Delhi-NCR Pollution: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-NCR की क्षेत्र के सभी राज्यों को कक्षा 12वीं तक के छात्रों के लिए सभी भौतिक कक्षाएं बंद करने का तत्काल निर्णय लेना चाहिए. इससे पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने Delhi-NCR में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर 10वीं और 12वीं क्लास को छोड़कर सभी क्लास को ऑनलाइन कर दिया है.
दिल्ली एनसीआर में प्रदुषण अपने खतरनाक स्टार से ऊपर जा चूक है. IQAir पॉल्यूशन मॉनिटर्स के मुताबिक सोमवार की सुबह दिल्ली में PM 2.5 का लेवल 907 था. जोकि WHO की तय डेली लिमिट से 60 गुना ज्यादा है. यह जानलेवा है.
बता दें, पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में पिछले हफ्ते AQI ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. पाकिस्तान के लाहौर में प्रदूषण का स्तर 1900 के पार चला गया था. सोमवार को दिल्ली का AQI 1000 के पार चला गया.
18 नवंबर दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सुनवाई हुई. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में वायु प्रदूषण पर केंद्र सरकार से जवाब-तलब किया है. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने सोमवार को केंद्र सरकार से पूछा, ‘जब एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 से 400 के बीच पहुंचा, तो GRAP-3 की पाबंंदियां लागू करने में तीन दिन की देरी क्यों हुई? आप हमें गाइडलाइन बताएं.’
Supreme Court questions authorities why there was a delay of 3 days in imposing GRAP-3 in Delhi NCR.
Supreme Court says it is proposing to pass an order that authorities will not go below GRAP stage 4 without court’s permission even if Air Quality Index (AQI) goes below 300.… pic.twitter.com/Hnrx0RsP5V
— ANI (@ANI) November 18, 2024
बिना पूछे नहीं हटेंगे प्रतिबंध- SC
इस पर केंद्र सरकार ने SC से कहा, अब तो GRAP-4 की पाबंदियां लागू करने की स्थिति बन गई है. इस पर कोर्ट ने कहा, ‘दिल्ली सरकार इसे कैसे लागू करेगी, हमें बताए. हम यहां स्पष्ट कर दे रहे हैं कि आप हमारी इजाजत के बगैर GRAP-4 से नीचे नहीं आएंगे. चाहे प्रदेश में AQI 300 से नीचे ही क्यों ना आ जाए.’
दिल्ली के लोगों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा प्रदूषण है. लेकिन केंद्र की सरकार हो या दिल्ली की, दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगाती है. दिल्ली का लोकेशन ही ऐसा है कि इसे हर साल ये दर्द झेलना पड़ता है. राष्ट्रिय राजधानी में तेजी से बढ़ती हुई गाड़ियां. औद्योगिक यूनिट्स, लगातार हो रहा कंस्ट्रक्शन, 24 घंटे जलने वाले कचरे के पहाड़. डीजल इंजन, एयर कंडिशनर और थर्मल प्लांट्स सहित कई चीजें हैं.
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण
गाड़ियों से निकलने वाली गैसें
साल 2000 में दिल्ली में मात्र 34 लाख गाड़ियां थी. जो 2021-22 में बढ़कर 1.22 करोड़ से ज्यादा हो चुकी हैं. जबकि 15 साल की गाड़ियों पर बैन लगा है. इसके बावजूद हर दिन दिल्ली की सड़कों पर करीब 80 लाख गाड़ियां दौड़ती हैं. जिनसे कार्बन डाईऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें निकलती हैं. जो दिल्ली एनसीआर की हवाओं को हर दिन जेहरीला बना रहा है.
यह भी पढ़ें: AAP में शामिल हुए सुमेश शौकीन, दिल्ली चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका
जलता कचड़ों का पहाड़
दिल्ली नगर निगम के मुताबिक राष्ट्रिय राजधानी के अलग-अलग इलाकों से 11 हजार टन कचरा हर दिन निकलता है. जिसे गाजीपुर और ओखला लैंडफिल साइट पर ले जाया जाता है. दोनों जगहों पर तीन टन और दो टन की बायो-माइनिंग प्रोजेक्ट्स लगने हैं. सिर्फ इतना ही नहीं दिल्ली-एनसीआर इलाके में कई ऐसे उद्योग हैं, जहां पर सालाना 17 लाख टन कोयले का इस्तेमाल होता है. जिसके जलने से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बहुत ज्यादा होता है.
हर दिन जल रहे पराली
दिल्ली के पडोसी राज्य पंजाब और हरियाणा में जैसे ही ठंड का मौसम आने लगता है, किसान खेत में परली जलाते हैं. इस बार मॉनसून की देरी से पिछली फसल की सफाई और अगली फसल की तैयारी भी देर से शुरू हुई है. इसलिए इन राज्यों में खेतों में पराली जलाने का मामला भी लेट से शुरू हुआ.