायालय ने सिम्स में ही कार्यरत रहने और उपस्थिति देने का निर्देश देते हुए शासन से जवाब तलब भी किया है.

सिम्स की कर्मचारी कु गीता हालदार, दमयंती कश्यप, शारदा यादव वी लक्ष्मी राव सिम्स के प्रारंभ वर्ष 2001 के भी पूर्व से अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वर्ष 2001 में जब सिम्स प्रारंभ हुआ, तब उन्हें गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में प्रतिनियुक्ति पर माना गया, जबकि उनकी मंशा नही पूछी गई. वर्ष 2006 में सिम्स को पुनः शासन ने अधिग्रहित कर लिया और याचिकाकर्ताओं की सेवाएं संचालक, चिकित्सा शिक्षा में पुनः प्रतिनियुक्ति पर दे दी गई.

नर्सों व कर्मचारियों को एकतरफा कार्यमुक्त किए जाने के मामले में की सुनवाई

तब से याचिकाकर्ता सिम्स में ही निरंतर सेवाएं दे रही हैं. 28 जून, 2024 को सिम्स प्रशासन ने याचिकाकर्ताओं को अचानक कार्यमुक्त कर दिया और उन्हें मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय में कार्यभार लेने हेतु आदेशित कर दिया. दूसरी ओर, मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी ने इन कर्मचारियों को ज्वाइनिंग देने से इस आधार पर इनकार कर दिया, कि उन्हें ऐसा कोई आदेश शासन से प्राप्त नही हुआ है.

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उक्त आदेश से क्षुब्ध हो कर याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता सलीम काजी, फैज काजी के माध्यम से याचिका प्रस्तुत कर कहा सिम्स प्रशासन ने सर्विस लॉ का मखौल बना लिया है, और बिना कर्मचारियों की मंशा जाने उन्हें एक विभाग से दूसरे विभाग में कार्य करने हेतु आदेशित कर रहे हैं, जो कि फंडामेंटल रूल्स के विपरीत होने के साथ साथ कर्मचारी के संवैधानिक अधिकारों का भी हनन है. हाई कोर्ट ने तर्क को स्वीकार कर याचिकाकर्ताओं को सिम्स में ही उपस्थिति दर्ज कराने का निर्देश देते हुए शासन से जवाब मांगा है.

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