तिहाड़ जेल में रहेंगे या बाहर आएंगे अरविंद केजरीवाल? दिल्ली HC आज करेगा फैसला

Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के लिए मंगलवार का दिन काफी बड़ा है. इसकी वजह यह है कि अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर मंगलवार को ही फैसला आना है.
Arvind Kejriwal Arrested

दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल

Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के लिए आज का दिन काफी बड़ा है. इसकी वजह यह है कि केजरीवाल की जमानत याचिका पर मंगलार को दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला आने वाला है. कोर्ट उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद अब फैसला सुनाएगा. प्रवर्तन निदेशालय और केजरीवाल की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने 3 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत को बताया था कि कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आगामी चुनावों के आधार पर गिरफ्तारी से ‘छूट’ का दावा नहीं कर सकते, क्योंकि कानून उनके और एक ‘आम आदमी’ के लिए समान रूप से लागू होता है.

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15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में हैं केजरीवाल

गौरतलब है कि 21 मार्च को ईडी ने अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया था. फिलहाल वे 15 अप्रैल तक की न्यायिक हिरासत में हैं. तिहाड़ जेल में बंद आप प्रमुख केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी के समय को लेकर सवाल उठाया और कहा कि यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एवं समान अवसर मुहैया कराए जाने सहित संविधान की बुनियादी संरचना का उल्लंघन है.

केजरीवाल के वकील का ईडी पर आरोप

दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान अरविंद केजरीवाल का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनु सिंघवी ने दलील दी थी कि अगस्त 2022 में ईडी द्वारा जांच शुरू करने के डेढ़ साल बाद धनशोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन में आप नेता को गिरफ्तार करने की कोई जरूरत ही नहीं थी. ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस. वी. राजू ने याचिका पर कहा कि इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध बनता है.

हत्या से भी बदतर है आर्थिक अपराध

एएसजी ने ईडी के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर कहा कि उनका मामला सबूतों पर आधारित है और अपराधियों को गिरफ्तार किया ही जाना चाहिए और जेल भेजना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि आर्थिक अपराध हत्या से भी बदतर है और कानून का शासन सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार अनिवार्य करता है.

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