Durg: दुर्ग जिले में डिजिटल अरेस्ट का एक नया मामला आया है. रिसाली क्षेत्र मे रहने वाले एक मां और उसके बेटे को साइबर फ्रॉड के द्वारा डर दिखाकर 45 लाख रुपए की डिमांड की गई थी. जिसके बाद डरी सहमी 52 वर्षीय महिला अपने फिक्स डिपोजिट को तुड़वाने अपने बैंक पहुंची और अलग-अलग RTGS की प्रकिया पूरी कर रही थी. तभी बैंक कर्मियों को शक हुआ और उन्होंने फौरन महिला को समझाया बुझाया और डिजिटल अरेस्ट के लिए टोल फ्री नंबर 1930 पर फ़ोन कर शिकायत दर्ज कराए जाने की सलाह दी. SBI बैंक के मैनेजर और स्टाफ की सूझबूझ से महिला को डिजिटल अरेस्ट और लाखों की ठगी से बच पाई.
साइबर ठगों ने महिला और बेटे से की थी 45 लाख की मांग
डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई नई चीज नही है, इसे लेकर लगातार जन जागरूकता चलाई जा रही है. लेकिन इसके बाद भी पढ़ें लिखे लोग साइबर फ्रॉड का शिकार बनते चले जा रहे है. दुर्ग जिले में एक और मामला डिजिटल अरेस्ट का सामने आया है. जिसमे रिसाली क्षेत्र की एक महिला और उसके बेटे को निशाना बनाया गया था. साइबर ठगों ने उन पर मनी लांड्रिंग का केस बताकर उन्हे वीडियो कॉलिंग कर लगातार डराया और 45 लाख रुपए की मांग कर रहे थे.
बैंक कर्मियों की सूझबूझ से रुका डिजिटल अरेस्ट
जिसके कारण पीड़िता रिसाली स्थित SBI बैंक पहुंचकर अपने फिक्स डिपोजिट को पहले तुड़वाया और अलग-अलग RTGS का जब प्रयास कर रही थी. तभी बैंक कर्मियों को इस बात का संदेह हो गया, कि महिला डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो गई है. इसके बाद ब्रांच मैनेजर विनीत नायर ने उन्हें अपने केबिन में बुलाकर, उन्हे काफी समझाया बुझाया और साइबर ठगों को पैसे नही दिए जाने की बात कही. तब महिला को भी पूरा भरोसा हो गया और उसने ठगो का डटकर सामना किया और अपनी गाढ़ी कमाई को बैंक कर्मियों की सतर्कता से डूबने से बचा लिया.
दुर्ग जिले में डिजिटल अरेस्ट का यह तीसरा मामला है. इसके पहले दो मामलों में पीड़ितों ने अपने रकम गवा चुके थे, लेकिन इस बार बैंक कर्मियों की सतर्कता से महिला को पूरे 45 लाख रुपए को डूबने से बचाया है, बल्कि उसे ठगों के बंधन से बचाया है.