Vistaar NEWS

‘मिश्रा, सिंह, झा, शर्मा की बिहार में औकात नहीं’, राजद विधायक के बयान से मचा सियासी तूफान

Tejashwi Yadav

तेजस्वी यादव

Bihar Politics: बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी माहौल गरमाने लगा है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के विधायक मुन्ना यादव ने एक विवादास्पद बयान में कहा कि जातीय सर्वे के बाद ‘मिश्रा, सिंह, झा, शर्मा का गुजारा नहीं’ और उनकी हैसियत उजागर हो चुकी है. उन्होंने दावा किया कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने ऐसी व्यवस्था बनाई है कि ये समुदाय अब फ्रंटफुट पर राजनीति नहीं कर सकते. इस बयान ने बिहार की राजनीति में तीखी प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है, जिसमें विपक्षी दलों, खासकर जदयू और भाजपा ने इसे जातिवादी जहर करार दिया. तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद ने इस बयान पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन यह मुद्दा सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बन गया है.

मुन्ना यादव का बयान

राजद विधायक मुन्ना यादव ने 19 जुलाई को एक सार्वजनिक मंच पर कहा- ‘अब मिश्रा, सिंह, झा, शर्मा का कोई गुजारा नहीं. अब उनकी हैसियत उजागर हो चुकी है. लालू यादव ने ऐसी व्यवस्था बना दी है कि ये लोग कभी भी फ्रंटफुट पर राजनीति नहीं कर सकते. यह बयान बिहार में हाल ही में हुए जातीय सर्वे को लेकर था, जिसे राजद ने सामाजिक न्याय का हथियार बताया है. मुन्ना यादव का इशारा ऊपरी जातियों, खासकर ब्राह्मण, राजपूत, और भूमिहार समुदायों की ओर था, जिन्हें उन्होंने राजनीतिक रूप से कमजोर होने का दावा किया. इस बयान ने बिहार की सियासत में नया विवाद खड़ा कर दिया है.

विपक्ष का पलटवार

मुन्ना यादव के बयान पर जदयू और भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी. जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने इसे ‘जातिवादी जहर’ करार देते हुए कहा कि राजद की नीति हमेशा से समाज को बांटने की रही है. उन्होंने तेजस्वी यादव से इस बयान पर स्पष्टीकरण मांगा. वहीं, बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि ‘यह बयान राजद की हताशा को दर्शाता है, जो युवाओं और विकास के मुद्दों पर विफल हो चुकी है.’

जातीय सर्वे और राजद की रणनीति

मुन्ना यादव का बयान बिहार में 2023 में हुए जातीय सर्वे की पृष्ठभूमि में आया, जिसे राजद और महागठबंधन ने सामाजिक-आर्थिक नीतियों का आधार बनाया था. सर्वे में यह दावा किया गया कि पिछड़े, अति पिछड़े और दलित समुदायों की आबादी बिहार में बहुसंख्यक है जिसके आधार पर राजद ने अपनी राजनीति को और मजबूत करने की कोशिश की. मुन्ना यादव का दावा है कि इस सर्वे ने ऊपरी जातियों की राजनीतिक ताकत को कमजोर किया है, जिससे राजद को फायदा होगा. हालांकि, इस बयान ने राजद की छवि को नुकसान पहुंचाने की आशंका भी बढ़ा दी है, क्योंकि यह सामाजिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे सकता है.

यह भी पढ़ें: लीजेंड्स लीग में भारत-पाकिस्तान का मैच रद्द, WCL ने मांगी माफी, धवन-भज्जी समेत कई खिलाड़ियों ने नाम ले लिया था

तेजस्वी की चुप्पी और राजद का रुख

तेजस्वी यादव ने इस बयान पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिससे सियासी अटकलें तेज हो गई हैं. कुछ राजनीतिक जानकारों का मानना है कि तेजस्वी इस बयान से दूरी बनाए रखना चाहते हैं, क्योंकि यह राजद के व्यापक वोट बैंक, खासकर शहरी और शिक्षित वर्ग, को नाराज कर सकता है. दूसरी ओर राजद के कुछ नेताओं ने मुन्ना यादव के बयान को ‘जातीय सर्वे की सच्चाई’ बताते हुए समर्थन किया है.

Exit mobile version