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संभल मस्जिद ध्वस्तीकरण मामले में मुस्लिम पक्ष को लगा बड़ा झटका, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

Allahabad High Court

इलाहाबाद हाई कोर्ट

Sambhal Mosque Demolition Case: उत्तर प्रदेश के संभल में चल रहे मस्जिद ध्वस्तीकरण विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया और उन्हें ट्रायल कोर्ट में जाकर अपनी बात रखने का रास्ता दिखा दिया. यह मामला तब और रोचक हो गया, जब कोर्ट में दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस देखने को मिली.

क्या है पूरा माजरा?

संभल में एक मस्जिद, बारात घर और अस्पताल को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था. ये सभी ढांचे तालाब और सरकारी जमीन पर बने थे, जिसके चलते प्रशासन ने इन्हें ध्वस्त करने का आदेश जारी किया. मस्जिद कमेटी ने इस आदेश को रोकने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन जस्टिस दिनेश पाठक की बेंच ने उनकी याचिका को सुनने के बाद साफ कह दिया, “ट्रायल कोर्ट जाओ, वही अपनी बात रखो.”

मस्जिद कमेटी की ओर से अधिवक्ता अरविंद कुमार त्रिपाठी और शशांक त्रिपाठी ने कोर्ट में जोरदार दलीलें दीं. उन्होंने बताया कि बारात घर तो पहले ही ढहा दिया गया है और मस्जिद को गांधी जयंती और दशहरे के दिन तोड़ने की बात थी. दूसरी ओर, राज्य सरकार की ओर से चीफ स्टैंडिंग काउंसिल जे.एन. मौर्या और आशीष मोहन श्रीवास्तव ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि ये कार्रवाई नियमों के तहत हो रही है.

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कोर्ट ने क्या-क्या कहा?

हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बातें सुनीं और मस्जिद कमेटी द्वारा पेश किए गए जमीन के दस्तावेजों पर भी गौर किया. कोर्ट ने पहले ही दिन मस्जिद की जमीन से जुड़े कागजात मांगे थे, ताकि यह साफ हो सके कि जमीन का मालिकाना हक किसके पास है. लेकिन कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले को अब ट्रायल कोर्ट में ही निपटाया जाए. कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि ध्वस्तीकरण के दौरान भीड़ और सुरक्षा को लेकर कोई लापरवाही न हो, और इसकी निगरानी ट्रायल कोर्ट करे.

ग्रामीणों का गजब का जोश

खबरों की मानें तो संभल में जुम्मे की नमाज के बाद कुछ ग्रामीण खुद ही मस्जिद की दीवार तोड़ने लगे थे, क्योंकि प्रशासन ने इसके लिए डेडलाइन दी थी. यह देखकर लगता है कि मामला सिर्फ कोर्ट-कचहरी तक सीमित नहीं है, बल्कि स्थानीय स्तर पर भी लोग इस विवाद में पूरी तरह से शामिल हैं.

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