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लालू की साइकिल, तेज प्रताप का संदेश…RJD में तेजस्वी का ‘राज’ तो फिर कहां खड़े हैं ‘भैया जी’?

Bihar Politics

लालू यादव और तेजस्वी यादव

Bihar Politics: बिहार की सियासत में इन दिनों एक तस्वीर ने हलचल मचा दी है. तस्वीर में लालू प्रसाद यादव साइकिल चलाते हुए पटना सचिवालय की ओर बढ़ रहे हैं, और दूसरी तस्वीर में उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव भी उसी अंदाज में साइकिल पर सवार हैं. ये तस्वीरें तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर शेयर कीं, और बस, सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया. आखिर तेज प्रताप ने ऐसा क्यों किया? क्या वो लालू के अंदाज में कोई बड़ा संदेश देना चाहते हैं? और सबसे बड़ा सवाल कि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में अब तेज प्रताप की क्या हैसियत है, जब छोटे भाई तेजस्वी यादव ने पार्टी की कमान पूरी तरह अपने हाथों में ले ली है? चलिए, इस सियासी ड्रामे को विस्तार से समझते हैं.

साइकिल की सवारी, सियासत का संदेश

तस्वीरों की कहानी से शुरू करते हैं. हाल ही में जब केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का ऐलान किया, तो बिहार में RJD ने इसे अपनी बड़ी जीत के तौर पर मनाया. तेजस्वी यादव ने कार्यकर्ताओं के साथ पटाखे फोड़े और इसे अपनी मेहनत का नतीजा बताया. लेकिन तेज प्रताप भी कहां पीछे रहने वाले थे. उन्होंने सोशल मीडिया पर दो तस्वीरें डालीं. एक में लालू यादव साइकिल चलाते हुए, और दूसरी में खुद उसी स्टाइल में. दोनों तस्वीरें पटना सचिवालय के आसपास की हैं, जहां से बिहार का शासन चलता है.

अब साइकिल कोई साधारण साइकिल नहीं थी. इसी साइकिल से लालू अपने जमाने में गरीबों और आम जनता की आवाज को बुलंद करते थे. तेज प्रताप ने गमछा और हरी टोपी (RJD का ट्रेडमार्क) पहनकर साइकिल चलाई, और साथ में लिखा कि 29 साल पहले लालू की समाजवादी सरकार ने जातिगत जनगणना का फैसला लिया था, जिसे अब NDA सरकार को फिर से लागू करना पड़ा. ये पोस्ट सिर्फ तस्वीरें नहीं, बल्कि एक सियासी संदेश है. तेज प्रताप ये बताना चाहते थे कि वो लालू की विरासत के असली वारिस हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या RJD में उनकी बात का अब वही वजन है?

लालू का अंदाज, तेज प्रताप का स्वैग

अगर आप बिहार की सियासत को थोड़ा भी जानते हैं, तो आपको पता होगा कि लालू यादव का जादू सिर्फ उनकी नीतियों में नहीं, बल्कि उनके देसी अंदाज, बिंदास बोलने की शैली और भदेसपन में था. और ये सारा जादू तेज प्रताप में साफ दिखता है. उनके हाव-भाव, बोलने का ढंग और जनता के बीच बेधड़क घुलने-मिलने की आदत, सबकुछ लालू की कॉपी लगता है. कई बार वो लालू की नकल भी करते हैं, और मीडिया की सुर्खियों में छा जाते हैं.

लेकिन सियासत के जानकार इसे सिर्फ नकल नहीं मानते. वो कहते हैं कि तेज प्रताप का ये अंदाज एक सोचा-समझा सियासी दांव है. उनकी हर हरकत, चाहे वो साइकिल चलाना हो या लालू जैसी बातें करना, एक मैसेज देने की कोशिश है कि मैं लालू का बड़ा बेटा हूं, और मेरी भी अपनी जगह है.’ इस बार की साइकिल वाली तस्वीर भी कुछ ऐसा ही कह रही है. तेज प्रताप ये दिखाना चाहते हैं कि जातिगत जनगणना की जीत में लालू की सोच और उनकी विरासत का बड़ा हाथ है, और वो उस विरासत को आगे बढ़ाने में पीछे नहीं हैं.

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तेजस्वी का युग, तेज प्रताप किनारे?

अब असली सवाल पर आते हैं. RJD में तेज प्रताप की क्या स्थिति है? अगर आप RJD की ताजा सियासत पर नजर डालें, तो साफ दिखता है कि पार्टी अब तेजस्वी यादव की हो चुकी है. लालू यादव भले ही राष्ट्रीय अध्यक्ष हों, लेकिन असल कमान किसी और के हाथ में है. तेजस्वी यादव को अब राष्ट्रीय अध्यक्ष के बराबर दर्जा दे दिया गया है. पार्टी के संविधान में बदलाव करके धारा 35A जोड़ी गई, जिसके तहत तेजस्वी को वो सारे अधिकार मिल गए, जो पहले सिर्फ लालू के पास थे. यानी, अब उम्मीदवारों को टिकट देने से लेकर बड़े फैसले तक, सब कुछ तेजस्वी के हाथ में है.

तेज प्रताप ने कई बार खुलकर कहा है कि वो तेजस्वी के साथ खड़े हैं. 2019 में एक रैली में उन्होंने मजाकिया अंदाज में शिकायत भी की थी कि तेजस्वी हेलिकॉप्टर से उड़ जाते हैं, और वो जमीन पर रह जाते हैं. उस वक्त से अब तक 6 साल बीत चुके हैं, और तेजस्वी ने RJD को नया रंग-रूप दे दिया है. वो अब पार्टी का चेहरा हैं, और कार्यकर्ताओं से लेकर जनता तक, सबकी नजर उन पर है.

लेकिन तेज प्रताप? सियासी जानकार कहते हैं कि वो अब RJD में किनारे खड़े हैं. बिहार की राजनीति को करीब से जानने वाले लोगों के मुताबिक , “RJD अब तेजस्वी की हो गई है. लालू को फॉलो करने वाले अब पीछे की पंक्ति में हैं, या शायद किसी पंक्ति में हैं भी कि नहीं.” तेज प्रताप भले ही लालू के बड़े बेटे का गौरव लिए फिरते हों, लेकिन पार्टी के निर्णायक मंडल में उनकी कोई खास जगह नहीं दिखती.

लाइमलाइट की चाहत रखते हैं तेज प्रताप!

तेज प्रताप को लाइमलाइट से प्यार है, और वो इसके लिए कुछ भी कर सकते हैं. कभी वो कृष्ण भक्ति में डूबकर ‘वृंदावन बिहारी’ बन जाते हैं, तो कभी साइकिल चलाकर सुर्खियां बटोरते हैं. लेकिन सियासत सिर्फ सुर्खियों से नहीं चलती. इसके लिए संगठन की ताकत चाहिए, कार्यकर्ताओं का भरोसा चाहिए और सबसे जरूरी नेतृत्व की क्षमता.

हालांकि, इन बातों के इतर तेज प्रताप की प्रासंगिकता अभी इसलिए बनी हुई है, क्योंकि लालू और राबड़ी देवी सक्रिय हैं. लेकिन जिस दिन वो सियासत से पूरी तरह हट जाएंगे, तेज प्रताप की चर्चा भी कम हो सकती है. वो अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए लगातार कोशिश करते हैं, लेकिन तेजस्वी के सामने उनकी चमक फीकी पड़ रही है.

क्या है तेज प्रताप का भविष्य?

तो क्या तेज प्रताप सिर्फ लालू की परछाई बनकर रह जाएंगे? या वो RJD में अपनी अलग पहचान बना पाएंगे? ये सवाल बिहार की सियासत में बार-बार उठता है. उनकी साइकिल वाली तस्वीर ने एक बार फिर ये बहस छेड़ दी है कि आखिर तेज प्रताप RJD में कहां खड़े हैं. क्या वो सिर्फ लालू की विरासत को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं, या उनके पास कोई बड़ा सियासी प्लान है? फिलहाल, तेजस्वी यादव RJD के ‘अर्जुन’ बने हुए हैं, और तेज प्रताप की साइकिल भले ही सियासी गलियारों में चर्चा बटोर रही हो, लेकिन असल सियासत का रिमोट कंट्रोल तेजस्वी के हाथ में है. और जैसा कि एक कहावत है, “सियासत में वही जीतता है, जो जनता का दिल और दिमाग, दोनों जीत ले.”

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