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चिराग का ‘हेलिकॉप्टर’ उड़ाने को बेताब बिहार के ‘सियासी बेटे’, क्या विधानसभा चुनाव में LJP-R बनेगी नया लॉन्चपैड?

Bihar Politics

बिहार विधानसभा चुनाव में 'सपनों के चिराग'

Bihar Politics: बिहार की सियासत में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) इन दिनों सुर्खियों में है. बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही बीजेपी और जेडीयू के कई दिग्गज नेता अपने बेटे-बेटियों को राजनीति में सेट करने के लिए चिराग के ‘हेलीकॉप्टर’ की सवारी करना चाहते हैं. बीजेपी और जेडीयू में टिकट की मारामारी के बीच चिराग की पार्टी नए चेहरों के लिए मंच बन रही है, क्योंकि यहां सीटें खाली हैं और उम्मीदें आसमान छू रही हैं.

क्यों चिराग की पार्टी बनी फेवरेट?

चिराग पासवान की LJP (रामविलास) के पास अभी एक भी विधायक नहीं है, यानी हर सीट पर नए चेहरों को मौका मिल सकता है. बीजेपी और जेडीयू में सीटों के लिए तगड़ी खींचतान चल रही है, ऐसे में कई बड़े नेता अपने बच्चों को चिराग की पार्टी से टिकट दिलाने की जुगत में लगे हैं. चिराग का युवा जोश और उनकी पार्टी का एनडीए गठबंधन में बढ़ता रसूख नेताओं को आकर्षित कर रहा है.

कौन-कौन है रेस में?

मदन सहनी का बेटा एकलव्य: बिहार सरकार के मंत्री मदन सहनी अपने बेटे एकलव्य को मिथिलांचल से चुनावी मैदान में उतारना चाहते हैं. खबर है कि सहनी ने चिराग से मुलाकात भी की है और जल्द ही एकलव्य LJP में शामिल हो सकते हैं.

विनोद नारायण झा का बेटा वैभव: बीजेपी विधायक विनोद नारायण झा के बेटे वैभव झा पहले ही LJP (रामविलास) में शामिल हो चुके हैं और पार्टी के प्रवक्ता भी हैं. वैभव मधुबनी की किसी सीट से टिकट की दावेदारी ठोक रहे हैं. चर्चा है कि हरलाखी सीट पर उनकी नजर है.


दिनेश कुमार सिंह की बेटी कोमल:
जेडीयू विधान पार्षद दिनेश कुमार सिंह की बेटी कोमल सिंह पहले से ही चिराग की पार्टी में हैं और इस बार विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी में हैं. उनकी मां वीणा सिंह वैशाली से LJP की सांसद हैं.


रामकृपाल यादव का बेटा अभिमन्यु: बीजेपी के पूर्व सांसद रामकृपाल यादव अपने बेटे अभिमन्यु को बीजेपी से टिकट दिलाने की कोशिश में हैं. लेकिन अगर बीजेपी में बात नहीं बनी, तो चिराग की पार्टी उनका प्लान-बी है.


महेश्वर हजारी का बेटा सन्नी: जेडीयू नेता महेश्वर हजारी अपने बेटे सन्नी को बीजेपी से टिकट दिलाने के लिए नीतीश कुमार से मिल चुके हैं. अगर बात नहीं बनी, तो चिराग का दरवाजा खटखटाने को तैयार हैं.


अवधेश नारायण सिंह का बेटा: बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह भी अपने बेटे को सियासत में लॉन्च करने की जुगत में हैं.

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और भी हैं लाइन में!

नेता पुत्रों की लिस्ट यहीं खत्म नहीं होती. जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के बेटे सोनू, विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव का बेटा (पटना सिटी से दावेदार), बीजेपी विधायक अरुण सिन्हा का बेटा और नालंदा के हरनौत से विधायक हरिनारायण सिंह का बेटा भी चिराग की पार्टी की ओर देख रहे हैं.

चिराग का ‘हेलीकॉप्टर’ क्यों है खास?

LJP (रामविलास) में टिकट का फैसला सीट बंटवारे के बाद होता है, जिससे नए चेहरों को मौका मिलने की संभावना बढ़ जाती है. चिराग की पार्टी का युवा नेतृत्व और एनडीए में मजबूत पकड़ नेताओं को भरोसा दे रही है कि उनके बच्चों का सियासी करियर यहां से उड़ान भर सकता है.

बिहार की सियासत में नया ट्विस्ट

बिहार में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, चिराग पासवान की पार्टी की अहमियत बढ़ती जा रही है. बीजेपी और जेडीयू के बड़े नेताओं की नजर अब चिराग के ‘हेलीकॉप्टर’ पर है, जो उनके बच्चों को सियासत के आसमान में चमकाने का टिकट दे सकता है.

चिराग को मिल सकती है इतनी सीटें!

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को एनडीए के भीतर सीट बंटवारे में 20-22 सीटें मिलने की संभावना है, हालांकि चिराग की पार्टी ने कम से कम 30-40 सीटों पर अंदरखाने दावा ठोका है. एनडीए में बीजेपी और जेडीयू जैसे बड़े दलों के बीच अधिकांश सीटों का बंटवारा होने के कारण, छोटे सहयोगी दलों के लिए सीटों की संख्या सीमित रहती है.

चिराग की पार्टी, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में पांच सीटों पर शत-प्रतिशत जीत हासिल कर चुकी है, अपनी ताकत और दलित वोट बैंक के आधार पर अधिक सीटों के लिए दबाव बना रही है. फिर भी, एनडीए के सूत्रों के अनुसार, गठबंधन की रणनीति और नीतीश कुमार के नेतृत्व में एकजुटता को देखते हुए, चिराग को 20-22 सीटों से समझौता करना पड़ सकता है. अगर चिराग को मन मुताबिक सीटें मिल गईं तो वो नेता पुत्रों को इस चुनाव में सेट कर सकते हैं. बाकी पार्टी नेताओं के रुख पर भी निर्भर करेगा.

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