अरबपति और दागी उम्मीदवारों की बाढ़, 70 सीटों के लिए महा-तकरार…कौन बनेगा राजधानी का अगला ‘सुलतान’?
प्रतीकात्मक तस्वीर
Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव अब बस एक कदम दूर हैं, और राजधानी की राजनीति में एक और दिलचस्प पन्ना जुड़ने वाला है. 5 फरवरी को दिल्ली के 70 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होगा. इस बार के चुनाव में दागी और अरबपति उम्मीदवारों की कोई कमी नहीं है. दूसरी ओर इंडिया गठबंधन की 5 पार्टियां आपस में ही सिर फुटौवल कर रही है. दिल्ली का चुनाव सिर्फ एक राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि यह पूरी दिल्ली के भविष्य का सवाल बन चुका है. तो चलिए, इस चुनावी ड्रामा को विस्तार से समझते हैं.
दिल्ली का चुनावी मंजर
सबसे पहले तो, इस बार चुनाव में आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर होगी. इसके अलावा, कुछ अन्य छोटे दल भी अपनी किस्मत आजमाने मैदान में हैं, जैसे सीपीएम, CPI, और बहुजन समाज पार्टी (BSP). हर पार्टी चुनावी रण में अपनी पूरी ताकत झोंकने के लिए तैयार है.
लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इस बार दिल्ली की विधानसभा चुनावी लड़ाई एक पुराने जोड़ीदार के बीच नहीं, बल्कि ‘इंडिया’ गठबंधन के खिलाफ चल रही है? ये गठबंधन पिछले लोकसभा चुनाव में साथ था, लेकिन इस बार उसकी 5 पार्टियां आपस में ही लड़ रही हैं. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक-दूसरे के खिलाफ पूरी ताकत झोंक रही है. इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 70 में से 68 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि उनके सहयोगी दलों ने दो सीटों पर उम्मीदवार दिए हैं.
उम्मीदवारों का रंग-बिरंगा कॉकटेल
अब बात करते हैं उम्मीदवारों की, जिनकी किस्मत इस चुनावी मौसम में तय होगी. कुल 699 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन इन 699 में से 19% यानी करीब 132 उम्मीदवार दागी हैं. इसमें से 81 उम्मीदवार तो ऐसे हैं जिन पर गंभीर आरोप हैं – हत्या, किडनैपिंग, बलात्कार जैसे गंभीर आरोप! इन आंकड़ों को देखकर तो लगता है कि दिल्ली में कुछ लोग राजनीति से ज्यादा ‘सस्पेंस थ्रिलर’ की फिल्में देख रहे हैं.
और अगर हम संपत्ति की बात करें, तो इन उम्मीदवारों में से कुछ के पास ऐसी संपत्तियां हैं कि आप सोचेंगे, “यार, ये तो अरबपति हैं!” कई उम्मीदवारों की संपत्ति 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की है. वहीं, महिलाओं का चुनावी संघर्ष भी खास है, क्योंकि इस बार 96 महिलाएं मैदान में हैं, जो कुल उम्मीदवारों का सिर्फ 14% हैं. यह आंकड़ा तो कम से कम इतना कहता है कि महिला उम्मीदवारों का बढ़ता हुआ महत्व अब कम नहीं होने वाला!
स्विंग वोटर्स का राज़
दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे दिलचस्प और अहम भूमिका निभाते हैं स्विंग वोटर्स. ये वो लोग होते हैं जो किसी एक पार्टी के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित नहीं होते, और चुनावी फैसले को बदल सकते हैं. पिछले चुनावों में देखा गया था कि 18% स्विंग वोटरों ने ही चुनाव का रूख मोड़ा था. इन वोटरों के आधार पर ही किसी भी पार्टी की जीत तय होती है.
यह स्विंग वोटर दिल्ली की सड़कों पर घूमते, लोकल मार्केट्स में शॉपिंग करते, कैफे में चाय पीते और हर गली-गली में अपने पसंदीदा नेता के बारे में गपशप करते मिल जाते हैं. इनकी पसंद पार्टी के प्रचार पर निर्भर करती है, लेकिन अंत में यह तय कर लेते हैं कि किस पार्टी का विकास, उनके लिए ज्यादा फायदेमंद होगा.
2025 की हॉट सीट्स
कुछ सीटें ऐसी होती हैं, जहां चुनावी दिलचस्पी सबसे ज़्यादा होती है. इन सीटों पर AAP, BJP, और कांग्रेस का मुकाबला बेहद कड़ा रहता है. जैसे की नई दिल्ली, ग्रेटर कैलाश, कालकाजी, जंगपुरा और पटपड़गंज. इन सीटों पर हर पार्टी की पूरी रणनीति लागू होती है.
नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भाजपा के प्रवेश वर्मा और कांग्रेस के संदीप दीक्षित चुनावी जंग लड़ रहे हैं. दिल्ली की सियासत में इन तीन नामों का जिक्र ही अपने आप में एक कहानी जैसा बन जाता है.
2020 के बाद की स्थिति
अगर हम पिछले चुनावों की बात करें, तो 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने शानदार जीत हासिल की थी. यानी, इस बार भी AAP के पास अपने इतिहास को दोहराने का मौका है. वहीं, भाजपा ने कई बार ये दावा किया है कि दिल्ली के लोग अब बदलाव की तरफ देख रहे हैं. तो, क्या दिल्ली की जनता अपने पुराने ‘नेता’ केजरीवाल को फिर से चुनेगी या भाजपा की ओर रुख करेगी? यही सवाल है जो इस चुनाव को और भी दिलचस्प बनाता है.
आखिरकार: ये चुनाव केवल दिल्ली के लिए नहीं, बल्कि भारत की राजनीति में एक अहम मोड़ साबित हो सकते हैं. कौन सी पार्टी जीतने वाली है, और कौन सा चेहरा दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेगा, ये सब कुछ 8 फरवरी को ही तय होगा. वैसे बातें तो बहुत सी हैं, लेकिन इस रोमांचक चुनावी महाकुंभ का एक ही संदेश है- “दिल्ली, तुम बहुत खास हो!”