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Bastar में लगती है दुनिया की सबसे अनोखी अदालत, जहां भगवान को भी मिलती है सजा

Bastar

यहां देवताओं को मिलती है सजा

Bastar: छत्तीसगढ़ का एक ऐसा इलाका है, जहां ये अनोखी परंपरा है, जिसमें आदिवासी देवताओं पर मुकदमा चलाया जाता है. ये सब होता है, कोंडागांव जिले के विशेष क्षेत्र में. जहां भादो जत्रा उत्सव के दौरान वास्तविक जीवन में खुली अदालत में देवताओं पर फैसला सुनाया जाता है.

देवताओं का मुकदमा और फैसला

दरअसल बस्तर में आदिवासी आबादी 70 प्रतिशत है. यहां गोंड, मारिया, भतरा, हल्बा और धुरवा जैसी जनजातियां रहती हैं. ये अनोखे मुकदमे भंगाराम देवी मंदिर में होते हैं, जहां न्यायाधीश स्वयं भंगाराम देवी होती हैं. यहां अभियुक्त देवताओं का प्रतीकात्मक रूप से प्रतिनिधित्व किया जाता है. तीन दिन की इस न्यायिक प्रक्रिया में मुर्गी को गवाह के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जो धार्मिक रूप से गवाही देती हैं. यदि देवता दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें निर्वासित कर दिया जाता है, जहां उनका स्थान मंदिर के सम्मानित स्थल से अलग होता है. केशकाल के भांगाराम देवी मंदिर व पास के खुले मैदान में जुटे हजारों फरियादियों के बीच हमारी टीम ने कई सवालों के जवाब तलाशने शुरू किए.

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भगवान पर किस चीज का होता केस दर्ज?

इसमें कुछ भी शामिल हो सकता है जैसे प्रार्थनाओं का उत्तर नहीं दिया गया. कठोर सजा है, दोषी पाए गए भगवान को निर्वासन की सजा दी जाती है, उनकी मूर्तियां, ज्यादातर लकड़ी के कुलदेवता, मंदिर के अंदर अपना स्थान खो देती हैं और मंदिर के पीछे में निर्वासित कर दिए जाते हैं. कभी-कभी, यह सजा जीवन भर के लिए होती है, या जब तक वे अपना रास्ता नहीं सुधार लेते और मंदिर में अपनी सीट वापस नहीं पा लेते. परीक्षण पर देवताओं को देखने के लिए लगभग 240 गांवों के लोग इकट्ठा होते हैं. उनके लिए भोज का आयोजन किया जाता है.

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