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REDNOTE ऐप बना ड्रैगन का हथियार, नॉर्थईस्ट में जहर फैलाने की रच रहा साजिश

REDNote App

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REDNote App: हाल के दिनों में, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म REDNote, जिसे चीन में Xiaohongshu के नाम से जाना जाता है, भारत के नॉर्थईस्ट राज्यों में विवादों के केंद्र में आ गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ऐप का उपयोग कथित तौर पर भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने और गलत सूचनाएं फैलाने के लिए किया जा रहा है.

चीन का ये ऐप विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और असम जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में अपना जेहेर फैला रहा है. दावा किया जा रहा है कि यह ऐप, जिसे शंघाई स्थित Xingyin Information Technology कंपनी द्वारा विकसित किया गया है, वह फर्जी RAW दस्तावेज, नकली और एडिटेड वीडियो और भारत के विकृत नक्शे फैलाने का काम कर रहा है. इन गतिविधियों को ‘ड्रैगन’ यानी चीन की एक सुनियोजित रणनीति के रूप में देखा जा रहा है. जिसमें पाकिस्तान से जुड़े कुछ एजेंट्स की भी संलिप्तता संदिग्ध है.

मनोवैज्ञानिक युद्ध’ की तैयारी में ड्रैगन

चीन के REDNote ऐप को लेकर यह भी आरोप लगे हैं कि इसका इस्तेमाल नॉर्थईस्ट में लोगों को प्रभावित करने के लिए मनोवैज्ञानिक युद्ध (psychological warfare) के तौर पर किया जा रहा है. यह चीन का गुप्त हथियार है, जो ऑपरेशन ‘ड्रैगन’ के तहत भारत में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहा है. ये ऐप फेक न्यूज़ और भ्रामक प्रचार के जरिए क्षेत्र में अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहा है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ऐप के पीछे चीन और पाकिस्तान के साइकोलॉजिकल ऑपरेशन एक्सपर्ट्स काम कर रहे हैं. REDNOTE एक ऐसा हथियार है, जो बिना गोली चलाए सोच, संस्कृति और समाज को तोड़ने की साजिश में लगा है. चीन जानता है कि पूर्वोत्तर भारत सामरिक रूप से बेहद संवेदनशील है. इसलिए वह वही रणनीति अपना रहा है जो पहले अफ्रीका, ताइवान और हॉन्गकॉन्ग में आजमा चुका है. इसी के जर‍िए उसने अस्‍थि‍रता फैलाने की कोश‍िश की है.

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लाइफस्टाइल के नाम पर साजिस

हालांकि, REDNote को चीन आधिकारिक तौर पर एक लाइफस्टाइल ऐप के रूप में प्रचारित किया जाता है. जहां यूजर्स फैशन, ब्यूटी, यात्रा और खाने जैसे विषयों पर कंटेंट शेयर करते हैं. यह ऐप टिकटॉक जैसे शॉर्ट-वीडियो प्लेटफॉर्म की तरह काम करता है और गूगल प्ले स्टोर व ऐप्पल ऐप स्टोर पर मुफ्त उपलब्ध है. लेकिन हाल की खबरों ने इसके कथित दुरुपयोग पर सवाल उठाए हैं, खासकर भारत के संवेदनशील क्षेत्रों में.

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