Vistaar NEWS

चुनाव दर चुनाव दिल्ली में बढ़ी है BJP की ताकत, आंकड़े दे रहे चीख-चीखकर गवाही, ऐसे ही परेशान नहीं हैं केजरीवाल!

PM Modi and Arvind Kejriwal

पीएम मोदी और अरविंद केजरीवाल

Delhi Election 2025: दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों पर वोटिंग जारी है और इस बार आम आदमी पार्टी और BJP के बीच कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है. पिछले चुनावों की तुलना में दोनों पार्टियों की स्थिति में काफी बदलाव हुआ है. दिल्ली में पिछले दो विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ताकत बढ़ी है. वहीं कई ऐसे कारण भी हैं, जिससे AAP कमजोर हुई है. आइये माजरा क्या है? सबकुछ विस्तार से समझते हैं.

2015 और 2020 में AAP की शानदार जीत

AAP ने 2015 में दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 67 सीटों पर जीत हासिल की थी, जो पार्टी के लिए एक ऐतिहासिक सफलता थी. इसके बाद 2020 में पार्टी ने 62 सीटों पर जीत हासिल की, जिसमें पांच सीटों का फर्क आया. हालांकि, यह भी एक बड़ी जीत थी, लेकिन पिछले चुनावों के मुकाबले AAP को अपने वोट शेयर और जीत के मार्जिन में गिरावट का सामना करना पड़ा है.

कहां पर घटा AAP का वोट शेयर और क्यों?

दिल्ली के विभिन्न इलाकों में AAP के वोट शेयर में गिरावट आई है. खासकर उत्तर पश्चिम दिल्ली, दक्षिण दिल्ली और पश्चिम दिल्ली में AAP के वोटों में गिरावट देखी गई. 32 सीटों पर AAP का वोट शेयर कम हुआ, और 42 सीटों पर उसकी जीत का मार्जिन घटा. इन सीटों पर बीजेपी के वोट शेयर में बढ़ोतरी हुई है, और यह संकेत देता है कि बीजेपी की पकड़ अब मजबूत हो रही है.

उत्तर पश्चिम दिल्ली के किराड़ी सीट पर AAP के वोट शेयर में 11.89 प्रतिशत की गिरावट आई, जो सबसे बड़ी गिरावट रही. इन परिणामों से यह साफ दिख रहा है कि बीजेपी ने अपनी ताकत बढ़ाई है, और AAP को चुनौती देने के लिए तैयार है.

बीजेपी की बढ़ती ताकत

बीजेपी ने 2020 में कई सीटों पर अपनी स्थिति मजबूत की. पार्टी के वोट शेयर में काफी वृद्धि हुई, खासकर उन सीटों पर जहां AAP का वोट शेयर गिरा. बीजेपी ने 10 सीटों पर 10 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर की बढ़ोतरी दर्ज की. उदाहरण के तौर पर पटपड़गंज, किराड़ी, विकासपुरी, तुगलकाबाद, और आदर्श नगर जैसी सीटों पर बीजेपी का वोट शेयर बहुत बढ़ा. इन सीटों पर बीजेपी के लिए स्थिति बेहतर हो रही है, और पार्टी को अपने जीतने का पूरा विश्वास है.

यह भी पढ़ें: अरबपति और दागी उम्मीदवारों की बाढ़, 70 सीटों के लिए महा-तकरार…कौन बनेगा राजधानी का अगला ‘सुलतान’?

कांग्रेस का संघर्ष

कांग्रेस की स्थिति दिल्ली विधानसभा चुनाव में कमजोर दिख रही है. 2015 और 2020 के चुनावों में पार्टी का वोट शेयर गिरा है. हालांकि, कांग्रेस को कुछ सीटों पर उम्मीद है, जहां पार्टी ने अपने वोट शेयर में सुधार की उम्मीद जताई है. कांग्रेस को मटिया महल, ओखला, जंगपुरा और कुछ अन्य सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है, लेकिन इन सीटों पर भी कांग्रेस का वोट शेयर पहले कम हुआ था.

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पार्टी दिल्ली में 28 सीटों पर अपनी स्थिति बेहतर कर सकती है, लेकिन यह चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि बीजेपी और AAP दोनों ही मुकाबले में मजबूत हैं.

दिल्ली फतह करने के लिए बीजेपी की रणनीति

बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली के सभी सात सीटों पर जीत हासिल की थी, और पार्टी का लक्ष्य दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी यही सफलता दोहराने का है. बीजेपी का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण फैक्टर है. बीजेपी को विश्वास है कि पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान जिन मतदाताओं ने पार्टी को वोट दिया था, वही इस बार भी पार्टी के पक्ष में मतदान करेंगे.

AAP की रणनीतियां

AAP ने 2020 के विधानसभा चुनावों में अपनी ताकत दिखाने के बाद अब 2025 में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए नई रणनीतियों पर काम किया है. पार्टी का ध्यान उन सीटों पर है जहां उसने पिछले चुनावों में अच्छी जीत हासिल की थी. अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी का लक्ष्य नई दिल्ली, जंगपुरा, कालकाजी, और ग्रेटर कैलाश जैसी प्रमुख सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करना है.

दिल्ली विधानसभा चुनावों में इस बार AAP, बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है. AAP को अपनी जीत के मार्जिन में गिरावट और वोट शेयर में कमी का सामना करना पड़ रहा है, जबकि बीजेपी ने अपनी स्थिति मजबूत की है और कांग्रेस के लिए चुनौती बनी हुई है. अंत में यह चुनाव दिल्ली के मतदाताओं के रुझानों पर निर्भर करेगा, और यह देखा जाएगा कि दिल्ली की जनता किसे अपनी सरकार बनाने का मौका देती है.

Exit mobile version