Bihar Election Manifesto: बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल गर्म है. महागठबंधन ने अपना विजन डॉक्यूमेंट पेश किया, तो एनडीए ने भी पीछे नहीं रहते हुए अपना संकल्प पत्र जारी कर दिया. महिलाओं को मुफ्त गैस सिलेंडर, किसानों को बोनस, नौजवानों को नौकरी और छात्रों को मुफ्त शिक्षा, हर तरफ वादों की बौछार है. लेकिन सवाल वही पुराना है कि अगर पार्टी जीत गई, तो क्या ये वादे पूरा करना कानूनी रूप से जरूरी है या फिर ये सिर्फ वोट खींचने का हथियार है? आज हम आपको बताएंगे घोषणापत्र की कानूनी हैसियत, सुप्रीम कोर्ट का फैसला, चुनाव आयोग की भूमिका और असल में क्या होता है जब वादे टूटते हैं. सबकुछ आसान भाषा में विस्तार से.
सिर्फ कागज का टुकड़ा है घोषणापत्र या जनता का कॉन्ट्रैक्ट?
कल्पना कीजिए कि आप दुकान पर जाते हैं, दुकानदार कहता है, “ये फोन लो, 50% डिस्काउंट दूंगा.” आप पैसे देते हैं, लेकिन बाद में वो कहे, “अरे, वो तो प्रमोशन था.” गुस्सा आएगा न? ठीक यही सवाल जनता पूछती है चुनावी वादों पर. घोषणापत्र असल में एक राजनीतिक दस्तावेज है. इसमें पार्टी बताती है कि सत्ता में आए तो क्या करेगी. किस वर्ग को क्या देगी? कैसे विकास करेगी? लेकिन कानूनी नजर में ये कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं है. यानी आप कोर्ट नहीं जा सकते कि मैडम, आपने 10 लाख नौकरियां देने का वादा किया था, कहां हैं?
कानून क्या कहता है?
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में बताया गया है कि उम्मीदवार क्या बोल सकता है
क्या नहीं बोल सकता. रिश्वत देना, धार्मिक भावनाएं भड़काना ये सभी चुनाव में गैरकानूनी है. लेकिन वादाखिलाफी का कोई जिक्र नहीं है. यानी, पार्टियां ये बोल सकती है कि हम 2 करोड़ नौकरियां देंगे. लेकिन पूरा न करें तो कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होगी. हां, अगर कोई पैसे बांटने या रिश्वत देने का वादा करे, तो वो भ्रष्टाचार माना जाएगा. सजा हो सकती है. लेकिन मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी राजनीतिक वादे हैं. इस पर कोई कानूनी बंधन नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने भी हाथ खड़े किए!
चुनावी वादाखिलाफी को लेकर कई बार सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर हुईं. लोग कोर्ट गए, “सरकार ने वादा किया था, पूरा क्यों नहीं किया?” हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में सुब्रमण्यम स्वामी vs चुनाव आयोग केस के दौरान कहा कि ये राजनीतिक वादे हैं. इनसे भ्रष्टाचार साबित नहीं होता.” कोर्ट ने कहा कि घोषणापत्र में वादे जनता को लुभाने के लिए होते हैं. इन्हें कानूनी अनुबंध नहीं माना जा सकता. हालांकि, तब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को सलाह दी थी कि गाइडलाइंस बनाया जाए, ताकि हवा-हवाई वादे न हों.
चुनाव आयोग भी चुनाव के दौरान मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू करता है. इसमें, भाषणों पर नजर, खर्च पर नजर, विज्ञापनों पर नजर रखा जाता है, लेकिन घोषणापत्र के वादों पर कोई पाबंदी नहीं. हालांकि कुछ राज्य चुनाव आयोग गाइडलाइंस जारी करते हैं कि वादे वास्तविक होने चाहिए, वित्तीय संसाधन बताने चाहिए. लेकिन ये सिर्फ सुझाव है कानून नहीं.
चुनावी घोषणापत्र कानूनी अनुबंध नहीं, राजनीतिक वचन है. इन्हें तोड़ने की कोई सजा नहीं, लेकिन जनता की याददाश्त सबसे बड़ी सजा है. अगली बार जब कोई वादा करे, तो पूछिए कि कैसे करेंगे? पैसा कहां से आएगा? समयसीमा क्या है? क्योंकि लोकतंत्र में असली ताकत जनता के पास है. वो है वोट की ताकत.
बिहार चुनाव के लिए किसने क्या वादे किए?
तेजस्वी के 10 ‘प्रण’
- हर घर सरकारी नौकरी
- 2000 एकड़ में एजुकेशनल सिटी
- 12वीं तक के छात्रों को फ्री टैबलेट
- पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू होगा
- संविदाकर्मियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा
- 200 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी
- जीविका दीदियों को पक्की नौकरी
- बिहार में 5 नए एक्सप्रेस-वे बनाएंगे
- माई बहिन योजना के तहत हर महीने 2500 रुपये महिलाओं को मिलेंगे.
- वृद्धा-विधवा पेंशन बढ़ाकर 1500 रुपये किया जाएगा.
एनडीए के घोषणा पत्र के प्रमुख वादे
- एक करोड़ सरकारी नौकरियां और रोजगार के अवसर
- युवाओं को वैश्विक उद्योगों के लिए प्रशिक्षित करने के लिए हर जिले में मेगा कौशल केंद्र
- खेल विकास के लिए स्पोर्ट्स सिटी और उत्कृष्टता केंद्र
- हर जिले में औद्योगिक पार्क और कारखाने
- 100 एमएसएमई पार्क और 50,000 नए कुटीर उद्योग
- आईटी और तकनीकी क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए चिपसेट, सेमीकंडक्टर और विनिर्माण पार्क
- 22 लाख महिलाओं का समर्थन करने और 1 करोड़ ‘लखपति दीदी’ बनाने के लिए महिला रोजगार योजना
- महिला उद्यमियों के लिए मिशन करोड़पति
- किसान सम्मान निधि 6,000 रुपये से बढ़कर 9,000 रुपये सालाना होगी
- मछली किसानों की सहायता दोगुनी होकर 9,000 रुपये की जाएगी.
- सभी फसलों के लिए एमएसपी गारंटी प्री-इंफ्रास्ट्रक्चर में 9 लाख करोड़ रुपये का निवेश
- हर संभाग में अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए आवासीय विद्यालय
- उच्च शिक्षा में एससी और एसटी छात्रों के लिए 2,000 रुपये मासिक सहायता
- ईबीसी छात्रों के लिए 10 लाख रुपये तक की सहायता, गरीब बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा और फोर्टिफाइड मिड-डे मील
- 50 लाख नए घर, मुफ्त राशन और 125 यूनिट मुफ्त बिजली
- खास स्कूलों को अपग्रेड करने के लिए 5,000 करोड़
- 7 एक्सप्रेसवे और 3,600 km नए रेल ट्रैक
- हर जिले में मेडिकल सिटी और मेडिकल कॉलेज
- सीतामढ़ी को आध्यात्मिक विरासत वाले शहर के तौर पर डेवलप करना
- पटना, दरभंगा, पूर्णिया, भागलपुर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट और चार नए शहरों में मेट्रो रेल
