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‘जाति एक फैक्टर है लेकिन एकमात्र फैक्टर नहीं?…”, प्रशांत किशोर ने क्यों कही ये बात?

Prashant Kishor

प्रशांत किशोर

Bihar Election 2025: प्रशांत किशोर (Prashant Kishor), जन सुराज पार्टी के प्रमुख और प्रसिद्ध राजनीतिक रणनीतिकार हैं. उन्हेंने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एक बड़ा बयान दिया, जिसमें उन्होंने बिहार की राजनीति में जाति की भूमिका को नए सिरे से परिभाषित करने की कोशिश की हैं. ANI को दिए एक इंटरव्यू में, PK ने कहा कि बिहार में मतदाता केवल जाति के आधार पर वोट नहीं देते, बल्कि अन्य कारक जैसे राष्ट्रीयता और विकास भी उनके निर्णय को प्रभावित करते हैं. यह बयान बिहार की पारंपरिक जातिगत राजनीति को चुनौती देता है और जन सुराज पार्टी की रणनीति को दर्शाता है.

जातिगत राजनीति पर क्या कहा प्रशांत किशोर ने?

PK ने बिहार में लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफलता का उदाहरण देते हुए तर्क दिया कि लोग केवल जाति के आधार पर वोट नहीं देते. उन्होंने कहा, ‘पिछले 15 सालों से बिहार में बीजेपी को लोकसभा चुनावों में बहुत सफलता मिल रही है. ज्यादातर लोग मानते हैं कि बीजेपी की सफलता नहीं है, बल्कि यह पीएम मोदी के नाम पर वोट है.’ यह दर्शाता है कि मतदाता राष्ट्रीयता और नेतृत्व जैसे कारकों से भी प्रभावित होते हैं. 

जाति से परे मतदान

PK ने इंटरव्यू में जाती पर वोट की इस धारणा को चुनौती दी कि बिहार में हर व्यक्ति केवल जातिगत आधार पर वोट देता है. उन्होंने कहा कि जाति एक महत्वपूर्ण कारक है, लेकिन यह एकमात्र कारक नहीं है. विकास, रोजगार, और नेतृत्व की छवि भी मतदाताओं के लिए मायने रखती है.

जन सुराज की जाति से हटकर नया नैरेटिव

प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी बिहार में एक वैकल्पिक राजनीतिक ताकत के रूप में उभर रही है. उनका यह बयान उनकी रणनीति का हिस्सा है, जो जातिगत समीकरणों से परे विकास और समावेशी राजनीति पर केंद्रित है. किशोर का मानना है कि बिहार का मतदाता अब बदलाव चाहता है और केवल जाति पर निर्भर नहीं रहना चाहता.

2025 विधानसभा चुनाव की तैयारी

बिहार में अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए, किशोर अपनी पार्टी को एनडीए (बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी) और इंडिया ब्लॉक (आरजेडी, कांग्रेस, वाम दल) के विकल्प के रूप में पेश कर रहे हैं. उनका बयान मतदाताओं को यह सोचने के लिए प्रेरित करता है कि वे केवल जाति के बजाय विकास और नेतृत्व को प्राथमिकता दें.

बिहार की राजनीति में जाति का प्रभाव

बिहार की राजनीति लंबे समय से जातिगत समीकरणों पर आधारित रही है. लालू प्रसाद यादव की आरजेडी ने मुस्लिम-यादव (M-Y) गठजोड़ के दम पर और नीतीश कुमार की जेडीयू ने अति पिछड़ा वर्ग (EBC) और महादलित समुदायों के समर्थन से अपनी सियासी जमीन बनाई है. किशोर का बयान इन समीकरणों को कमजोर करने की कोशिश है.  

PK का केंद्र और राज्य सरकार पर हमला

किशोर ने केंद्र और बिहार की NDA सरकार पर भी निशाना साधा. इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बिहार में रोजगार, गरीबी उन्मूलन, और विकास जैसे मुद्दों पर कोई ठोस काम नहीं किया. उन्होंने दावा किया कि सरकार की उपलब्धियां, जैसे शौचालय निर्माण, केवल ‘प्रचारित झूठ’ हैं.  

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नीतीश और लालू पर भी PK का निशाना

किशोर ने नीतीश कुमार की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए, कहते हुए कि अब नौकरशाह भी उनकी बात नहीं सुनते. साथ ही, उन्होंने लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव को उनके पिता की विरासत का ‘उत्पाद’ बताया, जिनकी अपनी कोई स्वतंत्र पहचान नहीं है.

राहुल गांधी को PK की चुनौती

PK ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी तीखा हमला बोला. पीके ने कहा कि बिहार में कांग्रेस की कोई स्वतंत्र हैसियत नहीं है और वह केवल लालू यादव की ‘कृपा’ पर निर्भर है. उन्होंने राहुल को बिहार के गांव में एक रात बिताने की चुनौती दी, ताकि वह बिहार की जमीनी हकीकत को समझ सकें. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी बिहार में केवल ‘बड़े-बड़े ज्ञान’ देने आते हैं, लेकिन वहां की वास्तविक समस्याओं से उनका कोई लेना-देना नहीं है.

PK अपनी ‘बिहार बदलाव यात्रा’ के तहत बिहार के विभिन्न जिलों में जनसभाएं कर रहे हैं, जहां वे लोगों से सीधा संवाद कर रहे हैं और विकास के मुद्दों को उठा रहे हैं.

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