Chhattisgarh के ‘शिमला’ में उजड़ा जंगल! पेड़ों की चल रही अंधाधुंध कटाई, माफिया कर रहे लकड़ी की तस्करी
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई चल रही है. लकड़ी माफिया यहां पेड़ों की कटाई कर रहे हैं. उसके बाद उसे वाहनों में लोडकर अंबिकापुर सहित आसपास के लकड़ी आरा मिल में खपा रहे हैं. विस्तार न्यूज़ की टीम ने मैनपाट के जंगलों में पहुंचकर जायजा लिया कि आखिर किस तरीके से हरे भरे साल के पेड़ों को काटकर माफिया जंगल उजाड़ने में लगे हुए हैं.
मैनपाट में उजड़ रहा जंगल
छत्तीसगढ़ में पर्यटन स्थलों के रूप में शुमार मैनपाट अपने प्राकृतिक सौंदर्य की वजह से देश दुनिया में जाना जाता है लेकिन यहां की सुंदरता को बर्बाद करने के लिए वन माफिया सक्रिय हो गए हैं और यहां साल के विशाल पेड़ों को काटकर इसकी तस्करी कर रहे हैं साल पेड़ों की तस्करी यहां लंबे समय से चल रहा है जंगल के जंगल उजड़ते जा रहे हैं और वन विभाग के अधिकारी अपने दफ्तरों में बैठकर ड्यूटी कर रहे हैं हद तो यह है की लकड़ी माफिया हरे-भरे पेड़ों को सुखाने के लिए सबसे पहले उसके छाल को निकाल दे रहे हैं ताकि पेड़ सूख जाए और फिर उसे काट कर बेच दिया जाए.
माफिया कर रहे लकड़ी तस्करी
विशाल पेड़ों को सूखने के बाद लकड़ी माफिया उसे काटकर गिरा देते हैं और कुछ दिनों तक जंगल में ही छोड़ देते हैं विस्तार न्यूज़ की टीम ने जब जंगल के भीतर पहुंच कर जायजा लिया तो कुछ ऐसी ही तस्वीर देखी. यहां पेड़ों के बड़े-बड़े टुकड़े किए गए हैं और जंगल में कई जगह ऐसी तस्वीरें देखने को मिल रही हैं लेकिन सवाल उठ रहा है वन विभाग के अधिकारियों पर की आखिर वो जंगलों की निगरानी किस तरीके से कर रहे हैं कि लकड़ी माफिया बड़ी ही आसानी से पेड़ों को सुखाने के बाद काटकर तस्करी कर रहे हैं.
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मैनपाट में रोज काटे जा रहे सैकड़ों पेड़
ऐसी तस्वीर मैनपाट के कड़राजा, नागाडांड, सुपलगा सहित मैनपाट के अलग-अलग हिस्सों में जाकर देखा जा सकता है, सबसे बड़ी बात तो यह है कि लकड़ी माफिया जंगल के भीतर पिक अप जैसे वहां लेकर पहुंच जा रहे हैं और वाहनों में लोडकर साल लकड़ी के बड़े-बड़े लट्ठे आर मिलो तक पहुंचा रहे हैं जानकारों की माने तो हर रोज मैनपाट में सैकड़ो की संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं.
वन विभाग की कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल
दूसरी तरफ मैनपाट के स्थानीय लोग वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर सवाल खड़े कर रहे हैं उनका कहना है, कि वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना ऐसा संभव ही नहीं है क्योंकि उनके द्वारा कई बार जंगल उजाड़ने की शिकायत विभाग के अधिकारियों के समक्ष किया गया है लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है गांव वालों का तो यहां तक कहना है कि तस्करों से अधिकारियों की तगड़ी सेटिंग है और अधिकारियों के इस सेटिंग की वजह से ही माफिया जंगल उजाड़ने में सफल हो रहे हैं और कर्मचारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.
जानिए कैसा है छत्तीसगढ़ के जंगलों को
बता दें कि भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023 में खुलासा हुआ कि भारत के क्षेत्रफल के अनुपात में 25 प्रतिशत जंगल है. वन आवरण के मामले में छत्तीसगढ़ का देश में तीसरा स्थान है. राज्य के 17 जिलों में जंगल कम हुआ है. सरगुजा में 1.75 व सूरजपुर में 3.10 व बलरामपुर में 6.45 % जंगल घटा है. छत्तीसगढ़ में 19.13 प्रतिशत जंगल कम हुआ है. 2021 में छत्तीसगढ़ में जंगल का क्षेत्रफल 42433.8 वर्ग किलोमीटर था. 2023 में जंगल घटकर 42420.39 रह गया है. दो साल में 3352 एकड़ जंगल कम हुआ है. वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टा बाटने से जंगल कम हुआ है. वन पट्टा मिलने की चाह में लोग जंगल उजाड़ रहें हैं.
माइनिंग से भी घटा जंगल
क्लोजिंग वीओ- कुछ दिन पहले ही अंबिकापुर के एक आरा मिल में लाखों रुपए की अवैध लकड़ी जप्त की गई थी इसके साथ ही एक पिकअप वाहन को भी अवैध लकड़ी के साथ मिल में पकड़ा गया था उसके बाद से सवाल उठ रहा था कि आखिर आरा मिल में लकड़ी कहां से पहुंच रहा है लेकिन विस्तार न्यूज़ ने मैनपाट में पहुंचकर इस पूरे मामले से पर्दा उठा दिया है, वहीं अफसर भी कह रहें हैं कि साल के पेड़ो की कटाई स्थानीय लोग कर रहें हैं और मैनपाट के जंगल उजड़ने के कगार में हैं.
अब देखना होगा कि आखिर लकड़ी की अवैध तस्करी में संलिप्त माफियाओं और अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है.