Stray Dogs: दिल्ली-एनसीआर के आवारा कुत्तों को लेकर छिड़ी जंग अब सुप्रीम कोर्ट के अखाड़े तक जा पहुंची है, और कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. लेकिन, इस सुनवाई के दौरान जो बहस हुई, वो किसी फिल्मी ड्रामे से कम नहीं थी.
मेहता ने क्या-क्या कहा?
एक तरफ सरकार के तगड़े वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता थे. उन्होंने कोर्ट में एक-एक कर जोरदार दलीलें रखीं. मेहता ने कहा, “कुत्ते काटने की घटनाओं से डरकर लोग जी रहे हैं. हर दिन करीब 10,000 लोग कुत्तों के शिकार होते हैं और रेबीज से बच्चों की मौत के मामले भी आए हैं.” उन्होंने साफ कहा कि कुत्तों की नसबंदी या टीकाकरण भी बच्चों को चोटिल होने से नहीं रोक सकता. मेहता ने कहा कि जानवरों से प्यार करने वाले लोग गिनती के हैं, जबकि बड़ी आबादी कुत्तों से परेशान है.
सिब्बल का जवाब
मेहता की इन दलीलों का जवाब देने के लिए सामने आए देश के दिग्गज वकील कपिल सिब्बल. उन्होंने सॉलिसिटर जनरल के तर्कों को सिरे से नकार दिया. सिब्बल ने सीधे पूछा, “जब एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) जैसे नियम पहले से मौजूद हैं, तो नगर निगमों ने इतने सालों से क्या किया? न शेल्टर होम बनाए, न नियमों का पालन किया. निगमों की इस लापरवाही से ही आज कुत्तों की संख्या इतनी बढ़ गई है.” सिब्बल ने यह भी कहा कि कुत्तों को जबरन शेल्टर होम में भेजना एक और बड़ा संकट पैदा कर सकता है.
और भी वकीलों ने दी अपनी राय…
इस ‘महाभारत’ में और भी कई महारथी शामिल हुए. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बेशक कुत्ते काटते हैं, लेकिन इस साल दिल्ली में रेबीज से एक भी मौत नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि सिर्फ डर के आधार पर ऐसा सख्त कदम उठाना ठीक नहीं है. कृष्णन वेणुगोपाल ने तो एक बड़ा गणित पेश कर दिया. उन्होंने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में करीब 10 लाख आवारा कुत्ते हैं, लेकिन शेल्टर होम में सिर्फ 1,000 कुत्तों को ही रखने की जगह है.
कोर्ट ने क्या-क्या कहा?
दोनों पक्षों की तीखी बहस सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आखिर में नगर निगमों पर ही सवाल उठाए. कोर्ट ने साफ कहा कि इस पूरी समस्या की जड़ अधिकारियों की लापरवाही है. नियम तो संसद बनाती है, लेकिन जब स्थानीय अधिकारी ही उनका पालन नहीं करते, तो ऐसी स्थिति पैदा होती है. अब कोर्ट ने इस संवेदनशील मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है, जिसका इंतजार हर कोई कर रहा है, चाहे वो कुत्ते प्रेमी हो या उनसे परेशान होने वाला.
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