Rahul Gandhi Citizenship Controversy: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इस बार मुद्दा उनकी नागरिकता को लेकर है, जो पिछले कुछ समय से देश की अदालतों और सोशल मीडिया पर गर्मागर्म बहस का विषय बना हुआ है. इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर सुनवाई चल रही है, और केंद्र सरकार से सवाल पूछा गया है कि क्या राहुल गांधी वाकई भारतीय नागरिक हैं? आज गृह मंत्रालय की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट में रिपोर्ट पेश किया जा सकता है.
विवाद की जड़
राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर सवाल पहली बार 2019 में उठे थे. तब बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया कि राहुल के पास ब्रिटिश नागरिकता भी है. इस बार मामला फिर से गरमाया है, जब कर्नाटक के वकील और बीजेपी कार्यकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने 1 जुलाई 2024 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की. याचिका में दावा किया गया कि राहुल गांधी ने ब्रिटेन की एक कंपनी के दस्तावेजों में खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया था.
याचिकाकर्ता का कहना है कि उनके पास ब्रिटिश सरकार के कुछ गोपनीय दस्तावेज और ईमेल हैं, जो यह साबित करते हैं कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं. अगर यह आरोप सही साबित होता है, तो भारतीय संविधान और नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द हो सकती है, और उनकी लोकसभा सदस्यता भी खतरे में पड़ सकती है. साफ शब्दों में कहें तो राहुल गांधी की सांसदी भी जा सकती है.
क्या कहता है कानून?
भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 9(2) के मुताबिक, अगर कोई भारतीय नागरिक स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता लेता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता खत्म हो सकती है. याचिकाकर्ता का दावा है कि राहुल गांधी ने ब्रिटिश नागरिकता छिपाई, जो भारतीय न्याय संहिता और पासपोर्ट एक्ट के तहत अपराध है. इसके अलावा, संविधान के अनुच्छेद 84(A) के तहत कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक नहीं है, वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकता. यही वजह है कि याचिकाकर्ता ने राहुल गांधी के 2024 में रायबरेली से जीते गए लोकसभा चुनाव को रद्द करने की मांग की है.
कोर्ट में क्या हो रहा है?
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच इस मामले को गंभीरता से ले रही है. 21 अप्रैल 2025 को हुई सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार से 10 दिनों के अंदर राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्ट रिपोर्ट मांगी. कोर्ट ने पूछा, “राहुल गांधी भारतीय नागरिक हैं या नहीं?” इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई 2025 यानी आज होनी है.
पिछली सुनवाइयों में केंद्र सरकार ने बताया कि उन्होंने ब्रिटेन सरकार को पत्र लिखकर राहुल की कथित ब्रिटिश नागरिकता के बारे में जानकारी मांगी है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला. कोर्ट ने सरकार की स्टेटस रिपोर्ट को अधूरा बताते हुए और स्पष्ट जवाब देने का आदेश दिया.
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बीजेपी की राजनीतिक साजिश- कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी ने इस पूरे विवाद को राजनीतिक साजिश बताया है. पार्टी का कहना है कि यह बीजेपी की ओर से विपक्ष को कमजोर करने की कोशिश है. राहुल गांधी की बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पहले कहा था, “पूरा देश जानता है कि राहुल जन्मजात भारतीय हैं. यह सब बकवास है.”
कांग्रेस का दावा है कि राहुल गांधी का जन्म 19 जून 1970 को नई दिल्ली में हुआ, और वे नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य हैं, जिनका भारतीय राजनीति में लंबा इतिहास रहा है. पार्टी ने यह भी कहा कि इस तरह के आरोप पहले भी लगे थे और 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल की नागरिकता को लेकर दायर एक याचिका को खारिज कर दिया था.
पहले भी उठ चुका है यह सवाल
यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठे हैं. 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने गृह मंत्रालय को शिकायत दी थी, जिसमें दावा किया गया था कि राहुल ने एक ब्रिटिश कंपनी की वार्षिक रिटर्न में अपनी नागरिकता ब्रिटिश बताई थी. गृह मंत्रालय ने राहुल को नोटिस भी जारी किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को खारिज करते हुए कहा था कि किसी कंपनी के फॉर्म में गलती से ब्रिटिश नागरिकता का जिक्र होने का मतलब यह नहीं कि राहुल ब्रिटिश नागरिक हैं.
सोशल मीडिया पर हंगामा
यह मामला सिर्फ कोर्ट तक सीमित नहीं है. सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर जबरदस्त बहस चल रही है. कुछ यूजर्स का कहना है कि राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाना बीजेपी की रणनीति है. अगर कोर्ट में यह साबित हो जाता है कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता थी, तो उनकी भारतीय नागरिकता और लोकसभा सदस्यता दोनों खतरे में पड़ सकती हैं. इससे कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि राहुल गांधी विपक्ष के सबसे बड़े चेहरों में से एक हैं. दूसरी ओर, अगर कोर्ट इन आरोपों को खारिज कर देता है, तो यह कांग्रेस के लिए एक बड़ी राहत होगी.
