Vistaar NEWS

Chhattisgarh: बिलासपुर में पेड़-पौधे और ट्रांसफार्मर ने रोक दिया 1 करोड़ का काम, गढ़ कलेवा की जगह गंदगी

Chhattisgarh news

गढ़ कलेवा

Chhattisgarh News: बिलासपुर में डिस्ट्रिक माइनिंग फंड यानी डीएमएफ के तहत मिले एक करोड़ रुपए का काम इसलिए नहीं शुरू हो पाया, क्योंकि मौके पर पेड़ पौधे ट्रांसफार्मर और दूसरी दिक्कत थी. इन पैसों की स्वीकृति उसे जगह के लिए दे दी गई जहां मैटेरियल सप्लाई यानी निर्माण के लिए सामान लाने का साधन संसाधन और जगह नहीं था. ऐसा हम नहीं ग्रामीण यांत्रिकी विभाग का वह पत्र कह रहा है, जिसे उन्होंने कलेक्टर को भेजा है और यह बताया है कि जिला पंचायत परिसर में गढ़ कलेवा बिल्डिंग के अलावा प्रशिक्षण केंद्र सामुदायिक भवन और शौचालय का काम इन्हीं वजह से शुरू नहीं हो पाया है. और इसके कारण हजारों लोगों को समस्या हो रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि छत्तीसगढ़ी व्यंजन को बढ़ावा देने के लिए कांग्रेस की सरकार ने रायपुर बिलासपुर के अलावा यहां के अन्य जिलों में सरकारी कैंपस और सरकारी दफ्तरों के किनारे गढ़ कलेवा की दुकान खुलवाई थी. जो पिछले 3 महीने से बिलासपुर में बंद हो गई है. इसे यह कहकर बंद किया गया है कि यहां नई बिल्डिंग बनेगी लेकिन मौके पर धूल गंदगी फाइलों का देर और दूसरी अवस्था सरकारी अधिकारियों के काम की पोल खोल रही है.

2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन पूरा देश स्वच्छ भारत अभियान मना रहा था, लेकिन बिलासपुर के जिला पंचायत परिसर में इस गढ़ कलेवा दुकान के आसपास गंदगी और अव्यवस्था दिखी जिनके अधिकारी दिखावे के तौर पर हाथ में झाड़ू लेकर इधर-उधर सफाई कर रहे थे. कुल मिलाकर डिस्ट्रिक माइनिंग फंड का यह पैसा तो लैप्स हो गया जिसकी स्वीकृति कब मिलेगी और कौन देगा इस बात को लेकर फिलहाल सवाल है? लेकिन अधिकारी इस फजीहत से बचने के लिए झूठ बोल रहे हैं कि नई बिल्डिंग का काम जल्द शुरू होना है. प्रशिक्षण केंद्र और सामुदायिक भवन का भी लेकिन बिस्तर नहीं उसके पास जो चिट्ठी उपलब्ध है, उसके हिसाब से फिलहाल उनके पास इस काम के लिए फंड नहीं है और दोबारा कलेक्टर से पैसों का प्रस्ताव भेजकर इसकी स्वीकृति मांगी गई है, जिसे फिलहाल मंजूरी नहीं मिली है.

ये है पूरा मामला

दरअसल बिलासपुर के जिला पंचायत कैंपस में गढ़ कलेवा की दुकान के लिए नई बिल्डिंग बनी है जो फिलहाल एक घेरे में चलाई जा रही थी. इसके अलावा इसी कैंपस में आम लोगों के लिए टॉयलेट का निर्माण करवाना है. इसके अलावा सामुदायिक भवन और प्रशिक्षण केंद्र की तैयारी है, जिसके लिए ही कलेक्टर ने डीएमएफ के तहत लगभग 1 करोड रुपए की स्वीकृति दी थी. यह मंजूरी 1 साल पहले दी गई थी, लेकिन मौके पर मटेरियल लाने का और काम शुरू करने का मामला शुरू नहीं हो पाया और यही वजह है कि कलेक्टर ने कुछ दिन पहले उन कामों की सूची को निरस्त कर दिया जो शुरू नहीं हुए थे, या डीएमएम के तहत अप्रारंभ थे, यही वजह है कि यहां निर्माण का मामला पूरी तरह उलझ गया है और दूसरी तरफ जी बिलासा स्व सहायता समूह को गढ़ कलेवा की दुकान का संचालन का जिम्मा सोपा गया था उसे घाटा सहना पड़ रहा है. बिलासा स्व सहायता समूह नमी अपनी समस्या बात कर कलेक्टर को पत्राचार किया है और दूसरी जगह की मांग की है लेकिन उन्हें अभी इसकी मंजूरी नहीं मिली है.

ये भी पढ़ें- लोहारीड़ीह कांड को लेकर हमलावर कांग्रेस, भूपेश बघेल ने की प्रेस कांफ्रेंस, दीपक बैज ने PM मोदी को लिखी चिट्ठी

ग्रामीण यांत्रिकी विभाग ने यह बताया कारण

डीएमएफ योजना के तहत ग्रामीण यांत्रिकी विभाग को जिला पंचायत परिसर में इस काम का जिम्मा सौंपा गया, लेकिन उन्होंने काम शुरू नहीं करवाया. ठेकेदार को कम की जिम्मेदारी दे दी गई थी, लेकिन मौके पर कई तरह की अव्यवस्था थी जिसके कारण यह पूरा ड्रामा क्रिएट हुआ. अब फिर से इसी काम के लिए मंजूरी मांगी जा रही है. जिसमें कई तरह के पेंच अटक रहे हैं. देखना होगा कि बिलासपुर के लिए बहु उपयोगी इन कामों को कब तक मंजूरी मिलती है और अधिकारियों की लापरवाही के कारण कब तक लोगों को समस्या झेलनी पड़ती है.

क्या है डीएमएफ?

जिला खनिज फाउंडेशन एक ट्रस्ट है. जिसके तहत छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में गैर लाभकारी संस्था के रूप में स्थापित है. जिसका उद्देश्य खनन वाले क्षेत्र और व्यक्ति के हित और उनके लाभ के लिए काम करना है. इसे खनिज के बदले में मिलने वाले आए के पैसों से पोषित किया जाता है. बिलासपुर में इसके लिए कई तरह के साधन तैयार किए गए हैं जिसमें करोड़ों रुपए अर्जित होते हैं, और इसे ही बिलासपुर का विकास कार्य भी करवाया जाता है.

विस्तार न्यूज़ की पड़ताल

विस्तार न्यूज़ की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि इसके विषय में 30 नवंबर को ग्रामीण यांत्रिकी विभाग ने इसके संदर्भ में कलेक्टर को पत्राचार किया है. पत्र में बताया गया है कि मौके पर बाबुल गंगा इमली महानीम और करंज का पेड़ है जिसे हटवाना जरूरी है. इसके अलावा एक ट्रांसफार्मर है जिसके कारण पिछले 1 साल में यह काम शुरू नहीं हो पाया है. विस्तार न्यूज़ की टीम ने इस जगह पहुंचकर पूरे मामले की पड़ताल की है और अधिकारियों से बात कर उन्हें इसकी जानकारी दी है कि यहां सिर्फ गंदगी और गर्दन को बाहर के बीच लोगों को आना जाना पड़ रहा और उन्हें समस्या हो रही है.

इस मामले में जिला पंचायत सीईओ आरपी चौहान का कहना है कि जल्द ही कैंपस में गढ़ कलेवा के लिए नई बिल्डिंग बनेगी इसके अलावा प्रशिक्षण केंद्र और सामुदायिक भवन भी तैयार होगा यह पूछने पर की फिलहाल तो उनके पास पैसे उपलब्ध नहीं है, और डिस्टिक माइनिंग फंड के तहत मिले पैसे भी लेफ्ट हो चुके हैं तो आखिर किस योजना में यह काम होगा उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं है वे कहते हैं उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है जबकि विस्तार नहीं उसके पास इसके डॉक्यूमेंट मौजूद है.

Exit mobile version