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मध्य प्रदेश और राजस्थान फॉर्मूले से दिल्ली चलाएगी BJP! समझिए CM फेस को लेकर क्या है पार्टी की रणनीति?

PM Modi and Amit shah

पीएम मोदी और अमित शाह

Delhi BJP CM Face: पीएम मोदी अपनी अमेरिका यात्रा पूरी करने के बाद शुक्रवार रात भारत लौट आए हैं. जैसे ही प्रधानमंत्री भारत लौटे, दिल्ली में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ी. अब सरकार के गठन को लेकर कई बातें सामने आ रही हैं. पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के लिए दिल्ली में विभिन्न जगहों की लिस्ट तैयार की जा रही है. यानी यह तय किया जा रहा है कि शपथ ग्रहण कहां होगा. इसके अलावा, एक और अहम काम भी शुरू होने वाला है, वह है पर्यवेक्षकों की नियुक्ति.

पीएम मोदी के लौटने के बाद, पार्टी की रणनीति के अनुसार, पहले पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाएगी. पर्यवेक्षक पार्टी के नेताओं को चुनाव परिणामों और मुख्यमंत्री के चयन के लिए मार्गदर्शन देंगे. इसके बाद विधायकों की बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें मुख्यमंत्री का नाम घोषित किया जाएगा. इसी दौरान, पार्टी के नेताओं का यह भी कहना है कि यह संभव है कि प्रधानमंत्री के दिल्ली लौटने के बाद बीजेपी के संसदीय बोर्ड की बैठक भी बुलाई जाए, जिसमें अहम फैसले लिए जाएंगे. संसदीय बोर्ड पार्टी का सबसे अहम निर्णय लेने वाला निकाय है, जिसमें पार्टी के बड़े नेता शामिल होते हैं.

चुनाव परिणाम के बाद की स्थिति

आपने देखा कि विधानसभा चुनाव के परिणाम बीजेपी के पक्ष में आए थे, लेकिन नतीजे आने के छह दिन बाद भी सीएम का नाम सामने नहीं आया है. यह सवाल उठता है कि ऐसा क्यों हुआ? इसका मुख्य कारण यह है कि चुनाव परिणाम के बाद प्रधानमंत्री मोदी को पहले से तय एक विदेशी दौरे पर जाना था. प्रधानमंत्री के विदेश दौरे के चलते बीजेपी को सीएम के नाम की घोषणा में थोड़ी देरी हुई. लेकिन, पार्टी ने इस दौरान चुनाव नतीजों के बाद से सरकार बनाने के लिए अपनी पूरी तैयारी कर ली थी.

अब, पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, जैसे ही पर्यवेक्षकों की नियुक्ति होती है, फिर विधायक दल की बैठक होगी, जिसमें मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा होगी. इसके बाद, विधायकों से अनुमोदन मिलने के बाद मुख्यमंत्री का नाम घोषित किया जाएगा. यह प्रक्रिया इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बीजेपी विधायकों से यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सभी को नये सीएम का चुनाव सही लगे और वो इसका समर्थन करें.

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अटकलें और संभावनाएं

अब बात करते हैं कि मुख्यमंत्री कौन हो सकता है. बीजेपी के भीतर इस बारे में अभी तक कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है, और इस पर अटकलें जारी हैं. पार्टी के सूत्रों का कहना है कि बीजेपी ने अपने पिछले चुनावों में मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए जो फॉर्मूला अपनाया था, उसे दिल्ली में भी लागू किया जा सकता है. इसका मतलब है कि दिल्ली में भी कोई ऐसा नाम सामने आ सकता है, जिसे पार्टी ने एक नई दिशा देने के लिए चुना हो, और जिसे पहले से ज्यादा लोगों ने न सुना हो.

बीजेपी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड में जब नए मुख्यमंत्री बनाए. उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश में मोहन यादव के नाम पर मुहर लगने के बाद, राज्य की राजनीति को जानने वाले लोग भी हैरान रह गए थे. राजस्थान में भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले ने भी सबको चौंका दिया. इसी तरह उत्तराखंड में पुष्कर धामी और हरियाणा में नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले ने सबको हैरान किया था. बीजेपी ने इन फैसलों के जरिए एक संदेश दिया था कि पार्टी किसी भी अनजान चेहरे को भी मुख्यमंत्री बना सकती है, जो किसी के लिए अप्रत्याशित हो, लेकिन जो पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो.

आगामी विधानसभा चुनावों के समीकरण

2025 के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव और 2027 की शुरुआत में उत्तर प्रदेश और पंजाब में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इस बीच, बीजेपी समेत सभी प्रमुख पार्टियां इन राज्यों के चुनावी समीकरणों पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं. हर राज्य का अपना अलग चुनावी परिदृश्य है, और पार्टी यही चाहती है कि वह इन राज्यों में अपनी स्थिति मजबूत कर सके. इन चुनावों में क्षेत्रीय, जातीय समीकरण भी अहम भूमिका निभाएंगे, क्योंकि इनसे जुड़े नेताओं को आगे बढ़ाने की रणनीति बनाई जाएगी.

मनजिंदर सिंह सिरसा का नाम क्यों?

पंजाब के चुनावी दृश्य में मनजिंदर सिंह सिरसा का नाम सुर्खियों में है. सिरसा का कनेक्शन हरियाणा से है, जहां बीजेपी ने तीसरी बार सरकार बनाई है. उनकी बढ़ती राजनीतिक पकड़ और प्रभाव को देखते हुए उनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए उठ रहा है. सिरसा को पंजाब की राजनीति में बीजेपी के एक मजबूत चेहरे के रूप में देखा जा रहा है. साथ ही, उनकी राजनीतिक शैली और क्षेत्रीय समीकरणों के कारण उनकी संभावना बढ़ रही है, खासकर जब पार्टी को एक ऐसा नेता चाहिए जो क्षेत्रीय मुद्दों को समझे और जनता से जुड़ा हो.

रेखा गुप्ता का नाम क्यों?

दिल्ली में बीजेपी अगर महिला नेतृत्व को मौका देना चाहती है, तो रेखा गुप्ता का नाम चर्चा में है. शालीमार बाग से विधायक रेखा गुप्ता ने खुद यह कहा कि पार्टी के पास दिल्ली में कई शानदार और अनुभवी नेता हैं, जिनमें से सीएम का चेहरा चुना जाएगा. उनका मानना है कि चाहे कोई भी सीएम बने, सभी मिलकर दिल्ली के लिए काम करेंगे. रेखा गुप्ता के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि अगर बीजेपी महिला नेतृत्व को प्राथमिकता देती है, तो उनका नाम एक मजबूत विकल्प हो सकता है, क्योंकि वे जुझारू और जनता से जुड़ी हुई नेता हैं.

दिल्ली में क्या हो सकता है?

अब सवाल यह है कि दिल्ली में किसे मुख्यमंत्री बनाया जाएगा? जैसा कि पार्टी ने पहले तीन राज्यों में अनजान चेहरों को सीएम बनाया, वैसा ही दिल्ली में भी हो सकता है. अगर दिल्ली में बीजेपी उसी फॉर्मूले को अपनाती है, तो यहां भी कोई ऐसा नाम सामने आ सकता है, जो एक नई पहचान के साथ राजनीति में कदम रखे.

इस फैसले से पार्टी को यह फायदा हो सकता है कि वो एक ऐसे नेता को सामने लाती है, जिसे ताजगी, नयापन और चुनौती देने वाली सोच के रूप में देखा जाए. इस तरह, बीजेपी दिल्ली में मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस बनाए रखने की कोशिश कर रही है, ताकि पार्टी के लिए सबसे सही फैसला लिया जा सके.

इस समय दिल्ली में मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा को लेकर जो स्थिति बन रही है, वह काफी दिलचस्प है. पार्टी को अभी कुछ दिन और वक्त लगेगा. यानी, इस समय सस्पेंस बना हुआ है कि दिल्ली का नया मुख्यमंत्री कौन होगा, लेकिन पार्टी के फैसले को लेकर हर किसी की नजरें टिकी हुई हैं.

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