Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में स्थित कुरूद के पास महानदी पर बना मेघा पुल क्षतिग्रस्त होने से लोगों का जीवन अस्त व्यस्त हो गया है. मेघा पुल धमतरी जिले के कुरूद के पास से गुजरी महानदी पर बना हुआ है. मेघा पुल पर बनी सड़क कुरूद को मगरलोड विकासखंड, राजिम और गरियाबंद जिले से जोड़ती है. महानदी में अंधाधुन रेत के अवैध खनन होने के कारण पुल के बहुत से पिलर धंस गए हैं. पिलर में क्रैक आ गए है. इसके अलावा पुल के नीचे बने पिचिंग जो की पुल का बेस कहा जाता है. जिस पर पूरा पुल का वजन टिका हुआ था वह भी नदी में धंस गया है. महानदी पर बने मेघा पुल का पिचिंग बुरी तरीके से क्षतिग्रस्त हो गया है. मेघा पुल के ऊपर बने सड़क में भी बड़ी दरारें आ गई है. पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद यह सड़क लोगों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है. मेघा पुल क्षतिग्रस्त होने से दो जिलों का संपर्क टूट गया है, जिससे करीबन एक लाख की आबादी प्रभावित हुई है. पूल क्षतिग्रस्त होने से लोगों को नदी पार करने में काफी जोखिम भरा रास्ता पार करना पड़ रहा है.
जानिए क्या है, पूरा मामला
दरअसल महानदी के ऊपर 30 साल पहले 4.25 करोड़ में बनकर तैयार हुआ मेघा पुल को रेत माफियों ने रेत की अवैध उत्खनन कर बर्बाद कर दिया है. पुल के आसपास हुई अंधाधुंध अवैध रेत खनन से पहले प्रोटेक्शन वॉल (पिचिंग) टूट गई है. अब महानदी में आई बाढ़ के बाद पानी कम होते ही 22 सितंबर को पिचिंग धंस गई. पूल के 42 खंभे में से 18 झुक गए हैं, इनमें से 4 पिलर क्रेक होकर धंस गए हैं. इस पुल की लंबाई तकरीबन एक किलोमीटर है. जिसे बनाने में 7 साल का समय लगा था. विडंबना यह कि जिला प्रशासन की अनदेखी अब भी हावी है. मेघा महानदी सेतु में दरार आने के बाद आवागमन बंद कर दिया गया है.
पूल में दरारें आने के बाद सड़क पूरी तरीके से बंद है. अभी पुल की यह स्थिति है कि कभी भी यह पूल गिर भी सकता है. ऐसे में कुछ आसपास के लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर पूल के नीचे से महानदी के तेज बहाव में आर पार हो रहे हैं. अगर जरा सी भी इन लोगों से चूक हुई तो यहां कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है. फिलहाल इस पूल के एक-दो पिलर और धंसने की आशंका है. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि महानदी में दिन-रात रेत चोरी होते रहती है. अवैध रेत उत्खनन होने की वजह से मेघा पूल के दोनों साइड नदी से काफी रेत निकल चुका है. जिसकी वजह से पूल के बेस के नीचे से रेट खसकने की वजह से बेस नदी में ही धंस गया है. पुल के बॉटम स्लैब के नीचे से बोल्डर व सैंड का बहाव होने के कारण बॉटम स्लैब के नीचे का भाग खोखला हो गया. यह पुल फ्लॉटिंग फाउंडेशन आधारित था, जिसमें कटऑफ वॉल से ही पूरा स्ट्रक्चर प्रोटेक्ट रहता है. जिसकी वजह से पूल क्षतिग्रस्त हो गया है.
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जान जोखिम में डालकर महानदी पार कर रहे लोग
कुरुद से मेघा की दूरी महज 10 किमी है, लेकिन महानदी से गुजरे इस पुल के बीच से धंसने की वजह से दूरी अब 4 गुना बढ़कर 25 किमी हो गई है. जिसकी वजह से आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है. मेघा पुल बंद होने की वजह से मगरलोड ब्लॉक के 70 से 80 गांव के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 70 से 80 गांव के लोगों को मज़बूरी में मेघा पूल से कुछ दूरी पर महानदी पर ही बने पतले एनिकट से नदी आर पार करना पड़ रहा है. गांव के बच्चे हो या फिर महिलाएं हो या फिर बुजुर्ग सभी लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर पतले से एनिकट पर बने रास्ते से नदी पार कर रहे थे. एनिकट का रास्ता इतना पतला है कि केवल दो पहिया वाहन ही यहां से गुजर रही है. चार पहिया वाहन यहां से पार नहीं हो सकती है. अगर जरा सी भी लोगों से चूक हुई तो सीधे लोग नदी की खाई में गिरेंगे. स्थानीय लोगों ने बातचीत करते हुए बताया कि नदी पार करते हुए काफी डर लग रहा है. कभी भी अनहोनी हो सकती है. एक बच्चे ने बताया कि घर से स्कूल जाने के लिए लिफ्ट लेना पड़ रहा है. स्कूल से आने के लिए लिफ्ट लेना पड़ रहा है क्योंकि पुल बंद होने की वजह से स्कूल बस, ट्रक और चार पहिया वाहन जैसी बड़ी गाड़ियों का आवागमन बंद हो गया है. कई गांव के गांव का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट चुका है. स्कूल कॉलेज जाने वाले छात्राओं को काफी दिक्कत हो रहा है. एक छात्रा ने बताया कि कॉलेज में परीक्षा चल रहा है लेकिन पूल बंद होने की वजह से बहुत दिक्कत हो रहा है. पूल की मरम्मत जल्दी होनी चाहिए. ऑफिस जाने वाले लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
लोकनिर्माण विभाग सेतु निगम रायपुर के चीफ इंजीनियर एमएल उराव ने बताया कि पूल के निरीक्षण में अवैध रेत खनन ही पुल धंसने का कारण पाया गया. पुल के नीचे से अत्याधिक मात्रा में रेत निकालने से पुल के बोल्डर धंसते चले गए और एक के बाद एक 18 पिल्लर धंस गए . 4 पिल्लर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए. वहीं एक साइड की पीचिंग टूट गई. एक पुल की लाइफ लगभग 55 से 60 साल होती है. मेघा का पुल मजबूत था. पुल के नीचे से रेत निकालने के कारण बोल्डर धंसते गए, जिसके कारण पीचिंग तक पानी पहुंच गया और एक के बाद एक 18 पिवर धराशायी हो गए. 4 पिल्लर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं.