2006 Mumbai Train Blast: सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दिया है, जिसमें सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया गया था. यह फैसला महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर अपील के बाद आया, जिसमें सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को SC में चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से इसे गंभीर मामला बताते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की थी.
2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट से जुड़े सभी 12 आरोपियों को बरी करने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक #Supremecourt #mumbaitrainblast #BombayHighCourt #BREAKING pic.twitter.com/4pgr1Q9pnW
— Vistaar News (@VistaarNews) July 24, 2025
बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 21 जुलाई 2025 को अपने फैसले में सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया था. जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की विशेष पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत पेश करने में पूरी तरह विफल रहा. कोर्ट ने यह भी बताया कि गवाही, जांच और सबूत पुख्ता नहीं थे और आरोपियों ने साबित किया कि उनके कबूलनामे जबरदस्ती लिए गए थे. इस फैसले ने जांच एजेंसी महाराष्ट्र ATS की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए.
2006 मुंबई ट्रेन विस्फोट
11 जुलाई 2006 को मुंबई की पश्चिमी रेलवे लाइन की लोकल ट्रेनों में 11 मिनट के भीतर सात प्रेशर कुकर बम धमाके हुए थे. इनमें RDX का इस्तेमाल किया गया था और धमाके माटुंगा, माहिम जंक्शन, बांद्रा, खार रोड, जोगेश्वरी, भयंदर और बोरीवली स्टेशनों के पास हुए. इस आतंकी हमले में 189 लोग मारे गए और 824 से अधिक घायल हुए. यह मुंबई की लाइफलाइन कहे जाने वाली लोकल ट्रेनों पर सबसे भयावह हमलों में से एक था.
महाराष्ट्र सरकार की अपील
महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को ‘चौंकाने वाला’ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वे इस निर्णय का गहन अध्ययन कर रहे हैं और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे. सरकार ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने कुछ सबूतों, जैसे एक आरोपी से RDX की बरामदगी, को तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया.
गिरफ्तार नहीं होंगे आरोपी- SC
24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की अपील पर सुनवाई की. न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 12 आरोपियों को बरी करने के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी. कोर्ट ने सभी आरोपियों को नोटिस जारी कर एक महीने के भीतर जवाब मांगते हुए स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट का फैसला मिसाल नहीं माना जाएगा और यह अन्य मकोका मामलों को प्रभावित नहीं करेगा. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बरी किए गए 12 आरोपियों को दोबारा गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.
जांच एजेंसी पर सवाल
हाईकोर्ट के फैसले ने महाराष्ट्र ATS की जांच पर कई सवाल उठाए. ATS ने दावा किया था कि आरोपी स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े थे, लेकिन हाईकोर्ट ने इन दावों को सबूतों के अभाव में खारिज कर दिया.
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आगे की कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई महत्वपूर्ण होगी। महाराष्ट्र सरकार और एटीएस को अब ठोस सबूत पेश करने होंगे ताकि हाईकोर्ट के फैसले को पलटा जा सके. यह मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मुंबईवासियों की सामूहिक स्मृति का हिस्सा है.
