Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में 35 लोगों की जान लेने वाले प्यारे हाथी की मौत, अब तक 24 हाथी करंट लगने से मरे

Chhattisgarh News: सूरजपुर डीएफओ पंकज कमल ने बताया कि उनकी पोस्टिंग अंबिकापुर में थी, उसी दौरान प्यारे की मौत की खबर आई थी, यहां आने के बाद उसके बारे में कोई सूचना नहीं मिली है.
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सूरजपुर में प्यारे हाथी की मौत

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में हाथियों का आतंक कई दशकों से बना हुआ है. सैकड़ों हाथियों के अलग-अलग दल से ग्रामीण परेशान होते हैं. इन्हीं में से एक सबसे खतरनाक हाथी प्यारे हाथी है. जिसने अलग-अलग इलाकों में पांच साल में 35 लोगों को कुचलकर मार डाला है. लेकिन उस आक्रमक प्यारे हाथी की मौत करेंट लगने से हो गई. इसका खुलासा अब जाकर तब हुआ है ज़ब पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर ने इसकी जानकारी दी. वन विभाग इस हाथी की मौत को इसलिए छिपा रहा था क्योंकि इस हाथी को पकड़ने के लिए वन विभाग सिर्फ पत्राचार करता रहा और उस पर निर्णय नहीं हो पाया, इस बीच प्यारे हाथी की करेंट लगने से मौत हो गई.

35 लोगों की जान लेने वाले प्यारे हाथी की करंट लगने से मौत

दरअसल सूरजपुर जिले के घुई रेंज में प्यारे हाथी की मौत हुई, जहां ग्रामीणों द्वारा फसलों की सुरक्षा के लिए तरंगित तार अवैध तरीके से बिछाया गया था. मौत के बाद ग्रामीणों ने इसकी जानकारी वन विभाग को दी और पोस्टमार्टम के बाद शव को वहीं पर दफना दिया गया. हाथी की मौत के बाद विभाग के अफसर इस पर कुछ भी बोलने से इंकार कर रहे हैं. मानो प्यारे हाथी की मौत के बारे में उन्हें कोई जानकारी ही नहीं है.

बता दें कि सूरजपुर सहित पूरे सरगुजा संभाग में इन दिनों 100 से अधिक जंगली हाथी विचरण कर रहे हैं और यहां हाथियों की संख्या देखते हुए विभाग ने एलीफ़ेट उप निर्देशक की पदस्थापना की है. इसके बाद ही यहां हाथियों की मौत का आकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. इतना ही नहीं सूरजपुर जिले के रमकोला ने एलीफ़ेट रेस्क्यू सेंटर है. जहां कर्नाटक से लाए गए कुमकी हाथियों को रखा गया है. लेकिन इसका भी कोई फायदा जंगली हाथियों को नियंत्रित करने में नहीं हो रहा है.

सूरजपुर में 8 साल में 40 हाथियों की हुईं है मौत, 24 करेंट से मरे

सूरजपुर जिले में सबसे अधिक हाथियों की मौत हो रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह ग्रामीणों द्वारा अपनी फसलों को हाथियों से बचाने करेंट का उपयोग करना है. किसान फसलों के चारो तरफ़ तरंगित तार बिछा देते हैं और ज़ब हाथी जंगल से निकलकर फसलों को खाने पहुंच रहे हैं तो उसकी चपेट में आ जा रहे हैं. इस बीच हाथी जंगल से चारा और पानी के लिए खेतों तक इसलिए पहुंच रहे हैं क्योंकि जंगलों में चारा पानी नहीं है. वहीं अब गर्मी आने वाली है. ऐसे में हाथी जंगलों में आग लगने और पानी की समस्या होने पर गांव तक पहुंचेंगे, इससे इंसान और हाथियों के बीच संघर्ष बढ़ेगा.

वन विभाग के अफसर क्या बोले

हाथी की मौत पर जिले के पशु चिकित्सा विभाग के डाॅ. महेंद्र पांडेय ने कहा कि उन्होंने अब -तक 40 से अधिक हाथियों का पोस्टमार्टम किया है. उन्होंने बताया कि प्यारे हाथी की मौत के दूसरे दिन टीम के साथ लोग मौके पर गए थे. नाले के पास एक कुआं था, जिससे वहां के लोग सिंचाई करते थे. उसी में करंट लगा था, जिसकी चपेट में आने से प्यारे की मौत हुई थी. पीएम के बाद शव को दफना दिया गया. इसके बाद पोस्टमार्टम की प्रति वन विभाग को दी थी. सूरजपुर डीएफओ पंकज कमल ने बताया कि उनकी पोस्टिंग अंबिकापुर में थी, उसी दौरान प्यारे की मौत की खबर आई थी, यहां आने के बाद उसके बारे में कोई सूचना नहीं मिली है.

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