Vistaar NEWS

वक्फ कानून के खिलाफ सुनवाई में बोले कपिल सिब्बल- यह धार्मिक मामलों में दखल, SC ने कहा- संसद ने हिंदुओं पर कानून बनाया

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court on Waqf Amendment Act: लोकसभा और राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद इसपर राष्ट्रपति मुर्मू ने अपनी मुहर लगा दी है. वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 70 से अधिक याचिका दाखिल की गई है. आज इन्हीं याचिकाओं पर SC ने सुनवाई की. इस दौरान 3 जजों की बेंच ने इन याचिकों पर दलीलें सुनी. SC की इस बेंच में CJI संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल रहे.

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने पैरवी की. वहीं कानून के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाओं पर कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी, सीयू सिंह ने अपनी दलीलें SC के सामने रखी. इस दौरान जब वक्फ के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई तो SC ने कहा कि याचिकाएं बहुत हैं, एक दिन में इसे सुनना संभव नहीं है.

‘वक्फ कानून धार्मिक मामलों में दखल’- कपिल सिब्बल

CJI संजीव खन्ना ने सुनवाई शुरू करते हुए कहा- ‘ये सुनवाई का पहला दौर है. मूल याचिकाओं पर पहले एक साथ सुनवाई होगी. हम आज ही सभी याचिकाओं को नहीं सुन सकते. किसी भी दलील का दोहराव नहीं होना चाहिए. इसके बाद कपिल सिब्बल ने बहस की शुरुआत की है. सिब्बल ने अनुच्छेद 26 का हवाला देते हुए कहा कि वक्फ कानून धार्मिक मामलों में दखल है.

सिब्बल ने कहा कि वक्फ कानून मुस्लिम उत्तराधिकार का उल्लंघन है. वक्फ कानून धार्मिक मामलों में दखल है. इसके बाद CJI जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि कोर्ट के पास बहुत कम समय है. आप सिर्फ जरूरी बातें हमारे सामने रखिए.

‘वक्फ में बढ़ेगा सरकारी दखल’- सिब्बल

वक्फ कानून का विरोध करते हुए SC के सामने कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि अगर मुझे वक्फ बनाना है तो मुझे सबूत देना होगा कि मैं पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हूं. अगर मैंने मुस्लिम धर्म में जन्म लिया है तो मैं ऐसा क्यों करूंगा? मेरा पर्सनल लॉ यहां पर लागू होगा. यह 20 करोड़ लोगों के अधिकारों पर सवाल है. क्या अधिकारी तय करेंगे संपत्ति किसकी है. इससे सरकारी दखल बढ़ेगा.

‘हिंदुओं के लिए भी संसद में बने हैं’- CJI

सिब्बल की दलील पर संजीव खन्ना ने कहा कि हिंदुओं के मामले में भी संसद में कानून बनाए गए हैं. संसद ने मुस्लिमों के लिए भी कानून बनाया. और आर्टिकल 26 धर्मनिरपेक्ष है. यह सभी पर लागू होता है.

यह भी पढ़ें: National Herald Case: सरकार और ED के खिलाफ कांग्रेस का दिल्ली में प्रदर्शन, पुलिस ने कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया

कानून असंवैधानिक- सिब्बल

सिब्बल ने आगे कहा कि सरकार यह घोषित कर सकती है कि प्रॉपर्टी उनकी है, लेकिन इसकी कोई समय सीमा नहीं है. आप कह रहे हैं कि विवाद की स्थिति में एक अफसर जांच करेगा, जो सरकार का होगा, यह असंवैधानिक है. किसी संरक्षित विरासत के बारे में की गई घोषणा बेअसर हो जाएगी.

सिब्बल ने कहा- उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ की अवधारणा है. मान लीजिए मेरे पास कोई संपत्ति है और मैं वहां एक अनाथालय चाहता हूं. समस्या क्या है… मुझे पंजीकरण क्यों करवाना चाहिए.

CJI ने इसपर कहा- अगर आप वक्फ पंजीकृत करते है तो पंजीकरण से मदद मिलेगी.

सिब्बल ने कहा- अब इसमें कहा गया है… वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के लागू होने के बाद से, वक्फ विलेख के निष्पादन के बिना कोई वक्फ नहीं बनाया जाएगा.

CJI ने इसपर कहा- समस्या क्या है?

SG मेहता ने कहा- केवल पंजीकृत. पंजीकरण को किसी ने नहीं रोका. पंजीकरण 1925 से अनिवार्य था.

CJI ने कहा- आप ऐसे वक्फ को कैसे रजिस्टर करेंगे?उनके पास कौन से दस्तावेज होंगे..इससे कुछ गलत हो जाएगा. हां,कुछ गलत इस्तेमाल हुआ है. लेकिन कुछ सही भी. मैंने प्रिवी काउंसिल के फैसले भी पढ़े है. यूजर द्वारा वक्फ को मान्यता दी गई है. अगर आप इसे रद्द करेंगे तो यह एक समस्या होगी.

SG मेहता ने कहा- मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो वक्फ अधिनियम द्वारा शासित नहीं होना चाहता. वे अब ट्रस्ट भी बना सकते हैं.

CJI ने कहा- सकारात्मक बिंदु हैं. लेकिन कुछ चिंताएं भी हैं.

SG मेहता ने कहा- यह तर्क दिया जाता है कि केंद्र सरकार द्वारा हड़प लिया गया है. 1995 में भी ऐसा ही था और 2013 में भी केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना की गई थी. यह केवल परामर्शदात्री सलाहकार निकाय है. यह केवल इस बारे में है कि बोर्डों को कैसे प्रदर्शन करना है आदि.

CJI ने कहा- जब 100 या 200 साल पहले किसी सार्वजनिक ट्रस्ट को वक्फ घोषित किया जाता है. तो अचानक आप कहते हैं कि इसे वक्फ बोर्ड द्वारा अधिग्रहित किया जा रहा है और अन्यथा घोषित कर दिया जाता है.

Exit mobile version