Chhattisgarh: पढ़ाई में बाधा बन रहे हाथी, डर के साए में समय पर नहीं खुल रहे स्कूल, बच्चों को भेजने से कतरा रहे अभिभावक

Chhattisgarh News: कई बार हाथी स्कूल के बेहद नजदीक तक आ जा रहे हैं. ऐसे में शिक्षकों के साथ अभिभावकों ने हाथी प्रभावित क्षेत्र के स्कूलों में बाउंड्री वॉल के निर्माण की मांग की है
wild elephants, Chhattisgarh

जंगली हाथियों का आतंक (प्रतीकात्मक फोटो)

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में कई सरकारी स्कूल हाथियों के दहशत से समय पर नहीं खुल पा रहे हैं. वही अभिभावक भी बच्चों को जंगल के रास्तों से स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं. दूसरी तरफ कई बार हाथी स्कूल के बेहद नजदीक तक आ जा रहे हैं. ऐसे में शिक्षकों के साथ अभिभावकों ने हाथी प्रभावित क्षेत्र के स्कूलों में बाउंड्री वॉल के निर्माण की मांग की है, ताकि हाथियों के स्कूल के पास आ जाने से बच्चों को स्कूल परिसर के अंदर सुरक्षित रखा जा सके.

स्कूलों में नहीं मनाया गया शाला प्रवेश उत्सव

नए शैक्षणिक सत्र में स्कूल खुलने के साथ ही शाला प्रवेश उत्सव मनाया जा रहा है, लेकिन प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के बगड़ा, कोटिया समेत कई गांव के दर्जनों स्कूल के छात्र और शिक्षक हाथी के डर के साए में स्कूल जाने के लिए मजबूर हैं. दरअसल प्रतापपुर, वन परिक्षेत्र लगभग दो दशक से हाथियों का विचरण क्षेत्र बना हुआ है. ऐसे में आए दिन हाथियों के ओर से लोगों को कुचलकर मार डाला जा रहा है. वहीं बगड़ा, कोटिया के स्कूल कैंपस में न ही बाउंड्री वॉल है और न ही फेसिंग किया गया है. लिहाजा छात्र, शिक्षक और अभिभावकों को रोजाना अलर्ट मोड में रहना पड़ता है. बहरहाल हाथी प्रभावित क्षेत्र में संचालित इन स्कूलों में शाला प्रवेश उत्सव भी नहीं मनाया जा रहा है.

स्कूल परिसर का बाउंड्री वॉल होना बेहद जरूरी

अभिभावक केशवर सिंह ने बताया कि कई बार हाथी स्कूलों के बेहद करीब आ जाते हैं और यहां हाथी हमेशा विचरण करते रहते हैं. इसकी वजह से बच्चों को स्कूल भेजने में काफी डर लगता है. कई बार हाथी स्कूल बिल्डिंग के बेहद नजदीक आ जाते हैं. ऐसे में स्कूल परिसर का बाउंड्री वॉल होना बेहद जरूरी है. शिक्षक जंगल मार्ग से होकर यहां आते हैं और हाथी जंगल में होते हैं. इसकी वजह से वे भी कई बार समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं.

स्कूलों से लगे गन्ने के खेत में भी आ जाते हैं हाथी

प्रधानपाठक धर्मजीत राम ने बताया कि स्कूल के आसपास जहां जंगल हैं, वहीं गन्ने के खेत में भी हाथी आ जाते हैं और गन्ने के खेत स्कूल से लगे हुए हैं. इसके कारण हमेशा अलर्ट मोड में हमें रहना पड़ रहा है. वहीं जिला शिक्षा अधिकारी सूरजपुर आरएल पटेल ने बताया कि प्रतापपुर इलाके में हाथियों का विचरण बना रहता है. इसकी वजह से स्कूलों के संचालन प्रभावित हो रहे हैं. कई बार जब हाथी स्कूलों के बेहद करीब आ जाते हैं तो स्कूलों का संचालन तब तक बंद करना पड़ रहा है. जब तक हाथी वहां पर बने रहते हैं. उन्होंने बताया कि स्कूल परिसर का बाउंड्री करने के लिए सरकार स्तर पर लिखा गया है.

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हाथियों ने अब तक दर्जनों लोगों की ले ली है जान

बता दें कि सूरजपुर जिले के इस इलाके में हाथियों ने अब तक दर्जनों लोगों की जान ले ली है. इसके कारण वन विभाग भी हमेशा अलर्ट मोड में रहता है, लेकिन हाथियों के अचानक गांव में आ धमकने की वजह से और ग्रामीणों के जंगल जाने के कारण सबसे अधिक हाथी और इंसानों के बीच संघर्ष की नौबत बनी है.

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