Chhattisgarh: क्या होता है जैतखाम? जिसके कारण बलौदा बाजार में हुई हिंसा, सतनामी समाज के लोग क्यों करते हैं सफेद लकड़ी की पूजा

Chhattisgarh News: सतनामी समाज के लोगों में जैतखाम को लेकर बड़ी आस्था है, जो जैतखाम की पूजा करते है. बता दें पहले अपने घरों में ही रसोई घर के पास जैत खाम की स्थापना की है.इसके बाद धीरे धीरे आंगन में इसकी स्थापना की गई. जब पढ़ लिख गए तो सामाजिक बुराई से दूर हो और चबूतरे में स्थापना की गई.
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फाइल इमेज

Chhattisgarh News: बलौदा बाजार में कल सतनामी समाज ने उग्र प्रदर्शन किया है. अमर गुफा में जैतखाम को तोड़फोड़ करने के मामले में प्रदर्शनकारियों ने जिले में जमकर उत्पात मचाया है. लेकिन बलौदा बाजार हिंसा में जिस जैतखाम के लिए विवाद हुआ उसकी क्या मान्यता है? सतनामी समाज के लोग क्यों सफेद लकड़ी की पूजा करते है? आईए आपको बताते है.

छत्तीसगढ़ में सतनामी समाज के लोग जैतखाम की पूजा करते है, 18 दिसंबर का दिन उनके लिए बहुत खास होता है, इस दिन इस समाज के गुरु घासी दास बाबा का जन्म हुआ था. जिसे सतनामी समाज के लोग गुरु घासी दास बाबा की जयंती मनायी जाती है.

पहले घर के रसोई के पास बनाया जाता था जैतखाम

बता दें कि 18 दिसंबर को सतनामी समाज के लोग अपने घर के नजदीकी जैत खाम के पास जाकर पूजा करते है. इस सफेद लकड़ी में मालपुआ का खास तरह का प्रसाद चढ़ाया जाता है. इसके इतिहास के बारे डॉ जे री सोनी ने बताया कि लोगों ने पहले अपने घरों में ही रसोई घर के पास जैत खाम की स्थापना की है.इसके बाद धीरे धीरे आंगन में इसकी स्थापना की गई. जब पढ़ लिख गए तो सामाजिक बुराई से दूर हो और चबूतरे में स्थापना की गई. अब राज्य के हर कोने में जैत खाम की स्थापना की गई है.

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लाइट हाउस की तरह है जैतखाम

डॉ सोनी ने आगे बताया कि जैत खाम में फलों को चढ़ाया जाता है. पहले सराई की लकड़ी से सत्य का प्रतीक चिन्ह बनाया जाता था. लकड़ी जितनी ऊपर दिखाई देती है उतनी ही लंबी नीचे जमीन में लकड़ी गाड़ा जाता है. आज पर्यावरण के लिए पेड़ कटना बंद किया जा रहा है. इसके लिए सीमेंट से बने जैतखाम बनाया जा रहा है. समुद्र में लाईट हाउस होता है उसी प्रकार जैत खाम भी प्रकाश स्तंभ है. ये सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए इसे सतनामी अपना प्रतीक के रूप में मानते है.

कुतुब मीनार से ऊंचा है, गिरौधपुरी का जैतखाम

बलौदा बाजार जिले को गुरू घासीदास बाबा का जन्मस्थली माना जाता है. इस लिए गिरौधपुरी में एशिया का सबसे बड़ा जयते खाम बनाया गया है. ये जैत खाम दिल्ली के कुतुब मीनार से 6 फीट ऊंचा है. दरअसल कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर यानी 237 फीट वहीं जैतखाम की ऊंचाई 77 मीटर यानी 243 फीट है. वहीं जिस तरह ताजमहल के साथ खुद की तस्वीर लेने के ताजमहल से आधे किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, उसी तरह जैत खाम के साथ तस्वीर लेने के दूर जाना पड़ता है. यह जैतखाम इतना विशाल है.

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