Vistaar NEWS

Chhattisgarh: द्वितीय विश्व युद्ध के सैनिक की विधवा की दर्दनाक कहानी, पेंशन के लिए कर रहीं एक हजार किमी का सफर

Chhattisgarh, World War II soldier

द्वितीय विश्व युद्ध के सैनिक की विधवा की दर्दनाक कहानी

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से 95 साल की एक विधवा 1 हजार किलोमीटर दूर उत्तरप्रदेश के बलिया जाती हैं पेंशन लेने. वह कोई सामान्य विधवा नहीं है. वह द्वितीय विश्व युद्ध के सैनिक रहे रणजीत सिंह की पत्नी ललिता देवी हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि यह सफर उन्हें हर 3 महीने में एक बार करना पड़ता है. क्योंकि जिला सैनिक कल्याण बोर्ड बलिया के अधिकारी उनसे जीवित प्रमाण पत्र मांगते हैं और उनके पति की मृत्यु के बाद यानी पिछले 18 सालों से उन्हें यह तकलीफ उठानी पड़ रही है. कुल मिलाकर उन्हें बिलासपुर से बलिया का सफर इस बात को लेकर बताने के लिए करना पड़ता है कि वह जिंदा है और उन्हें उनके पति का अधिकार चाहिए. बड़ी बात यह है कि ललिता देवी का बेटा राजेंद्र सिंह आंखों से विकलांग है यानी उन्हें दिखाई नहीं देता है और दोनों मां बेटे अपना हक को लेने बिलासपुर से बलिया का सफर करते हैं. बड़ा ही अजीबोगरीब होता है यह सफर, क्योंकि ललिता देवी बड़ी ही तकलीफों से चल पाती हैं. चेहरे पर झुर्रियां, चिंता की लकीरें और कमर झुकी हुई. उनके आसपास के लोग भी कहते हैं कि ऐसा सफर भगवान किसी को ना कराए.

बिलासपुर सैनिक कल्याण बोर्ड से नहीं मिल रहा सहयोग

इस कहानी के पीछे सबसे बड़ा किरदार बिलासपुर के जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के अधिकारियों का है जो पिछले कई सालों से जानबूझकर ललिता देवी का सहयोग नहीं कर रहे हैं. 69 वर्षीय उनके बेटे राजेंद्र सिंह ने अपनी मां की सारी तकलीफें यहां के अधिकारियों को बताई है. फिर भी अधिकारी उन्हें नियमों का पेंच बता कर सहयोग करने से मना कर रहे हैं. इसके कारण ही राजेंद्र सिंह ने अपनी तकलीफ कई और अधिकारियों को बताई हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के सैनिक रणजीत सिंह के बेटे राजेंद्र सिंह ने अपनी तमाम तकलीफें को लेकर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है. हाई कोर्ट के अधिकारियों ने उन्हें कानूनी सलाह लेने की बात कही है. राजेंद्र सिंह का कहना है कि आने वाले दिनों में वह अपनी मां की समस्या दूर करने के लिए कोर्ट में याचिका लगाने वाले हैं.

यह भी पढ़ें: Chhattisgarh: सुकमा पुलिस ने नक्सली सप्लायर को किया गिरफ्तार, इलेक्ट्रिक डेटोनेटर समेत अन्य सामान बरामद

वर्तमान अधिकारी आशीष पांडे नहीं कर रहे हैं सहयोग

आखिरी बार जब राजेंद्र सिंह ने जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के पूर्व जिला सैनिक अधिकारी कुलदीप सेंगर को इस मामले के बारे में बताया था तो उन्होंने 13 महीने तक उनका सहयोग किया और यहां से उनके विषय में उत्तर प्रदेश के बलिया के अधिकारियों को जीवित प्रमाण पत्र होने का नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट भेजा. उनके जाने के बाद वर्तमान अधिकारी आशीष पांडे सहयोग नहीं कर रहे हैं और यही कारण है की एक 95 साल की बुजुर्ग महिला झुकी हुई कमर लेकर पेंशन के लिए हजार किलोमीटर का सफर कर रही है. इस मामले में बिलासपुर के अपर कलेक्टर और जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष एआर कुरुवंशी का कहना है कि उन्होंने जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के अधिकारियों से बात की है जल्द ही ललिता देवी के संदर्भ में मामले को सरल करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी. उन्हें पेंशन बराबर मिलता रहेगा और उन्हें किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं आएगी.

Exit mobile version