Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का ग्राफ दिनों दिन बढ़ते ही जा रहा है. पिछले साल राज्य में हुई 107.53 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी का रिकॉर्ड इस साल पहले ही टूट चुका है. राज्य में अब तक 133.88 लाख टन धान की खरीदी हो चुकी है, जो कि पिछले साल की तुलना में लगभग 27 लाख मीट्रिक टन अधिक है. समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का अभी दो दिन और बाकी है और राज्य गठन के बाद छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा धान की खरीदी हो चुकी. इससे राज्य के लाखों किसान मालामाल हो गए है.
23 लाख किसानों को 28 हजार करोड़ रूपए का भुगतान किया
दरअसल, नवंबर महीने में धान खरीदी शुरु हुई है. इसके बाद प्रतिदिन औसतन के हिसाब से साढ़े तीन लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो रही है. इसको देखते हुए इस साल धान खरीदी की मात्रा 140 लाख मीट्रिक टन के पार होने की उम्मीद है. राज्य में इस साल किसानों से प्रति एकड़ के मान से 21 क्विंटल धान की खरीदी की जा रही है और 29 जनवरी तक 133.88 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी के एवज में किसानों को 28 हजार 104 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है.
धान बेचने के लिए 26 लाख 85 हजार किसानों ने अपना पंजीयन कराया
मार्कफेड के महाप्रबंधक से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य में समर्थन मूल्य पर अब तक 23 लाख 68 हजार 810 किसान धान बेच चुके हैं. हालांकि राज्य में धान बेचने के लिए 26 लाख 85 हजार किसानों ने अपना पंजीयन कराया है. राज्य में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के साथ-साथ कस्टम मिलिंग भी लगातार जारी है. अब तक 101 लाख 85 हजार 181 मीट्रिक टन धान के उठाव के लिए डीओ जारी किया गया है, इसमें से मिलर्स ने 91 लाख 13 हजार मीट्रिक टन धान का उठाव किया है.
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कांग्रेस की मांग-धान खरीदी की तारीख एक महीना बढ़ाई जाए
गौरतलब है कि 31 जनवरी तक राज्य में धान की खरीदी होने वाली है, लेकिन राज्य में विक्षपी पार्टी कांग्रेस धान खरीदी की तारीख बढ़ाने की मांग कर रहे है. कांग्रेस का कहना है कि अभी तक प्रदेश के 5 लाख से अधिक किसान ने अपना धान नहीं बेचा है, तो ऐसे में धान खरीदी की समय सीमा बढ़ानी चाहिए. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार गलत बोलती है कि लक्ष्य प्राप्त हो गया. यह लक्ष्य तो भूपेश बघेल की सरकार ने निर्धारित किया था 130 से 140 लाख मीट्रिक टन का था, तब 20 क्विंटल प्रति एकड़ की खरीदी के हिसाब से था. लेकिन भाजपा सरकार ने प्रति एकड़ 21 क्विंटल खरीदी का फैसला लिया है, तो अब लक्ष्य बढ़कर 150 लाख मीट्रिक टन हो गया है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने कम से कम एक महीना धान खरीदी के लिए और बढ़ानी चाहिए.